Friday, April 19, 2024
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Monthly Archives: May 2017

निर्भया को न्याय है

रचयिता-----रंगनाथ द्विवेदी। जज कालोनी,मियाँपुर जौनपुर। ये महज़ फाँसी नहीं--------------- उस निर्भया को न्याय है। जो चीखी,तड़पी,छटपटाई तेरी विकृत कुंठा के डाले गये वे सरिये, कितने घृणित थे! काश तुम्हारी माँ ने कहा...

सेल्फ केयर : आखिर हम खुद को सबसे आखिरी में क्यों रखते हैं

हमेशा सबकी मदद करने के लिए आगे रहिये ,  पर खुद को पीछे मत छोड़ दीजिये –   अज्ञात                माँ को...

स्माइल

मुस्कान वो चाबी है जो हर किसी के दिल का ता ला खोलने में सक्षम है 

पिता के नाम तरुण कार्ल मार्क्स का पत्र

19 वर्ष के कार्ल मार्क्स ने बर्लिन से अपने पिता को यह ख़त लिखा था जिसमें बर्लिन में बिताये अपने एक साल का लेखा-जोखा...

नाउम्मीद करती उम्मीदें – निराशा , अवसाद , चिंता के चक्रव्यूह से कैसे...

वरदान प्राप्त हैं वो लोग जो उम्मीदों से परे जीते हैं , क्योंकि वो कभी निराश नहीं होंगे – अलेक्जेंडर पोप                    बहुत पहले एक कहानी पढ़ी थी...

पाठ की तुलना

अपने पाठ एक से दूसरे के पाठ २० की तुलना मत करिए 

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