Monthly Archives: January 2017
ऐसे थे हमारे कल्लू भईया! (एक सच्ची कहानी)
बात 1986 की है मैं उस समय हाईस्कूल का छात्र हुआ करता था। मेरी दोस्ती हुई राजीव मिश्रा नाम के एक सहपाठी के साथ।...
घरेलू पति
विशेष सोच रहा हैं। आने का सम्भावित समय निकल गया हैं।………अब तो सात भी बज चुके हैं। शंका-कुशंका डेरा डालने लगी थीं।………अणिमा अब तक...
अंधी खोहों के परे
सांझ की धुंध में, रात की स्याही घुलने लगी थी. सर्दहवाओं के खंजर, सन्नाटे में सांय- सांय करते…उनकी बर्फीली चुभन, बदन में उतरती हुई....
अस्तित्व
अम्बा … पर्वतों की छाँव पिथौरागढ़ में रहनेवाली है । उसकी पांच बेटियां व एक बेटा सुधीर है । बचपन से ही पांच बहिनों...
पतुरिया
“अम्मा मैं बहुत अच्छे नम्बर से पास हो गई हूँ । अब मैं भी पी सी एस अधिकारी बन गयी ।”
बेटी दुर्गा ने अपने...
फिर एक बार
फैक्ट्री कासालाना जलसा होना था. तीन ही सप्ताह बच रहे थे. कायापलट जरूरी हो गया;बाउंड्री और फर्श की मरम्मत और कहीं कहीं रंग- रोगन...
बेबस बुढापा
उमा के कॉलेज की छुट्टी आज साढे चार बजे ही हो गई। वैसे तो कॉलेज का समय एक से छः बजे तक है, परन्तु...
तबादले का सच
शालिनी का आज दफ्तर में पहला दिन था। सुबह से काम कुछ न किया था बस परिचय का दौर ही चल रहा था।बड़े साहब...
किट्टी पार्टी
आज रमा के यहाँ किट्टी पार्टी थी। हर महीने होने वाली किट्टी पार्टी का अपना ही एक अलग उत्साह रखता था। लगभग तीस महिलाओं...
विश्व में शांति की स्थापना के लिए महिलाओं को सशक्त बनायें!
किसी भी बालक के व्यक्तित्व निर्माण में ‘माँ’ की ही मुख्य भूमिका:-
कोई भी बच्चा सबसे ज्यादा समय अपनी माँ के सम्पर्क में रहता है...