Monthly Archives: February 2018
माँ मै दौडूंगा
माँ मै तुम्हारे लिए दौडूंगा जीवन भर आप मेरे लिए दौड़ती रही कभी माँ ने यह नहीं दिखाया कि मै थकी हूँ
माँ ने दौड़ कर जीवन की सच्चाइयोंका...
महाशिवरात्रि -एक रात ” इनर इंजिनीयरिंग” के नाम
शिव नाम अपने आप में मन्त्र हैं | शिव अर्थात जो नहीं है | जो नहीं है वो असीम है | क्योंकि वहीं कुछ...
चोंगे को निमंत्रण
चोंगा बाहरी चमक -दमक आकर्षित तो करती है, परन्तु इंसान की असली पहचान उसके गुण उसके संस्कार या उसका ज्ञान होता है | जो...
कुछ रचनाएँ बीनू भटनागर जी के काव्य संग्रह ” मैं सागर में एक बूँद...
बीनू भटनागर जी की कवितायें भावनाओं का सतत प्रवाह है | किसी नदी की भांति यह अपना आकार स्वयं गढ़ लेती हैं |बीनू जी यथार्थ को...
लुटन की मेहरारु
घर में
खुशी
की
लहर
दौड़
चली| लुटन
की
माँ
तो
डीजे
की
धुन
पर
ठुमके-पर-ठुमके
लगाए
जा
रही
थी| एक-से-बढ़कर
एक
अंदाज
में
नृत्य
भी
परोस
रही
थी| वर्षों
बाद
जीवन
के
दायित्व
जो
निभाने
का
मौका
मिला| घर
वालों
के
काफी
जद्दोजहद
के
बाद
लुटन
ने
शादी
के
लिए
तैयार
हुआ
था| घर
के
देवी-देवताओं
के
साथ-साथ
चौधरी
जी
के
दलान
पर
ब्राह्मणी
स्थान
में
भी
कवूलती
कर
चुकी
थी
कि "माय, ई
लुटना
के
बियाह
होए
जाए
तो
एगारह
गो
बूढ़ा-पुरान
ब्राह्मण
जमैयबौ, आर
साथ
में
एगो
चबूतरा
भी
बनाए
देबौ....!"
तनिक भी
शोर-शराबा
कानों
तक
सुनाई
पड़ती
कि
लुटन
की
माँ
रामवती
छलाँग
लगा
वहाँ
तक
पहुँच
जाती
थी, ताकि
शादी
में
अड़चन
न
आवे
और
सही-सलामत
बियाह
हो
जाए| ऊपर
वालों
की
कृपा
से
तनी-मनी
झिझक
के
बाद
शादी
संपन्न
हो
गया|
बीच-बीच
में
किसी
भी
बात
को
लेकर
लुटन
और
नववधू
कजरी
में
ताना-तानी
स्वाभाविक
हो
चला| रामवती
मौका
देख
वधू
को
समझाती
थी-
"बेटी, तू
ही
इस
घर
को
संभाल
पाएगी| ससुर
जी
जो
हैं, वे
भी
ऐसे
ही
थे| इस
घर
को
सजाने
में
मैं
क्या
नहीं
भोगी| फिर
बाल-बच्चा
को
संभालना.... ई
गाँव-देहात
में
भी
पढ़ाना-लिखाना, बड़ा
मुश्किल
काम
था| लुटना
तो
कम-से-कम
चिट्टी-पतरी
भी
लिख-पढ़
लेता
हSs लेकिन
उसका
बाप.......
मेरा शहर साफ़ हो इसमें सबका हाथ हो
मेरी एक रिश्तेदार की बीच शहर में ही बड़ी सी कोठी है. दिवाली के कोई दो दिनों के बाद मैं उनके घर मिलने गयी...
सफलता के लिए जरूरी है भावनात्मक संतुलन -Emotional management tips
मनुष्य एक भावुक प्राणी है| ये भावनाएं ही उसे...
कविता -बदनाम औरतेँ
बदनाम औरतें मात्र एक कविता नहीं है | ये दर्द है उन औरतों का जो समाज
की मुख्यधारा से कट कर पुरुषों की गन्दी नीयत...
वसंत पर कविता – Hindi poem on vasant
वसंत यानी प्रेम का मौसम , पर हर कोई इतना भाग्यशाली नहीं होता कि उसे उसका प्यार मिल ही जाए | ऐसे में वसंत...
प्रेरक कथा -दो मेंढक
दो मेंढक एक ऐसी प्रेरक कथा है हमें...