नेगेटिव लोगों से कैसे दूर रहे

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                                 एक वाक्य जो आजकल बहुत प्रचलन में है ,  ” आप जैसा सोचते हैं वैसे बनते हैं ” | हम सब अच्छा सोचना चाहते हैं , हम सब खुश रहना चाहते हैं , पॉजिटिव  रहना चाहते हैं पर ऐसा हमेशा संभव नहीं हो पाता | कई बार परिस्थितियाँ  प्रतिकूल  होती हैं  और कई बार हमारे इर्द गिर्द के कुछ लोग हमेशा नकारात्मकता से भरे रहते हैं | ये लोग हमारे अंदर भी नकारात्मकता भरते रहते हैं |  परन्तु चाह  कर भी हम उनसे दूर नहीं हो पाते क्योंकि वो या तो हमारे परिवार और करीबी लोग होते हैं या फिर साथ काम करने वाले | ऐसे में ये प्रश्न उठाना स्वाभाविक है कि हम नेगेटिव लोगों से कैसे दूर  रहे |

नेगेटिव लोगों से कैसे दूर  रहे

नेगेटिव लोगों से कैसे दूर  रहे 

                       सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहती हूँ कि पॉजिटिव और नेगेटिव परिस्थितियों से मिलकर हमारा जीवन बना है | हम हर समय पॉजिटिव नहीं रह सकते , न ही  नेगटिव रह सकते हैं | परिस्थितियां तो आएँगी ही जो  हमें अपने अनुसार ढालने का प्रयास करेंगी |  ज्यादातर पॉजिटिव रहने के लिए जरूरी है कि हमारे आस -पास के लोग  पॉजिटिव हों परन्तु ऐसा हमेशा नहीं होता | नकारात्मक लोग हमारे जीवन का काम का हिस्सा होते हैं | जो हमारे अच्छे खासे पॉजिटिव मूड को नेगेटिव कर देते हैं |  अगर ऐसा है  तो आप को पॉजिटिव बने रहने के लिए कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगीं |

अपने बचाव की रणनीति बनाएं 

                                              अगर नेगेटिव लोग आपके आस -पास हैं और आप पर बुरा प्रभाव  पड़ रहा है तो जाहिर तौर पर आपको खुद को बचाना चाहिए | जैसे अगर आप के घर के सामने की बिल्डिंग बन रही है तो आप के घर में धूल  आएगी ही | यहाँ पर आप ये तो नहीं कह सकते कि आप अपना घर बनाना बंद कर दें | आप कितना भी कहें धरना प्रदर्शन करें उनका घर तो बनेगा और आपके घर में धूल  मिटटी आएगी ही | बेहतर होगा कि आप परिस्थिति को स्वीकार करें व् बचाव की रणनीति अपनाए जैसे आप अपनी खिड़कियाँ बंद कर लें , परदे डाल  कर रखे ताकि कम धूल  आये |  इसी तरह से अगर नेगेटिव लोग आपकी जिंदगी में आ गए हैं , चाहे वो रिश्तों में हों या ऑफिस में आप उनके साथ कम से कम इंटरेकशन करें | दिव्या को जब पता चला कि उसकी जेठानी इसलिए उसके  गायन  में नुक्स निकालती है ताकी वो डर कर गाना छोड़ दे तो उसने अपना रियाज छोड़ने के स्थान पर जेठानी जी से पूछना बंद कर दिया कि सुर ठीक से लगे हैं या नहीं | आज सब दिव्या के गाने की तारीफ़ करते हैं , हालांकि उनकी जेठानी अभी भी उसमें दस बुराइयां ढूंढ लेती हैं | पर अब दिव्या को फर्क नहीं पड़ता |

जानने का प्रयास केलिए कि वो नेगेटिव क्यों है 

                                                      आज पॉजिटिव थिंकिंग पर जोर दिया जा रहा है , हम सब चाहते हैं कि हमारे आस -पास पॉजिटिव लोग रहे | पर हमेशा जो लोग हमारे पास नकारात्मक दिखाई दे रहे हैं वो वास्तव में नकारात्मक नहीं हैं , परिस्थितियों ने उन्हें ऐसा बना दिया है | कई बार स्टे पॉजिटिव के नशे में हम अपना मूलभूत स्वाभाव सहानुभूति व् समानुभूति खो देते हैं | याद रखिये बचपन में कोई बच्चा नकारात्मक नहीं होता | परिस्थितियाँ उन्हें ऐसा बना देती हैं | जो हमारे करीब के लोग हैं हमें उनकी परिस्थिति को समझना होगा कि आखिर वो ऐसा क्यों कर रहे हैं | इससे न सिर्फ उनकी व् हमारी नकारात्मकता दूर होगी बल्कि हम ज्यादा अच्छे रिश्ते बना पायेंगे |

 मीरा के चहेरे भाई की  स्कूल पिकनिक पर नदी में डूब कर मृत्यु हो गयी थी | शादी के बाद वो अपने पति को कहीं भी टूर पर जाने से रोकती अगर वो जाता तो हर आधे घंटे में फोन कर पूछती कि क्या वो ठीक है ? ऑफिस में उसके पति का माज़क बनने लगा , उसके जी में आया कि उसके बारे में मीरा हर समय गलत सोचती है , उसे विश्वास  नहीं है क्यों न इस रिश्ते  को खत्म कर लूँ | अंतिम फैसला लेने से पहले उसने मीरा से बात करने का निश्चय किया | प्यार भरे शब्दों से मीरा टूट गयी | उसने अपने बचपन का वो दर्द बता दिया जिसे वो भूल कर भी याद नहीं करना चाहती थी पर जो उसके  अवचेतन में हर पल जिन्दा था | पति के प्यार  व् सहानुभूति से वो डर धीरे -धीरे निकल गया | ऐसे बहुत से कारण होते हैं जो लोगों को हमेशा के लिए नकारात्मक बना देते हैं | अगर आप के आस -पास भी ऐसे लोग हैं तो आप कारण जानने  का प्रयास करें … हो सकता हैं उन्हें प्यार व् सहानुभूति से फिर से नार्मल किया जा सके |

करे खुद की रीसाइकिलिंग 

                                     पानी का एक साइकिल है वो गन्दा हो जाता है तो उसे एक प्रोसेस द्वारा फिर से साफ़ कर लिया जाता है | एक प्रोसेस नेचर का बनाया हुआ है और एक प्रोसेस हमारे जल विभाग ने बनाया है | आपको भी इन  नकारात्मक लोगों के साथ वक्त बिताने के बाद थोडा समय खुद की रीसाइकिलिंग में लगाना चाहिए | आप देखेंगे कि जो लोग आप के आस -पास नकारात्मक हैं वो , ऐसा काम नहीं कर पाए हैं , या ऐसे चीज नहीं पा पाए हैं जो आपके पास है | इस कारण वो नीचा महसूस कर रहे हैं | उनकी कोशिश यही होगी कि वो आप को नीचा दिखाए या नकारात्मक कर दें जिससे आप उनके लेवल पर आ जाए जिससे उन्हें अच्छा महसूस हो | कई बार ये बात जानते हुए भी हम नकारात्मकता  के साइकिल में फंस जाते हैं | ऐसे में जरूरी है रीसाइकिलिंग |

                                                      मेघना पढने में बहुत अच्छी थी व् प्रियंका सामान्य | मेघना के बहुत से सपने थे , सपने प्रियंका के भी थे पर वो जानती थी कि इतनी मेहनत उससे हो नहीं सकेगी तो वो रोज -रोज  मेघना से कहती , ” यार इतनी मेहनत कर के बचपन मार कर कुछ पा भी लिया तो क्या फायदा | सफलता तो बड़े पर किसी और काम में भी मिल सकती है पर ये समय तो चला जा रहा है | मेघना जब उसकी बात सुनती तो थोड़ी देर उसे भी लगता कि पढाई में क्या रखा है , भाग्य में सफलता होगी तो अपने आप बड़े पर जब किसी काम में हाथ डालेगी तो मिल ही जायेगी | लेकिन कुछ दिन बर्बाद करने के बाद जब उसे होश आता तो उसका मन ग्लानी से भर उठता कि उसने इतन समय बर्बाद कर दिया |

                                   समस्या को समझने के बाद मेघना ने खुद को रीसाइकिल करना शुरू कर दिया | प्रियंका जब उसे कुछ भी नकारात्मक बातें कहती , मेघना घर आ कर कोई मोटिवेशनल किताब या लेख पढ़ लेती या फिर कोई मोटिवेशनल यू ट्यूब वीडियो देख लेती | उसमें फिर से सकारात्मकता आ जाती | अगर आप की जिन्दगी में भी कोई नकारात्मक व्यक्ति है जिसकी बातें आप को प्रभावित करती हैं तो हर रोज थोडा समय खुद की रीसाइकिलिंग के लिए निकाले | किताबों के अतरिक्त आप अपनी तरह से कुछ और कर सकती हैं …. जैसे संगीत सुनना , कुछ खेलना , नृत्य करना , बागवानी करना , कुकिंग करना या फिर ध्यान करना आदि |

नज़रअंदाज करें 

                 आपके ऑफिस का बॉस है या घर का सदस्य  हैं जो ज्यादातर समय नेगेटिव ही रहता है , उससे बचने के लिए आप उसको नज़रअंदाज कर सकते हैं | जैसे कि अगर आप देखते हैं कि उसका मूड बहुत खराब है तो उस समय उससे बात न करके कोई और काम करें या फिर अगर बात करना बहुत जरूरी हो तो  कम से कम बात करें |  कई बार ऐसा करना संभव नहीं होता है तो खुद को मानसिक रूप से अलग कर लें | आप को किसी की बात इतनी बुरी  इस लिए लगती है क्योंकि आप उससे भावनात्मक रूप से बहुत जुड़े होते हैं | अगर आप मानसिक रूप से खुद को अलग कर लेते हैं तो आप पर किसी के द्वारा आरोपित की गयी नकारात्मकता को कोई असर नहीं पड़ेगा |

कहते  हैं कि सुकरात की पत्नी बहुत झगडालू थी | सुकरात एक महान दार्शनिक थे , अगर वो अपनी पत्नी के द्वारा कही गयी छोटी -छोटी बातों से प्रभावित होते तो वो कभी भी इतनी गहराई से नहीं सोच अकते थे परन्तु वो मानसिक रूप से  डिटैच थे जिस कारण उनकी कड़वी  बातें सुकरात को प्रभावित नहीं करती थीं |

अंग्रेजी में एक कहावत है कि ” किसी मूर्ख से बहस न करें , आप अवश्य हार जायेंगे क्योंकि उसे मूर्खता का ज्यदा अनुभव है “| 

अगर ऐसे लोग आपके इर्द -गिर्द हैं जो नकारात्मक बातें कर के आप को तर्क द्वारा नकारात्मक करना  चाहते है ताकि आप जीवन के केवल बुरे  पहलू देखें | जैसे जब आप बुलेट ट्रेन की बात करें तो वो कहें कि हमारे देश में आदमी भूँख से मर रहा है और आपको बुलेट ट्रेन की पड़ी है | जब आप कहें कि चलो ये चीज सस्ती हुई है तो वो कहें , विकास में हमारा देश कितना पिछड़ा है , दूसरे देशों में तो टेस्ला की कारें चल रही हैं | दरअसल ऐसे लोगों का उद्देश्य तर्क में जीत कर खुद को ऊँचा साबित करना होता है पर उन तर्कों के कारण आप नकारात्मक हो जाते हैं | ऐसे बहसों में न उलझे |
अगर उनसे हार जाने में आप का सारा दिन अच्छा बीतता है तो ये सौदा बुरा नहीं है |

टॉक्सिक रिश्तों को करें बाय 

                                          इन सब लोगों के अलावा कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो वास्तव में टॉक्सिक होते हैं | लड़ झगड़ कर हमारी ऊर्जा खींच लेना इनका काम है | ये न खुद कुछ करते हैं न दूसरों को करने देते हैं | अगर ऐसे लोग आपके जीवन में हैं चाहे वो कितने भी करीब हो उनके बारे में एक बार कठोर निर्णय ले कर आप को अपना रास्ता अलग कर हिलना चाहिए |

शिबी का पटी शराब पी कर मार पीट करने वाला था | शिबी के दो बच्चे छोटे -छोटे थे | उसने हर संभव प्रयास किया कि पति शराब छोड़ कर सामान्य पति व् पिता की भूमिका निभाए पर उसकी आदत खत्म नहीं हो सकी | शराब पी कर लड़ने , झगड़ने का बुरा प्रभाव बच्चों पर पड  रहा था | घर का वातावरण पूरी तरह से नकारात्मक हो गया था | तब शिबी ने पति से अलग होने का निर्णय ले लिया | आज वो बच्चों के साथ अलग रहती है | और बच्चों को अच्छी शिक्षा व् संस्कार दे प् रही है | अगर किसी की जिंदगी में ऐसा नकारात्मक व्यक्ति हो तो उससे खुद को पूरी तरह दूर कर लेना बहुत जरूरी है |

                                  तो ये थे कुछ  तरीके जिससे आप नेगेटिव लोगों से खुद को दूर कर सकते हैं | पॉजिटिव रहने के लिए सिर्फ इतना ही काफी नहीं है , जरूरी है कि हम परिस्थितित्यों में कुछ सकारात्मक देखें |

नीलम गुप्ता

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