प्रेम की ओवर डोज

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प्रेम का सबसे सही प्रमाण विश्वास है-अज्ञात 

निधि की शादी को चार साल हो गए हैं
वह पति के साथ नासिक में रहती है
| |उसके पति उसे बहुत प्रेम करतें हैं | उसका दो साल का बेटा है | निधि के माता पिता निधि की
ख़ुशी देख कर बहुत खुश होते हैं
| अक्सर बताते नहीं
थकते उनके दामाद जी उन्की बेटी से कितना प्रेम करते हैं
| जब भी निधि मायके आती है साथ साथ आते हैं और उसे साथ ही वापस ले जाते हैं | जहाँ भी निधि जाना चाहती है अपना हर काम छोड़ कर उसके साथ जाते हैं | अगर कभी निधि को अकेले मायके आना पड़ता है तो दिन में ६ बार फोन कर
के उसका हाल
चाल लेते हैं | ऐसी कौन सी पत्नी होगी जो अपने भाग्य पर न इतराए | किसके माँ पिता ये सब देख कर गर्व न महसूस
करते होंगे
|लिहाजा निधि के माता पिता भी हर आये गए से उसके भाग्य
की प्रशंसा करते
| जब निधि भी उपस्तिथ होती तो हँस कर
हां में समर्थन करती
| धीरे धीरे ये हँस कर किया गया समर्थन मुस्कुरा कर फिर मौन , फिर भावना रहित समर्थन में बदलने लगा | एक दिन उसकी माँ यूँ ही दामाद जी की तारीफ कर रहीं थी तो निधि फूट फूट कर रोने लगी ,” बस करो माँ , बस करो , वो मुझे प्यार नहीं करते , मुझ पर शक करते हैं | इसी कारण एक पल भी मुझे अकेला नहीं छोड़ते | बार बार फोन करके कहाँ हो क्या कर रही
हो पूंछते रहते हैं
| अब मैं थक गयी हूँ माँ , अब नहीं सहा जाता |
                 
                     
         अब अवाक रहने की
बारी माता
पिता की थी | शक्की पति या पत्नी से निभाना बहुत कठिन होता है | बेटी इतना कष्ट सह रही थी पर उन्हें भनक तक नहीं लगी | कैसे लगती ? प्रेम को हम बहुत फ़िल्मी तरीके से
लेते हैं
| मुझे ये पुराना गीत याद आ रहा है
बैठा रहे सैंया नैनों को जोड़े /एक
पल अकेला वो मुझको न छोड़े
नहीं कोई जिया को कलेश /पिया का घर
प्यारा लगे
क्या हम कभी सोंचते हैं की एक पल
अकेला न छोड़ना प्रेम की निशानी नहीं है
| ज्यादातर मामलों में प्रेम की इस ओवर डोज के पीछे क्रूर मानसिकताएं
छुपी होती हैं
| जिनमें शक्की होना , पजेसिव होना या सुपर डोमीनेटिंग होना , होती हैं | अगर शादी के एक साल बाद भी प्रेम की
ओवर डोज दिखाई दे रही है तो अपने और अपनी बेटी के भाग्य पर इतराने की जगह मामले की
तह तक जाने की जरूरत है
| हो सकता है आपकी बेटी , बहन , भांजी , भतीजी की नकली हंसी के पीछे बहुत गहरा दर्द छिपा हो | क्योंकि आजकल ज्यादातर परिवार एकल हैं तो निश्चित तौर पर वो अकेले
घुट रही होगी
| तब खुल कर बात करने की जरूरत है
क्योंकि यह कई बार अवसाद अलगाव या बच्चों की खराब परवरिश के नतीजे ले कर आता है
|

कैसे पहचाने प्रेम की ओवर डोज को




ऊपर  के उदाहरण में  नेहा ने जब तक समझा की ये प्यार नहीं बंधन है तब
तब तक बहुत देर हो चुकी थी | नेहा की तरह अनेक लड़कियों /लड़कों को इस बात को समझने
में समय लग जाता है की वो प्रेम की ओवरडोज के शिकार हैं |जब तक बात समझ आती है
  तब तन शिकार का मानसिक संतुलन बिगड़ चुका होता
है | उसका सेल्फ कांफिडेंस ,सेल्फ एस्टीम आदि नष्ट हो चुकी होती है |कई बार वो इस
लायक नहीं रहता कि वो बाहर की दुनिया का सामना कर सके | बेहतर है की इसके लक्षणों
को समय रहते पहचाना जाए …


1)उसकी एक निगाह हमेशा आप पर रहती हैं | वो हर वक्त ये जानना चाहता है
की आप कहाँ हैं और क्या कर रहे हैं | अगर किसी से बात की तो उससे क्या – क्या बात
की | अगर आप उसका फोन नहीं उठाते हैं तो वो आप की माँ , पडोसी दोस्त से फोन कर
आपके बारे में जानना चाहेंगे की आप कहाँ हैं ?

2) ये सच है की जीवनसाथी के
साथ एक अटूट रिश्ता होता है | फिर भी हर किसी की सहेलियों व् दोस्तों का ,
पड़ोसियों अपना एक दायरा होता है | जहाँ हम बातें शेयर करते हैं | हँसी  मजाक करते
हैं | हर किसी को इस “मी टाइम “ की जरूरत होती है | अगर आप का साथी दूसरों के साथ
समय बिताने पर
  चिढता है तो आप इसे खतरे का
संकेत समझें |

3 )अगर आप का साथी आप को हर बात में डिक्टेट करें , मसलन आप कैसे कपडे
पहनें , कैसे चप्पल पहने , पर्स लें या बिंदी लगायें तो सतर्क हो जाएँ | शुरू –
शुरू में यह काम वो प्यार के नाम पर करेगा / करेगी |उसका साधारण सा वाक्य होगा की
वो आप को बहुत प्यार करता है इस कारण वह आप को सबसे सुन्दर सबसे अलग देखना चाहता
है |इस वाक्य पर आप अपनी चाबी उसे आसानी से दे देती हैं |

4 ) आपके जो भी दोस्त , रिश्तेदार – नातेदार विपरीत लिंगी हैं उन्हें
वो नापसंद करेगा | शुरू में वो किसी एक के बारे में बात करेगा की उसमें ये कमी है
वो कमी है …तुम उससे बात न किया करो | परन्तु अगर ये पैटर्न रिपीट हो रहा है तो
आप को सतर्क होने की आवश्यकता है |

5)वो आप की आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की इच्छा का न केवल खुल कर विरोध
करेगा बल्कि हर संभव प्रयास करेगा कि आप आर्थिक रूपसे उस पर निर्भर रहे | आर्थिक
निर्भरता के कारण वो आपको जैसे डिक्टेट करेगा वैसे आप को
 पड़ेगा |

६) अधिकतर वो आपसे बिना बात झगडा करते हैं | इसमें वो जरूरत से ज्यादा
एग्रेसिव हो जाते हैं | झगडे के बाद आपको पता चलता है कि यह झगड़ा मात्र इस वजह से
हुआ था कि आप ने किसी से थोड़ी देर ज्यादा बात कर ली | चाहे वो बात फोन पर ही क्यों
न हुई हो |



प्रेम की ओवरडोज  से कैसे
निकले



                            
कौन नहीं चाहता रिश्तों में प्यार , अपनापन और देखभाल पर अगर ये ओवर डोज आप
को अन्दर ही अन्दर खोखला कर रही है तो आपको सतर्क होने की जरूरत है | हम सब किसी
भी रिश्ते को शुरू से नहीं तोडना कहते हैं | शुरू में कुछ सावधानी करने पर रिश्ता
बचाया भी जा सकता है | तो हम इसे दो स्टेप में  बाँट सकते हैं |



शुरू में लिए जाने वाले स्टेप


1 ) अपने साथी के ऐसे व्यवहार के बाद भी आप उनके प्रति प्रेमपूर्ण बने
रहे |ऑफिस  से आने पर ऐसे दिखाए जैसे की आपको इन झगड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता |आपको
सुन कर उल्टा लग रहा होगा पर अपका कांफिडेंस देख कर उसे अपने व्यव्हार में
परिवर्तन करने की जरूरत महसूस होगी |  
2 ) आप अपने दोस्तों को अपने साथी से मिलवाइए और पूरी कोशिश करिए की
एक स्वस्थ ’फैमिली फ्रेंडशिप हो | कई बार ओवर पजेसिव नेस की रूट में “फीयर ऑफ़
अननोन” होता है हो सकता है सबसे मिल कर उसका भय जाता रहे |



3 ) अपने साथी के विपरीत लिंगी  दोस्तों से खुलकर मिलिए | उदार
व्यव्हार करिए |ये धीरे – धीरे आपके साथी के स्वाभाव में परिवर्तन ला सकते हैं |
जिससे वो आपके दोस्तों , परिवार के प्रति ईर्ष्यालु न हो |


4 ) उन चीजों की लिस्ट बनाइये जिनके बिना आप नहीं रह सकती | चाहे वो
आपके कुछ रिश्तेदार , कपडे या काम हों | और उनमें कोई समझौता न करिए |


5 ) अपने पार्टनर को अल्टीमेटम दे दीजिये कि आपका व्यव्हार बर्दाश्त
के बाहर है | अगर आप ने ४ या ६ महीने के अंदर अपना व्यवहार नहीं बदला तो आप रिश्ता
तोड़ देंगी | इस समय के दौरान रोइए धोइए नहीं बल्कि अपने साथी को अपने को  एक  महबूत महिला के रूप में दिखाइये | जिससे उसे
लगे की जो आप कह रही है वो कर गुजरेंगी |


बाद में लिए जाने वाले स्टेप



                   अपने साथी
से बात चीत और मनोवैज्ञानिकों से सलाह लेने के बाद भी अगर आप का साथी अपना स्वभाव
नहीं बदल रहा है तो बेहतर है ऐसे रिश्ते से बाहर आ जाएँ | हालांकि ये इतना आसान
हैं होता | बरसों ऐसे रिश्ते में रहने के कारण आप का सेल्फ कांफिडेंस शून्य हो गया
होता है | इसलिए आप को कुछ महत्वपूर्ण स्टेप लेने पड़ेंगे |
     
1)अपने परिवार , खास दोस्तों और परिचितों से अपनी समस्या के बारे में
बात करिए | इससे आपको अपने चारों ओर भावनात्मक कवच महसूस होगा | और आपको लगेगा कि
आप अकेले नहीं हैं |


2)ये एक दर्दनाक समय है | अलगाव आपके लिए भी आसान नहीं होगा | इतने
सालों के रिश्ते में कुछ अच्छी बातें भी होंगी | अलग होते ही दोनों ध्यान आयेंगे |
यानि अलग हो कर भी आप अलग नहीं हो पायेंगी | क्योंकि वो आपके विचारों में रहेंगे |
बेहतर है आप इन ख्यालों को अपने ऊपर हावी न होने दें |


3 ) ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रहने की कोशिश करें |उन लोगों का साथ लें
जो किसी एक्टिविटी में व्यस्त हों , आप भी उनके साथ व्यस्त हो जाएँ |

4) कुछ समय के लिए उन यादों से दूर आप किसी दूसरे शहर भी जा सकते हैं
|

5) अपने साथी से दोबारा मिलने की कोशिश न करें | अगर मिलना भी पड़े तो मुलाकात
बहुत संक्षिप्त हो |


                                                 
ये समझने की बात है की प्रेम की ओवरडोज सामान्य बात नहीं है |  जरूरी है समय रहते इसे सुधार लिया जाए या ऐसे
रिश्ते से बाहर आ जाया जाए | 




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16 COMMENTS

  1. यही दर्द था रत्ना का -सबसे कट कर अपने व्यक्तित्व को नकार कर जीना मुश्किल होता है ,थोड़ा अवकाश बहुत ज़रूरी है ,पुरुष को मिल जाता है स्त्री छोटी-सी सीमा में घुट कर रह जाती है .

  2. प्रेम का आधार विश्वास न कि हर समय फ़िक्र सुन्दर एवं विचारणीय आभार "एकलव्य"

  3. छोटी सी कथा में जीवन का कडवा सच उद्घाटित हुआ है | शक गृहस्थी के लिए विष के समान है | हर समय की फ़िक्र को प्रेम का नाम देना बेहद संकुचित मानसिकता को दर्शाता है | सच है जब प्रेम की अतिरेकता हो तो इसके पीछे के कारण पर दृष्टिपात करना चाहिए कि सचमुच ही ये प्रेम है या एकतरफा तुष्टिकरण की कोई जिद |

  4. शक किसी भी रिश्ते को दीमक की तरह खोखला कर देता है….
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति…

  5. वहम की दवा तो लुकमान के पास भी नहीं थी !छद्म प्रेम के वाह्य आवरण के भीतर की सिसकी को लघु कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया ।

  6. वंदना, जी कहते हैं ना शक का इलाज दुनिया के किसी डॉक्टर के पास नही हैं। बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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