दीपोत्सव :स्वास्थ्य ,सामाजिकता ,और पर्यावरण की दृष्टी से महत्वपूर्ण

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त्यौहार और उत्सव हमारे जीवन में हर्षोल्लास और सुख लेकर आते हैं ।भारतीय संस्कृति में त्यौहारों का विशेष स्थान है। सभी पर्व या तो पौराणिक पृष्ठभूमि से जुड़े हैं या प्रकृति से! इनका वैज्ञानिक पहलू भी नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता!

पांच त्यौहारों की एक श्रृंखला है दीपोत्सव 

दीवाली न सिर्फ एक त्यौहार है बल्कि ये पांच त्यौहारों की एक श्रृंखला है जो कि न सिर्फ पौराणिक कथाओं से जुड़े हैं बल्कि सामाजिक एवं पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।वास्तव में त्यौहारों का अंतिम अभिप्राय आनन्द और किसी आस्था का संरक्षण ही होता है।

पांच दिवसीय इस त्यौहार के लिए हफ़्तों पहले से तैयारियाँ शुरु हो जाती हैं ।साफ-सफाई करते हैं, घर सजाते हैं ।इसका वैज्ञानिक महत्व है।बारिश के बाद सब जगह सीलन होती है फंगस और कीटाणु होते हैं जो कि बीमारियों का कारण बनते हैं ।इसलिए साफ-सफाई करके स्वास्थ्य सुरक्षा की जाती है।

इसके बाद घर को सजाते हैं जिससे सुन्दरता के साथ-साथ सकारात्मक ऊर्जा का भी संचरण होता है।फिर आती है ने कपड़ों और ज़ेवर,बरतन की खरीद! सजे संवरे घर में सब कुछ नया-नया हो तो नई उमंग और उत्साह से भर जाते हैं ।सर्दियां भी बस शुरू होने को ही होती हैं तो इस दृष्टि से खान-पान का विशेष ध्यान रखते हुए पकवान बनाए जाते हैं। इतना सब करें और मेहमानों का आना-जाना न हो !!!इसलिये अब एक-दूसरे को बधाई देते हैं, बहन बेटियों को बुलाते हैं और मिलजुल कर त्यौहार मनाते हैं ।

तो इस तरह दीवाली का ये त्यौहार न केवल पौराणिक मह्त्व का है बल्कि सामाजिक,स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसके अलावा समाज के लगभग हर वर्ग के लिए महत्व का है। मिट्टी के दीपक, मिठाइयां, ज़ेवर-कपड़े, फल-सब्जी, मोमबत्तियों की और बिजली की रोशनी आतिशबाज़ी आदि बहुत सी चीज़े समाज के विभिन्न वर्गो को रोज़गार के अतिरिक्त अवसर प्रदान करती हैं।

अब क्रमवार दीपोत्सव  त्यौहारों की बात करें —

1—धन-तेरस— कार्तिक मास की त्रयोदशी के दिन मनाया जाने वाले इस त्यौहार में आरोग्य के देवता धन्तवरी की आराधना की जाती है।साथ ही नहर बरतन,आभूषण आदि की खरीद भी की जाती है।

2—रूप-चौदस/यम-चतुर्दशी–महिलाएँ अब तक साफ-सफाई और खरीददारी,रसोई में ही व्यस्त रही होती हैं ।तो आज का त्यौहार उनके सजने संवरने का है। साथ ही परिवार की सुरक्षा एवं  खुशहाली के लिए यम के लिए बाहर देहरी पर एक दीपक जलाती हैं ।इस भावना के साथ कि वो बाहर से ही लौट जाएं ।

3—दिवाली—तीसरा दिन मुख्य दिवाली का त्यौहार है जिसे न केवल भारत बल्कि दुनियां भर में बसे भारतीय भी मनाते हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी एवं गणपति की पूजा की जाती है।दीपकों से घर-आंगन के साथ-साथ मंदिर और चौराहों जैसी सार्वजनिक जगहों को भी रोशन करते हैं। विभिन्न धर्मों में विविध कारणों से दिवाली मनाते हैं जैसे—

१-श्रीराम के चौदह वर्ष के वनवास की समाप्ति पर अयोध्या आगमन की खुशी में
२-धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूर्य यज्ञ की समाप्ति की खुशी में
३-आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द सरस्वती का निर्वाण दिवस
४-जैनियों के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस

ये कुछ उदाहरण मात्र हैं ।

4—अन्नकूट—चौथे दिन शीत ऋतु से जुड़े विभिन्‍न फल-सब्जियों के खाद्यान्नों से इष्ट देव को भोग लगाकर सामूहिक भोजों का आयोजन किया जाता है और गोवर्धन पूजा भी की जाती है।

५—भाई-दूज—शुक्ला द्वितिया के दिन इस घर में भाई-बहन के प्रेम को सुदृढ़ करता भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है।
इस तरह दीवाली का ये पांच-दिवसीय त्यौहार सम्पूर्ण होता है। इस प्रकार से अपने आप में सिद्ध हैं कि 

दीपोत्सव स्वास्थ्य सामाजिकता व् पर्यावरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण है

शिवानी, जयपुर

फोटो क्रेडिट –विकिमीडिया ऑर्ग से साभार

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2 COMMENTS

  1. भारत पर्वो का देश है । और आपने बिल्कुल सही बात कही कि इन पर्व को मनाने के पीछे कोई न कोई scientific reason होता है जिनमें से कुछ पता होता है और कुछ के बारे नही । आपने संक्षिप्त मे इस पांच दिवसीय पर्व के महत्व को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया है । धन्यवाद ।

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