तस्वीरों के लिए हो अलग फेसबुक ग्रुप

0
तस्वीरों के लिए  हो अलग फेसबुक ग्रुप
प्रत्येक व्यक्ति के अपने – अपने अलग – अलग पसंद नापसंद होते हैं इसलिए प्रत्येक व्यक्तियों की अवधारणा प्रत्येक व्यक्तियों के लिए अलग – होती है!लेकिन यह भी सत्य है कि हम लोगों के पसंद और नापसंद के अनुसार चलेंगे तो जीवन की भूल भुलैया में फंसकर रह जायेंगे और हम खुद को स्थापित कर ही नहीं पायेंगे इसलिए कोई भी कृत्य अपनी अन्तरात्मा की सहमति से करनी चाहिए ! 
फिर भी मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है तो उसे सामाजिक मूल्यों का ध्यान रखना ही पड़ता है क्यों कि मनुष्य चाहे कितना भी कह ले की मुझे किसी के कहने का फर्क नहीं पड़ता है लेकिन मुझे लगता है फर्क पड़ता तो ज़रूर है वो चाहे प्रशंसा से खुश होना या फिर निंदा से दुखी होना! यह अलग बात है कि कुछ लोग इस बात को मन में दबा लेते हैं और कुछ कहकर हल्का हो जाते हैं! 
अभी कुछ दिनों से देख रही हूँ फेसबुक पर तस्वीरों को लेकर काफी चर्चा हो रही है वो चाहे व्यंग्य के रूप में हो या कटाक्ष के रूप में या फिर सीधे – सीधे!
 जाहिर सी बात है जो तस्वीरें पोस्ट करते हैं वे तो आहत होंगे ही! लेकिन प्रश्न यह भी है कि आखिर अपने शौक का कोई क्या करे! वैसे भी कोई भी अच्छी चीज आदमी अपने परिजनों और मित्रों को दिखाना तो चाहता ही है ! और जब वह अपनी सुन्दर तस्वीरों को साझा करता है तो कुछ लोगों को अच्छा लगता है तो कुछ लोगों को बुरा, क्यों कि सबकी विचारधाराएँ एक समान नहीं होतीं! 

ऐसे में मेरे मन में एक विचार आया कि एक एक ऐसा ग्रुप बनाना चाहिए जहाँ हम सिर्फ अपनी तस्वीरें पोस्ट करें ! उनमें अपने पसंदीदा / समान विचारधारा के मित्रों और परिजनों को ही जोड़े ! इससे मन में जो खुशी के साथ-साथ कटुता भर जाता है उससे निजात पाया जा सकता है और टिप्पणी करने वाले भी खुलकर टिप्पणी कर सकेंगे! 

क्यों कि सार्वजनिक पोस्ट पर सभी की विचारधाराएँ समान नहीं होतीं इसलिए टिप्पणीकारों के प्रति भी लोगों की गलत धारणा बन जाती है! 
बस यूँ ही बैठे बिठाये यह विचार मेरे दिमाग में आया तो सोची साझा कर लूँ! 
फिर भी ….
बचपन में मेरी दादी एक कहानी सुनाई थीं जो मुझे याद है… 
एक आदमी एक गधा खरीदा जिसपर अपने बेटे को बिठा दिया और खुद पैदल चल रहा था तो किसी ने देखकर कहा कि कैसा बेटा है खुद गधे पर बैठ गया है और बाप पैदल चल रहा है! उसके बाद बेटा गधे पर से उतर गया और बाप गधे पर बैठ गया! फिर किसी ने देखकर कहा कि कैसा बाप है खुद गधे पर बैठ गया है और बेटा बिचारा पैदल चल रहा है! उसके बाद बाप बेटे दोनों ही गधे पर बैठ गये! फिर किसी ने देखकर बोला कैसे लोग हैं बेचारे दुबले पतले गधे पर दोनों मोटे – मोटे बाप बेटे बैठ गये हैं! यह सुनकर बाप बेटे दोनो ही गधे पर से उतर कर गधे को लिये पैदल चलने लगे! फिर किसी ने देखकर कहा ये देखो ये बाप बेटे कितने मूर्ख हैं जो खाली गधे को लिये खुद पैदल चल रहे हैं ! 
मतलब….. कुछ तो लोग कहेंगे लोगो का काम है कहना! 
किरण सिंह 
लेखिका
यह भी पढ़ें …

 आपको  लेख तस्वीरों के लिए  हो अलग फेसबुक ग्रुप   कैसा लगा  | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |   
keywords:picture, Facebook group, Facebook,difference of opinion

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here