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Yearly Archives: 2016
कहाँ हो -मै बैंक /डाक घर में हूँ
संजय वर्मा 'दृष्टि '
पुराने 500 व 1000 की करेंसी नोट लीगल टेंडर नहीं होने के बाद नए 500 व् 2000 के करेंसी नोट के चलन...
सोनम , आयशा या एरिका – आखिर महिलाओं की सरेआम बेईज्ज़ती को कब...
वंदना बाजपेयी
अभी कुछ दिन पहले जब सोशल मीडिया देश नोट बंदी जैसे गंभीर मुद्दे पर उलझा हुआ था | हर चौथी पोस्ट इसके समर्थन...
समीक्षा – “काहे करो विलाप” गुदगुदाते ‘पंचों’ और ‘पंजाबी तड़के’ का एक अनूठा संगम
हिंदी साहित्य की अनेकों विधाओं में से व्यंग्य लेखन “एक ऐसी विधा है जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय हैं और सबसे ज्यादा मुश्किल भी!” कारण...
दीपावली पर जलायें विश्व एकता का दीप
- डॉ. जगदीश गांधी,
शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक,
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ
(1) कितने भी संकट हो प्रभु कार्य समझकर विश्व एकता के दीप जलाये रखना चाहिए :-
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फीलिंग लॉस्ट : जब लगे सब खत्म हो गया है
आज मैं लिखने जा रही हूँ उन तमाम निराश हताश लोगों के बारे में जो जीवन में किसी मोड़ पर चलते – चलते अचानक...
“अंतर “- अभिव्यक्ति का या भावनाओं का – ( समीक्षा – कहानी संग्रह :...
सही अर्थों में पूछा जाए तो स्वाभाविक लेखन अन्दर की एक बेचैनी है जो कब कहाँ
कैसे एक धारा के रूप में बह निकलेगी ये
लेखक...
ये तिराहा हर औरत के सामने सदा से था है और रहेगा –
" तिराहा "एक ऐसा शब्द जो रहस्यमयी तो है ही सहज ही आकर्षित भी करता है | हम सब अनेक बार अपने जीवन में...
डॉ. रमा द्विवेदी के साहित्य में “भविष्य की नारी कल्पना” – शिल्पी “मंजरी”
“स्त्री विमर्श” एक ज्वलंत विषय के रूप में प्राचीन काल से ही किसी न किसी बहाने, प्रत्यक्ष या परोक्ष परिचर्चा का बिन्दु रहा है-...
हिंदी दिवस पर विशेष – हिंदी जब अंग्रेज हुई
वंदना बाजपेयी
सबसे पहले तो आप सभी को आज हिंदी दिवस की बधाई |पर जैसा की हमारे यहाँ किसी के जन्म पर और जन्म दिवस...