फैसला

0
फैसला
आज भारतीय नारी बदल चुकी है | आज वो , वो फैसला लेने की हिम्मत रखती है जिसे वर्षों पहले लेने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी | 

फैसला 

वह कई दिनों से उसे बार बार खुद को अपनाने के लिए परेशान कर रहा था I कभी फोन पर तो कभी सरे राह !
बड़ी मुश्किल से वह अपने जीवन को पटरी पर लेकर आई ही थी कि अचानक एक बार फिर शांत झील में फिर से एक कंकर फेंकने की कोशिश कर रहा था I उस दिन तो घर ही आ गया I वो तो अच्छा था बच्चे घर पर नहीं थे वर्ना ….I आखिरकार उसने मन ही मन निश्चय किया कि आज वह फैसला कर ही लेगी I 

इससे पहले कि वह एक बार फिर घर के दरवाजे पर ही गिड़गिड़ाने लगे ,उसे भीतर बुला लिया उसने I उसकी हिम्मत बढ़ी I 

कहने लगा – ‘ सोमु ,मुझे क्षमा कर दो I मैं भटक गया था I तुम्हारे जैसी पत्नी और फूल से बच्चों को छोड़ उस मायाविनी निशा के चंगुल में फंस गया था और तुमने भी तो मुझे नहीं रोका ! संभाल लेती मुझे ! वह मुझे बर्बाद कर सारे पैसे लेकर निकल भागी I वह आँखों में आंसू लिए उसके घुटने पर अपना सर रख सिसक पड़ा I मैं वादा करता हूँ सोमु !अब एक अच्छा पति ……I उसका वाक्य पूरा होने से पहले ही उसने उसके मुँह पर अपनी अंगुलिया रख दी ,उसका हाथ अपने हाथों में ले बोली – ‘ मैं सब कुछ भूलने को तैयार हूँ ,पर उससे पहले मैं भी तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ I 

हाँ हाँ कहो न ! ‘वह उत्साहित हो बोला’ मैं जनता था तुम एक सच्ची भारतीय नारी हो !एक दिन मुझे जरूर माफ़ कर दोगी I ‘

वह भीतर ही भीतर कट कर रह गयी जैसे यह सुन कर I पर उसकी आँखों की दृढ़ता कुछ और ही कह रही थी I
‘ म …म …मुझसे भी कुछ गलती हुई है ! ‘
‘क …क …कैसी गलती ? ‘ वह आशंकित हो उठा I
‘दरअसल तुम्हारे अनुपस्थिति में ……मेरे ऑफिस के एक सहकर्मी ….I ‘

बात को बीच में ही काट कर – ‘बात कितनी आगे बढ़ी थी ? ‘हाथ झटक लगभग चीख पड़ा वह I आँखों से अंगारे से बरस रहे थे जैसे I लेकिन वह उन आँखों की अनदेखी कर उसका हाथ फिर थाम बोली -‘ क्या हुआ आकाश ? क्या तुम मुझे माफ़ नहीं करोगे ?आखिर गलती तो दोनों की एक ही है न ?’
‘म ..म …मैं …’ उसकी आवाज़ मानों हलक में फंस सी गयी थी I मुख पूरा सफ़ेद !! 

सोमु एक टक निहारती हुई अचानक बोल पड़ी – ‘लो हो गया फैसला ! ‘
उसने पीठ दरवाजे की ओर की और बड़बड़ाई – तुम पहले भी गलत थे,और अब भी …अब भारतीय नारी अपने अधिकार जानती और समझती है I
मीना पाण्डेय
बिहार

लेखिका
यह भी पढ़ें …

सुकून
अहसास
तीसरा कोण
रुपये की स्वर्ग यात्रा

बस एक बार

आपको     फैसला  कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |

filed under: short stories, short stories in Hindi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here