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Yearly Archives: 2015
गिरीश चन्द्र पाण्डेय “प्रतीक” की कवितायें
अब रेखाएं नहीं
अब तो सत्ता तक पहुचने का कुमार्ग बन चुकी हैं
हर पाँच साल बाद
फिर रँग दिया जाता है
इन रेखाओं को
अपने-अपने तरीके से
अपनी सहूलियत...
तौबा इस संसार में …… भांति- भांति के प्रेम
वसन्त ऋतु तो अपनी दस्तक दे चुकी है , वातावरण खुशनुमा है ,पीली सरसों से...
गणतंत्र दिवस पर विशेष – भारत की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाना होगा
गणतन्त्र दिवस यानी की पूर्ण
स्वराज्य दिवस ये केवल एक दिन याद की जाने वाली देश भक्ति नही है बल्कि अपने देश
के गौरव ,गरिमा की...
ये ख़ुशी आखिर छिपी है कहाँ
कौन है जो खुश नहीं रहना चाहता, पर हम जितना ख़ुशी के पास जाने की कोशिश करते हैं वो उतना ही दूर भाग जाती...
राधा क्षत्रिय की कवितायेँ
प्रेम मानव मन का सबसे खूबसूरत अहसास है प्रेम एक बहुत ही व्यापक शब्द है इसमें न जाने कितने भाव तिरोहित होते हैं...
पुरुस्कार
पुरूस्कार
सुबह साढ़े ६ बजे का समय
स्नेह रोज पक्षियों के उठने के साथ उठकर पहले बालकनी में जाकर अपने पति विनोद जी
के लिए अखबार लाती...
पुदी उर्फ़ दीपू
‘तुम्हारा नाम क्या है दीपू...
अटूट बंधन अंक -३ सम्पादकीय
चलो
थाम लें एक दूसरे...