चलो चाय पीते हैं

4
चलो चाय पीते हैं
चलो चाय पीते हैं … दो लोग कभी भी इत्मीनान से बैठ कर बात
करना कहते हैं तो सबसे पहली बात याद आती है चाय |पर हम में से अक्सर लोग ये नहीं
जानते की सुबह – सुबह जिस चाय की तलब हमें लगती है वो न सिर्फ चुस्ती फुर्ती देने
वाली बल्कि फायदेमंद भी है 

     हुआ यूँ की एक सज्जन से मिलने जाना हुआ। पहले पानी और उसके बाद चाय आई। चाय सिर्फ़ एक कप ही थी। मैंने मेज़बान से पूछा, ‘‘आप चाय नहीं लेंगे?’’ ‘‘मैं चाय-काॅफी, बीड़ी-सिगरेट, पान, गुटका, शराब, तम्बाकू आदि कोई ग़लत चीज़ नहीं लेता,’’ मेज़बान ने फ़र्माया। ‘‘अच्छी बात है आप कई बेकार की चीज़ों से परहेज़ रखते हैं लेकिन चाय-काॅफी की तुलना बीड़ी-सिगरेट, पान, गुटके, शराब, तम्बाकू आदि चीज़ों से करना मेरे विचार से उचित नहीं, ’’मैंने किंचित प्रतिवाद किया।

     सभ्यता के विकास के साथ-साथ न जाने कितनी चीज़ें हमारी दिनचर्या में सम्मिलित हो गईं। माना कुछ चीज़ें बाज़ारवाद के कारण जबरदस्ती हमारी दिनचर्या में सम्मिलित हो गई हैं लेकिन इसके बावजूद हर एक चीज़ को हानिकारक, अनुपयोगी अथवा निरर्थक नहीं कहा जा सकता। कुछ वस्तुएँ हमारी दिनचर्या में इसलिए शामिल हैं क्योंकि वे हमारे लिए वास्तव में उपयोगी हैं। आप कितने लोगों को जानते हैं जिन्हें चाय (tea )अथवा काॅफी से कैंसर, टीबी या अन्य घातक बीमारी हो गई हो जबकि बीड़ी-सिगरेट, पान, गुटके, शराब अथवा तम्बाकू से हज़ारों नहीं लाखों मौतें हर साल होती हैं।

चाय  यूँ ही बदनाम है 

     कुछ लोग चाय-काॅफी के पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं जो ठीक नहीं। चाय पारंपरिक भारतीय पेय नहीं है फिर भी इस समय भारत में ये एक अत्यंत लोकप्रिय पेय है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी न केवल चाय की चुस्कियाँ लेना पसंद करते हैं अपितु प्रायः सभी चाय बनाना भी जानते हैं। चाय बनाने के अनेक तरीक़े हैं और कई प्रकार से इसे तैयार किया जाता है। हमारे देश में विशेष रूप से उत्तरी भारत में चाय प्रायः दूध डाल कर तैयार की जाती है। यूरोपीय देशों, रूस और अमेरीका के लोग प्रायः बिना दूध की चाय पसंद करते हैं। तिब्बत की नमकीन चाय का तो स्वाद ही नहीं बनाने की विधि भी रोचक है।

     चाय आप जिस विधि से भी तैयार करें, चाहे वह दूध के बिना हो या दूध के साथ, मीठी हो या फीकी, काली हो या सफेद, नींबू वाली चाय (लेमन टी) हो अथवा तुलसी की पत्तियों वाली चाय, हर प्रकार की चाय में एक चीज़ अवश्य डाली जाती है और वो है चाय की पत्तियाँ अथवा टी लीव्ज़। चाय की पत्ती विशुद्ध रूप से एक वनस्पति है। इसे हर्बल पेय की श्रेणी में रखा जा सकता है।

चाय की तरह काढ़ा पीने का रहा है प्रचलन 

     कुछ लोग चाय को बहुत पसंद करते हैं लेकिन कुछ लोग इसे न केवल घातक पेय मानते हैं अपितु चाय को भारतीय संस्कृति के खि़लाफ़ भी मानते हैं। क्या चाय वास्तव में भारतीय संस्कृति के प्रतिकूल और घातक है? हमारे यहाँ वैदिक काल से ही विभिन्न रोगों के उपचार के लिए क्वाथ या काढ़ा बनाकर पीने का वर्णन मिलता है। आयुर्वेद में विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों अथवा वनस्पतिजन्य पदार्थों से क्वाथ बनाने का वर्णन मिलता है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में जोशांदा भी विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियों को उबालकर ही बनाया जाता है।

     काली मिर्च, लौंग, बड़ी और छोटी इलायची, सौंठ या अदरक, पीपल, मुलेहटी, उन्नाब, बनफ़्शा आदि विभिन्न जड़ी-बूटियों और मसालों को उबालकर काढ़ा बनाने का प्रचलन आज भी हमारे यहाँ ख़ूब प्रचलित है। सर्दी-ज़ुकाम में के उपचार के लिए तो इससे उपयोगी ओषधि हो ही नहीं सकती। इसी प्रकार चाय में भी अनेक औषधीय गुण विद्यमान हैं जो शरीर को चुस्ती-स्फूर्ति देने के साथ-साथ अनेक प्रकार के रोगों को रोकने अथवा उनका उपचार करने में सक्षम हैं।

लाभदायक है चाय में पाया जाने वाला थियानिन 

     जब भी चाय के गुणों अथवा अवगुणों की बात होती है तो चाय में उपस्थित तत्त्व कैफीन की चर्चा भी अवश्य होती है। चाय में कैफीन के अतिरिक्त और भी एक ऐसा तत्त्व उपस्थित होता है जो केवल लाभदायक है और वह है थियानिन। मस्तिष्क और शरीर को शांत रखने और तनाव को कम करने में इस अमीनो एसिड की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। वैज्ञानिक अनुसंधानों से पता चलता है कि थियानिन न केवल तनाव को कम कर शरीर को स्वस्थ रखने में मददगार होता है अपितु मानसिक सतर्कता और एकाग्रता के विकास में भी सहायक होता है।

     जब हम ध्यान अथवा मेडिटेशन की अवस्था में होते हैं तो उस समय हमारे मस्तिष्क से जो तरंगें निकलती हैं उन्हें अल्फा तरंगें कहते हैं और उस अवस्था को ‘अल्फा स्टेट आॅफ माइंड’। इस अवस्था में शरीर में स्थित विभिन्न अंतःस्रावी ग्रंथियों से लाभदायक हार्मोंस का उत्सर्जन प्रारंभ हो जाता है जो व्यक्ति को तनावमुक्त कर उसे रोगों से बचाता है तथा रोग होने पर शीघ्र रोगमुक्ति प्रदान करने में सहायक होता है। चाय में उपस्थित थियानिन मस्तिष्क को उसी अवस्था में ले जाने में सक्षम है अतः चाय की प्याली ध्यानावस्था का ही पर्याय है।

     चाय का सेवन हमारी याददाश्त को चुस्त-दुरुस्त रखने में भी सहायक होता है। अगर शरीर में पाॅलीफिनाॅल्स की पर्याप्त मात्रा हो तो इससे याददाश्त की कमी का ख़तरा कम हो जाता है। ताज़ा अनुसंधानों से ये बात स्पष्ट होती है कि फल, चाय, काॅफी आदि पेय पदार्थ शरीर में पाॅलीफिनाॅल्स के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इस प्रकार चाय हमारी याददाश्त को चुस्त-दुरुस्त रखने में भी सहायक होती है।

चाय के कुछ खास फायदे 

  • दिनभर में तीन-चार कप चाय पीजिए और हृदय रोगों, स्ट्रोक, त्वचा रोगों तथा कैंसर जैसे रोगों को दूर भगाइए।
  • प्रतिदिन तीन-चार कप चाय पीने से हृदय विकारों की संभावना दस प्रतिशत से भी ज़्यादा कम हो जाती है। 
  • चाय में उपस्थित एंटीआॅक्सीडेंट हमारी रोगों से लड़ने की क्षमता में वृद्धि कर हमें नीरोग बनाए रखने में सक्षम होते हैं तथा रोग की दशा में शीघ्र रागमुक्ति में सहायक होते हैं।
  • चाय में उपस्थित तैलीय तत्त्व हमारे पाचन में भी सहायक होते हैं।

  • चाय डिहाइड्रेशन दूर करने, दाँतों को मजबूत बनाने तथा कोलेस्ट्राॅल को राकने में भी सक्षम है।
  • चाय में मौजूद कैफीन नामक तत्त्व सरदर्द से मुक्ति प्रदान कर हमें प्रफुल्ल तथा स्वस्थ बनाता है। 
  • चाय में उपस्थित थियानिन नामक अमीनो एसिड मानसिक सतर्कता और एकाग्रता के विकास में भी सहायक होता है।
  • एक प्याली चाय व्यक्ति को ध्यान अथवा मेडिटेशन की अवस्था में पहुँचाने के लिए भी पूर्ण रूप से सक्षम है। 
  • ग्रीन टी तथा बिना दूध की काली चाय अथवा ब्लैक टी से वज़न कम करने और मोटापा रोकने में भी सहायता मिलती है।

     कुछ लोग चाय भी पीते हैं और यह भी मानते हैं कि चाय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ऐसे में उनकी मानसिक अवस्था क्या होगी इसका अंदाज़ा लगाइए। वे चाय का त्याग नहीं कर पाते और सदैव ऐसी भावना से ग्रस्त रहते हैं जैसे वे कोई ग़लत कार्य कर रहे हों। हाँ चाय से नहीं चाय विषयक घातक भावनाओं से ज़रूर वे प्रभावित होते हैं और एक प्रकार के अपराध बोध से त्रस्त भी जो पूर्णतः काल्पनिक है |

तो अब तो आप जान ही गए होंगे की आपकी चाय कितनी फायदेमंद हैं | इसलिए अब कभी कोई दोस्त या परिचित मिले तो दिल खुश हो कर कहिये ,”चलो चाय पीते हैं | “

सीताराम गुप्ता,
दिल्ली-110034

आपको सीता राम गुप्ता जिका लेख “चलो चाय पीते हैं “ कैसा लगा | अपनी राय  से हमें अवश्य अवगत करायें | पसंद आने पर शेयर करें व् हमारा फेसबुक पेज  लाइक करें | अगर आपको “ अटूट बंधन ” की रचनाएँ पसंद आती हैं तो हमारा फ्री इ मेल लेटर सबस्क्राइब करें | जिससे हम लेटेस्ट पोस्ट सीधे आप के इ मेल पर भेज सकें |

यह भी पढ़ें …
सबसे सुन्दर दिखने की दौड़ – आखिर हल क्या है ?
भावनात्मक गुलामी भी गुलामी ही है

4 COMMENTS

  1. सुस्ती हटावे स्फूर्ति दिलावे सकल दर्द मिट जाय… जगत में चाय बड़ी बलवान।
    बहुत बढ़िया जानकारी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here