प्रकृति की अद्भुत छटा

0
प्रकृति की अद्भुत छटा







कूजती है कोकिला अमराई में
गूंजती भ्रमरावली मधुराई में

चल रही सुरभित मृदुल शीतल पवन
कर रहे कलरव मधुर पक्षी मगन

इन्द्रधनुषी तितलियां इठला रहीं
झूमती लतिकाएं रस बरसा रहीं

पुष्प भारों से झुके पादप विपुल
खिल रहा सौन्दर्य धरती का अतुल

पीत सरसों खेत में लहरा रही
अवनि रंगों से सजी मुसका रही

बांसुरी चरवाहे की कुछ कह रही
प्रकृति की अद्भुत छटा मन हर रही

है इला की दीप्ति चित को खींचती
नयन पथ से चल ह्रदय को सींचती



उषा अवस्थी 

लेखिका


यह भी पढ़ें …


बदनाम औरतें

बोनसाई

डायरी के पन्नों में छुपा तो लूँ

बैसाखियाँ 

आपको प्रकृति की अद्भुत छटा कैसे लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको अटूट बंधन  की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम अटूट बंधनकी लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |



LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here