मिलाप

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लघुकथा -मिलाप
ताला चाभी … एक ऐसा रिश्ता जो एक दूसरे की जरूरत हैं | हम इंसानों के रिश्ते भी कई बार जरूरत के कारण 
बन जाते हैं …. ये रिश्ते खून के नहीं होते , जान-पहचान या दोस्ती के भी नहीं होते , पर दोनों एक दूसरे के जीं में किसी कमी को पूरा कर रहे होते हैं | अचानक से हुआ इनका मिलाप इन्हें एक नए रिश्ते मैं बांध देता है …….

लघुकथा -मिलाप 

   शाम हो चुकी थी। एक बेहद विक्षिप्त लड़का नदी
किनारे आकर उसमें कूद जाने की तैयारी में था। तभी उसने एक बूढ़े व्यक्ति को नदी में
छलांग लगाते देखा। वह अपना कूदना भूलकर बूढ़े को बचाने के लिए पानी में फौरन उतर
गया। उसे तैरना भलीभांति आता नहीं था। उसे बड़ी मशक्कत करनी पड़ी। वह किसी तरह बूढ़े
को खींचकर पानी के बाहर तट पर ले आया। बूढ़ा व्यक्ति नीम बेहोशी में था। उसने लड़के
से पूछा
, ‘‘मुझे…मुझे क्यों
बचाया….
? मैं जीना नहीं
चाहता।
’’

   लड़के ने पूछा, ‘‘क्यों ?’’

   बूढ़े ने कहा, ‘‘मैं बिल्कुल अकेला हो गया हूं। मेरा एक ही बेटा था। वह मुझे
छोड़कर चला गया। लेकिन मुझे लगता है
, तुम भी कूदनेवाले थे। तुम्हारी क्या मजबूरी है ?’’


   लड़का डबडबा गया। उसने कहा,
‘‘
मैं भी अकेला हो गया हूं। कुछ समय पहले मां
चली गई। अब पिता भी छोड़ गए।
’’

   दोनों गहरी उदासी में डूब गए और शून्य में
ताकते रहे। रात उतरने लगी तो दोनों सड़क की तरफ बढ़ चले। सड़क पर आते-आते दोनों
एक-दूसरे के नजदीक आने लगे। सड़क पर आते ही बूढ़े ने लड़के का हाथ पकड़ लिया और निराशा
से निकलने की कोशिश में पूछा
, ‘‘क्या तुम मेरे साथ रहोगे ?’’

   लड़के ने आसमान की ओर देखा। हल्के अंधेरे में
एक तारा झिलमिलाता दिखा। तारे की रोशनी उसकी आंखों में भर गई। उसने हल्की मुस्कान
के साथ कहा
, ‘‘हां,
मैं आपके साथ चलूंगा।’’
   

                                                 
ज्ञानदेव
मुकेश  


लेखक -ज्ञानदेव मुकेश







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