तानाशास्त्र

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              ताना मारना एक ऐसी कला है जो किसी स्कूल में नहीं पढाई जाती | इस के ऊपर कोई शास्त्र नहीं है | फिर भी ये पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक का सफ़र बड़ी आसानी से तय कर लेती है | ताना मरने की कला में कोई धर्म  , जाति, देश  का भेद भाव नहीं है , कोई नहीं कहता कि ये हमारे धर्म /देश का ताना है , देखो फलाने  धर्म /देश वाले ने हमारा ताना चुरा लिया |  तानों पर किसी का कॉपीराईट नहीं है , आप देशी -विदेशी , अमीर , गरीब किसी के ताने चुरा सकते हैं | ताना बनाने वाले की सज्जनता तो देखिये वो कभी नहीं कहेगा कि ये ताना मेरा बनाया हुआ है | आज जब हम अपनी चार लाइन की कविता के चोरी हो जाने पर एक दूसरे को भला बुरा कहते हैं,  तो ताना बनाने वालों के लिए मेरा मन श्रद्धा से भर उठता है |

तानाशास्त्र

तानाशास्त्र 

खैर पहला ताना किसने किसको दिया ये अभी शोध का विषय है | परन्तु तानों से मेरा  पहला परिचय दादी ने कराया | जब उन्होंने कहा , ” धीय मार बहु समझाई जाती है “| मतलब आप बहु को न डांट  कर बेटी को डांट दीजिये … बहु तक मेसेज पहुँच जाएगा | जैसे बहु ने बर्तन साफ़ नहीं धोये हैं तो आप बेटी को बुला कर कहिये कि , ” कैसे बर्तन धोती हो , दाग रह गए , अक्ल कहाँ घुटने में है | अब बेटी भले ही कहती रहे , ” माँ , मैंने तो बर्तन धोये ही नही |” हालांकि ये पुराना तरीका है , इसे अब मत आजमाइयेगा , नहीं तो बहु पलट कर कहेगी … डाइरेक्ट मुझसे कहिये ना या ये भी हो सकता है कि बहु कह दे , ठीक है , कल से आप ही धोइयेगा | याद रखियेगा ये पुराना ज़माना नहीं है अब बहु की “नो का मतलब नो होता है “|

तानों के प्रकार 

 समय के साथ तानों का काफी तकनीकी विकास हो चुका है , नित नए अनुसन्धान हो रहे हैं |  अगर इतने अनुसन्धान मार्स मिशन पर होते आज हम मंगल गृह पर पॉपकॉर्न खा रहे होते | फिर भी मोटे तौर पर ताने दो तरह के होते हैं …

तुरंता ताना – इस ताने में ताना मारने वाला ऐसे ताना मारता है कि उसे तुरंत समझ में आ जाता है कि उसे ताना मारा गया | सुनने वाले के चेहरे की भाव भंगिमा बदल जाती है | अब ये उसके ऊपर है कि वो इस ताने के बदले में कोई विशेष ताना मार पाता  है या नहीं | अगर वो भी अनुभवी खिलाड़ी हुआ तो “ताने ऊपर ताना ” यानि की ताने की अन्ताक्षरी शुरू हो जाती है |

डे आफ्टर टुमारो ताना – ये ताने की विकसित शैली है | आमतौर पर ताना कला में डिग्री होल्डर ही इसका प्रयोग कर पाते हैं | इसमें आप किसी के घर में आराम से चाय -समोसों के साथ ताना खा कर आ जाते हैं , और आप को पता ही नहीं चलता | दो दिन बाद आपके दिमाग की बत्ती जलती है … अरे ये तो ताना था |

विशेष प्यारक -मारक ताने 

                                                तानों पर अपने अनुभव के आधार पर एक अच्छा ताना वो है जो आपको तुरंत समझ भी आ जाए और आप जवाब में कुछ कह भी न सकें | ऐसी तानों का असर बहुत लम्बे समय तक रहता है |  ऐसे बहुत सारे ताने आपको भी मिले होगे , भूले तो नहीं होंगे | दुखी मत होइए दाद दीजिये कि क्या ताना था बाल काले से सफ़ेद हो गए पर ताना दिमाग में जहाँ बैठा है वहां से रत्ती भर भी नहीं हिला | जिनको इसका अनुभव नहीं है उन्हें उदाहरण के तौर  वो ताना शेयर कर रही हूँ जो ससुराल में मेरा पहला प्यारा , प्यारा  ताना था | हर पहली चीज की तरह वो भी मुझे बहुत अजीज है | हुआ यूं की शादी के बाद एक रिश्तेदार हमारे घर आयीं | उन्होंने पिताजी द्वारा भेंट किये गए सामान को दिखाने की इच्छा जाहिर की | सामान देखते हुए वो बड़े प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरते  हुए बोलीं , ” अरे , कैसा सामान दिया है तुम्हारे पिता ने ,  हमारी लाडली बहु के साथ नाइंसाफी की है | उनके तो दो-दो बेटियाँ है , तो छोटी क्यों लाडली होगी , पर हमारी तो एक एक ही बहु है | कम से कम ये तो ध्यान रखते  कि हमारी बहु हमें कितनी लाडली है | अब इस ताने के जवाब में एक पिता की दूसरी बेटी  यानि की प्यारी लाडली बहु कुछ कह ही नहीं सकती क्योंकि वो तो इकलौती है | तो उन्हें ज्यादा धक्का लगना  स्वाभाविक है | “

कोई और बहु होती तो शायद बुरा भी मानती पर मैं तो शुरू से ही ताना शास्त्र की मुरीद रही हूँ | इसलिए मेरे मुँह से बस एक ही शब्द निकला “वाओ ” क्या ताना है | मन किया कि अभी उनके चरण छू लें , पर इससे ताने का अपमान होता | ताने के सम्मान में मैंने अपनी इच्छा मन में ही दबा ली | ऐसे प्यार भरे मारक ताने सुनने वाले अक्सर कहते   पाए जाते  हैं , ” वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता /हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम | वैसे ताना मारने वालों में अक्सर ” तानाशाही ” के गुण आ ही जाते हैं | ये तानाशाह बिना तीर -तलवारके सर कलम करते चलते हैं |

तानाशास्त्र – ताना कला को बचाने की कोशिश 

तानों की इतनी महिमा जानने के बाद मैंने भी इस कला को सीखने की पूरी कोशिश की | कुछ ताने पति की खिदमत में पेश किये  कुछ आये गए की | हालांकि अभी तक घर के बाहर बहुत सफलता नहीं मिली | अक्सर लोगों ने उससे बड़ा ताना दे कर हमारे ताने पर पानी फेर दिया | पर हमने अभी हिम्मत नहीं हारी है , प्रयास जारी है | बच्चे छोटे थे तब तक उन पर तानों  का अच्छा प्रयोग किया परन्तु जैसे ही वो बड़े हुए तानों के विरुद्ध खड़े हो गए | उनके नए ताने हैं | तानों में भी जनरेशन गैप आ जाता है | अगर आप बच्चों के साथ चलना चाहते हैं तो आपको उनकी जीवनशैली के साथ उनके तानों को भी खुले दिल से अपनाना चाहिए |

        वैसे तो ताना कभी ” इंडेंजर्ड  स्पीसीज ” घोषित नहीं होगा | पर कल को नए तानों के साथ हम पुराने तानों को भूल ही न जाएँ | इसके लिए मैंने ताना शास्त्र लिखने का पुनीत कार्य शुरू किया है | अगर आप चाहते हैं की हमारी ये प्यारी कला यूँ ही फलती -फूलती रहे तो कृपया  अपने को मिले हुए व् दिए हुए तानों को मेरे पास tanashastr@gmail.com पर भेजे | और इस यज्ञ  में अपना योगदान दें |

वंदना बाजपेयी 

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