डॉन्ट डिस्टर्व मी

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डॉन्ट डिस्टर्व मी

     
 
 घर और बाहर दोहरी जिन्दगी जीने वालों के चेहरे , चल , चरित्र और सोच भी दोहरी हो जाती है | उत्तर जानने के लिए पढ़िए  लघु कहानी 



डॉन्ट डिस्टर्व मी





क्या रोज की खीच -खींच मचा रखी है
“तुमने यह नहीं किया तुमने वो किया ” यह कहते हुए सोनाली ने शुभम को
अनदेखा कर अपना पर्स उठाया और चल दी । आटो स्टैण्ड पर आ आटो
  में बैठ ऑफिस की ओर
चल दी
, उतर कर कुछ दूरी ऑफिस के लिए पैरों भी जाना होता था । आफीस में
पहुँचते ही उसे साथी ने टोक दिया “कि आप लेट हो गयी
,”मुँह बना अपने
केविन की ओर जा ही रही थी कि पिओन आ बोला “साहब
, बुलाते है , पर्स रख साहब के
केविन में पहुँची
,जी सर  । साहब जो एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति था , बोला “व्हाट
प्रोब्लम
, वाय आर यू सो लेट ?
सर आइ नोट लेट , आइ हेव सम प्रोव्लम
आइ ट्राई नाट कम टू लेट । अपनी बात को कहते हुए आगे वॉस के आदेश का
इन्तजार करने लगी ।
  



     
   
दो मिनट के मौन के बाद वॉस ने आदेश
देते हुए कहा कि ” सी मी फाइल्स आॅफ इमेल्स
, सेन्ट  टुमारो” मिसेज सोनाली । “यस
सर
, इन फ्यू मिनट्स ” कहते हुए अपने केविन की ओर चल दी । और
फाइल्स को निकालने लगी
  । लगभग पन्द्रह मिनट्स बाद फाइल्स हाथ में लेकर वाॅस के आकर बोली देट्स फाइल्स ।





     
   
फाइल्स देखते  हुए वाँसजो एक अधेड़ उम्र का
था
, गुड सोनालीकहते हुए प्रोमोशन का आश्वासन दिया । प्रफुल्लित होते हुए घर चली
आई दरवाजे पर पैर रखते ही
 सुबह  शुभम के साथ घटित वाक्या पुनः याद आ गया ।
डा मधु त्रिवेदी

लेखिका

संक्षिप्त परिचय 
—————————
पूरा नाम : डॉ मधु त्रिवेदी 
पदस्थ : शान्ति निकेतन कालेज आॅफ
 बिजनेस मैनेजमेंट एण्ड कम्प्यूटर 
साइंस आगरा 
प्राचार्या,
पोस्ट ग्रेडुएट कालेज आगरा 


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