Monthly Archives: December 2017
स्वागत करिए प्रतियोगिता का
६ साल का नितिन अ ब स द लिखने की जगह लग गया पेंसिल से
आडी –तिरछी रेखाएं खीचने में | माँ ने बड़े
दुलार...
बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाए …..
हाथों में मेहँदी, पाँव में आलता
और मांग में ,सिन्दूरी आभा लिए
खड़ी है दुल्हन देहरी पर
आँखों से गालों पर लुढके आँसू
लाल...
ये इन्तज़ार के लम्हें
अनजान बेचैनियों में लिपटे,
मेरे ये इन्तज़ार के लम्हें
तुम्हें आवाज़ देना चाहते हैं..
पर मेरा मन सहम जाता है ।
तुम जानते हो क्यों?
फिर सवाल......
तुम्हारे पति का नाम क्या है ?
आज
सुबह सुबह श्रीमती जुनेजा...
तस्वीरों के लिए हो अलग फेसबुक ग्रुप
प्रत्येक व्यक्ति के अपने - अपने अलग - अलग पसंद नापसंद होते हैं इसलिए प्रत्येक व्यक्तियों की अवधारणा प्रत्येक व्यक्तियों के लिए अलग -...
आखिरी मुलाकात
उसकी सूरत जैसे ओस की बूँदें जमीं हो मखमली दूब पर . निश्चल शीशे की मानिंद . सरलता की मूरत...कोई बनावटीपन नहीं . उसे...
एक खूबसूरत एहसास है
गुनगुनी धूप में------------------
खुले बाल तेरा छत पे टहलना,
एक खूबसूरत एहसास है।
मै तकता हू एकटक तुम्हे चोर नज़र,
पता ही नही चलता कि-------------
तेरे पाँव तले छत...
आत्मसम्मान (लघुकथा)
‘तो क्या हो गया बेचारी विधवा है खुश हो जाएगी |’
ये शब्द जैसे ही सोनम
के कानो में पढ़े सहसा उसके कदम रूक गये दरअसल...
जाने -अनजाने मत बनिए टॉक्सिक पेरेंट
मुझे पता है आप
इस लेख के शीर्षक को पढ़ते ही नकार देंगे | पेरेंट्स वो भी टॉक्सिक ? ये तो असंभव
है | जो...