मकान जल जाता है

1
मकान जल जाता है


जल जाना यानि सब कुछ स्वाहा हो जाना खत्म हो जाना | क्या सिर्फ आग से मकान जलता है ? बहुत सी परिस्थितियाँ हैं जहाँ आग दिखाई नहीं देती पर बहुत कुछ भस्म हो जाता है |





हिंदी कविता –मकान जल जाता है


जब राजनेता कोई घिनौनी चाल चल जाता है———
तो उससे बिहार और बंगाल जल जाता है।
सब एक दूजे को मरते-मारते है और———
हमारे खून-पसीने से बनाया मकान जल जाता है।
जिन्हें ठीक से श्लोक नही आता,
और जिन्हें ठीक से आयत नही आती,
उन्ही के हाथो———-
शहर की पूजा और अजान जल जाता है।
कर्फ्यू में–
रेहड़ी और खोमचे वाले मजदूरो के बच्चे,
आँख मे आँसू लिये,
तकते है तवे का सुनापन सच तो ये है कि,
शहर के दंगे मे———–
गरीबो और मजदूरो की रोटी का सामान जल जाता है।
सब एकदूजे को मरते-मारते है और———-
हमारे खून-पसीने से बनाया मकान जल जाता है।


बिहार और बंगाल के दंगे पे लिखी रचना।


@@@@रचयिता——रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर–222002 (उत्तर-प्रदेश)।



लेखक







यह भी पढ़ें …


आपको  मकान जल जाता है कैसे लगी अपनी राय से हमें अवगत कराइए | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको अटूट बंधन  की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम अटूट बंधनकी लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |

filed under- hindi poem, poetry, hindi poetry

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here