मीना पाण्डेय Archives - अटूट बंधन https://www.atootbandhann.com/category/मीना-पाण्डेय हिंदी साहित्य की बेहतरीन रचनाएँ एक ही जगह पर Sat, 04 Jan 2020 13:02:35 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1.6 फैसला https://www.atootbandhann.com/2018/06/faisla-story-in-hindi.html https://www.atootbandhann.com/2018/06/faisla-story-in-hindi.html#respond Tue, 12 Jun 2018 13:49:00 +0000 https://www.atootbandhann.com/2018/06/12/faisla-story-in-hindi/ आज भारतीय नारी बदल चुकी है | आज वो , वो फैसला लेने की हिम्मत रखती है जिसे वर्षों पहले लेने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी |  फैसला  वह कई दिनों से उसे बार बार खुद को अपनाने के लिए परेशान कर रहा था I कभी फोन पर तो कभी सरे राह […]

The post फैसला appeared first on अटूट बंधन.

]]>
फैसला
आज भारतीय नारी बदल चुकी है | आज वो , वो फैसला लेने की हिम्मत रखती है जिसे वर्षों पहले लेने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी | 

फैसला 

वह कई दिनों से उसे बार बार खुद को अपनाने के लिए परेशान कर रहा था I कभी फोन पर तो कभी सरे राह !
बड़ी मुश्किल से वह अपने जीवन को पटरी पर लेकर आई ही थी कि अचानक एक बार फिर शांत झील में फिर से एक कंकर फेंकने की कोशिश कर रहा था I उस दिन तो घर ही आ गया I वो तो अच्छा था बच्चे घर पर नहीं थे वर्ना ….I आखिरकार उसने मन ही मन निश्चय किया कि आज वह फैसला कर ही लेगी I 

इससे पहले कि वह एक बार फिर घर के दरवाजे पर ही गिड़गिड़ाने लगे ,उसे भीतर बुला लिया उसने I उसकी हिम्मत बढ़ी I 

कहने लगा – ‘ सोमु ,मुझे क्षमा कर दो I मैं भटक गया था I तुम्हारे जैसी पत्नी और फूल से बच्चों को छोड़ उस मायाविनी निशा के चंगुल में फंस गया था और तुमने भी तो मुझे नहीं रोका ! संभाल लेती मुझे ! वह मुझे बर्बाद कर सारे पैसे लेकर निकल भागी I वह आँखों में आंसू लिए उसके घुटने पर अपना सर रख सिसक पड़ा I मैं वादा करता हूँ सोमु !अब एक अच्छा पति ……I उसका वाक्य पूरा होने से पहले ही उसने उसके मुँह पर अपनी अंगुलिया रख दी ,उसका हाथ अपने हाथों में ले बोली – ‘ मैं सब कुछ भूलने को तैयार हूँ ,पर उससे पहले मैं भी तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ I 

हाँ हाँ कहो न ! ‘वह उत्साहित हो बोला’ मैं जनता था तुम एक सच्ची भारतीय नारी हो !एक दिन मुझे जरूर माफ़ कर दोगी I ‘

वह भीतर ही भीतर कट कर रह गयी जैसे यह सुन कर I पर उसकी आँखों की दृढ़ता कुछ और ही कह रही थी I
‘ म …म …मुझसे भी कुछ गलती हुई है ! ‘
‘क …क …कैसी गलती ? ‘ वह आशंकित हो उठा I
‘दरअसल तुम्हारे अनुपस्थिति में ……मेरे ऑफिस के एक सहकर्मी ….I ‘

बात को बीच में ही काट कर – ‘बात कितनी आगे बढ़ी थी ? ‘हाथ झटक लगभग चीख पड़ा वह I आँखों से अंगारे से बरस रहे थे जैसे I लेकिन वह उन आँखों की अनदेखी कर उसका हाथ फिर थाम बोली -‘ क्या हुआ आकाश ? क्या तुम मुझे माफ़ नहीं करोगे ?आखिर गलती तो दोनों की एक ही है न ?’
‘म ..म …मैं …’ उसकी आवाज़ मानों हलक में फंस सी गयी थी I मुख पूरा सफ़ेद !! 

सोमु एक टक निहारती हुई अचानक बोल पड़ी – ‘लो हो गया फैसला ! ‘
उसने पीठ दरवाजे की ओर की और बड़बड़ाई – तुम पहले भी गलत थे,और अब भी …अब भारतीय नारी अपने अधिकार जानती और समझती है I
मीना पाण्डेय
बिहार

लेखिका
यह भी पढ़ें …

सुकून
अहसास
तीसरा कोण
रुपये की स्वर्ग यात्रा

बस एक बार

आपको     फैसला  कैसी लगी   | अपनी राय अवश्य व्यक्त करें | हमारा फेसबुक पेज लाइक करें | अगर आपको “अटूट बंधन “ की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया हमारा  फ्री इ मेल लैटर सबस्क्राइब कराये ताकि हम “अटूट बंधन”की लेटेस्ट  पोस्ट सीधे आपके इ मेल पर भेज सकें |

filed under: short stories, short stories in Hindi

The post फैसला appeared first on अटूट बंधन.

]]>
https://www.atootbandhann.com/2018/06/faisla-story-in-hindi.html/feed 0
दूसरा विवाह https://www.atootbandhann.com/2017/07/blog-post_8-5.html https://www.atootbandhann.com/2017/07/blog-post_8-5.html#comments Fri, 21 Jul 2017 14:21:00 +0000 https://www.atootbandhann.com/2017/07/21/blog-post_8-5/ मीना पाण्डेय  ” सॉरी ,आने में जरा देर हो गयी , आपने कुछ लिया , चाय -कॉफ़ी !! “  ” वो सब बाद में , पहले काम !! “ ” ठीक है , देखिये ये हम दोनों का दूसरा विवाह है , इसलिए कुछ बातें स्पष्ट हो जायें तो बेहतर होगा I “ ” जी […]

The post दूसरा विवाह appeared first on अटूट बंधन.

]]>




मीना पाण्डेय 


सॉरी ,आने में जरा देर हो गयी , आपने कुछ लिया
, चाय -कॉफ़ी !!
 
वो सब बाद में , पहले काम !! “
ठीक है , देखिये ये हम दोनों का दूसरा विवाह है , इसलिए कुछ
बातें स्पष्ट हो जायें तो बेहतर होगा
I “
जी “




आपके पति ने आपको क्यों छोड़ा ? “
उसने नही मैंने छोड़ा था , उसके लिए मैं दौलत और हवश की मशीन भर थी I “
आप दूसरा विवाह क्यों करना चाहते है ? “
वह औलाद का सुख नही दे पा रही थी “
तो बच्चा गोद ले सकते थे I “


लेकिन उससे परायेपन की बू आती “
बीवी भी तो पराये घर से ही आती है I “
” ………….
जी …”



अच्छा अब चलती हूँ I “
लेकिन विवाह ! “


माफ़ कीजिये , मुझे जीवन साथी के रूप में एक इंसान चाहिए , सिर्फ मेरे
बच्चे का पिता नही
I “







रिलेटेड पोस्ट …….



The post दूसरा विवाह appeared first on अटूट बंधन.

]]>
https://www.atootbandhann.com/2017/07/blog-post_8-5.html/feed 2
मीना पाण्डेय की लघुकथाएं https://www.atootbandhann.com/2015/09/blog-post_16-9.html https://www.atootbandhann.com/2015/09/blog-post_16-9.html#respond Wed, 16 Sep 2015 07:12:00 +0000 https://www.atootbandhann.com/2015/09/16/blog-post_16-9/ लघु कथाएँ लेखन की वह विधा है जिसमें कम शब्दों के माध्यम से पूरी बात कह दी जाए | इसमें जहाँ एक ओर कसाव जरूरी है वहीं उसका अंत चौकाने वाला होता है | मीना पाण्डेय जी इस कला में सिद्धहस्त हैं | आज हम अटूट बंधन ब्लॉग पर मीना पाण्डेय जी की तीन लघु […]

The post मीना पाण्डेय की लघुकथाएं appeared first on अटूट बंधन.

]]>










लघु कथाएँ लेखन की वह विधा है जिसमें कम शब्दों के माध्यम से पूरी बात कह दी जाए | इसमें जहाँ एक ओर कसाव जरूरी है वहीं उसका अंत चौकाने वाला होता है | मीना पाण्डेय जी इस कला में सिद्धहस्त हैं | आज हम अटूट बंधन ब्लॉग पर मीना पाण्डेय जी की तीन लघु कथाएँ … बेटी का फर्ज ,भुल्लकड़पन व् बुनियाद पढेंगे ……..
एक अंश ….


” हाँ तो क्या हुआ ? लड़का है वो ,उसकी बराबरी करने चली है ? तेरे साथ कुछ उंच -नीच न हो जाए ,इसलिए ध्यान रखना पड़ता है ,तू नहीं समझेगी ! ” माँ बोली I
माँ की लाड़ प्यार की छत्रछाया में भैया खूब ‘ फलीभूत ‘ हुए ,और एक दिन सबको भौंचक छोड़ ,लव मैरिज कर दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए ,अपनी कमतर बहन के कंधों पर सारी जिम्मेदारी डाल कर





















बेटी का फर्ज 

” तू कहाँ चली बन ठन के ?” माँ ने रोज की तरह सवाल दागा I
तभी भैया दनदनाता हुआ आया – ” माँ , मैं देर से घर आऊंगा ,चलता हूँ, बहुत काम है  I “
” मेरा बेटा ! कितना काम करता है ?”
चलते -चलते उसने एक गर्वोक्त मुस्कान डाली मेघा के ऊपर ,मानो उसे  उसकी कमतरी का अहसास कराना चाहता हो I 
मेघा कुढ़ कर रह गयी I
” माँ , भैया को तो कुछ बोलती नहीं , मुझे ही बार -बार टोकती हो ,कुछ नया सीखने भी नहीं देती I ” उसने मुंह फुलाते हुए कहा I
” हाँ तो क्या हुआ ? लड़का है वो ,उसकी बराबरी करने चली है ? तेरे साथ कुछ उंच -नीच न हो जाए ,इसलिए ध्यान रखना पड़ता है ,तू नहीं समझेगी ! ” माँ बोली I
माँ की लाड़ प्यार की छत्रछाया में भैया खूब ‘ फलीभूत ‘ हुए ,और एक दिन सबको भौंचक छोड़ ,लव मैरिज कर दूसरे शहर में शिफ्ट हो गए ,अपनी कमतर बहन के कंधों पर सारी जिम्मेदारी डाल कर I
माँ की कमतर बेटी अब अचानक श्रेष्ठ हो गई थी I
अब  वह कहते नहीं अघाती थीं  -” ऐसी बेटी ईश्वर सबको दे I “
शायद यह माँ नहीं बेटी का निभाया फर्ज बोल रहा था I
मीना पाण्डेय
बिहार





भुलक्कड़

” कहाँ रह गए थे इतनी देर ? ” उसके घर में प्रवेश करते ही पानी का गिलास थमा पत्नी ने सवाल दागा I उसने देखा , उसकी भृकुटी रोज से अधिक तनी थी I उसने चुपचाप उसे थैला पकड़ा दिया I खाली था I
” सामान ……… ? ” कुछ और कहती इससे पहले उसे अनदेखा करते हुए उसने इधर -उधर नजर दौड़ाई I
देखा मुन्ना चटाई पर ही सो गया था ,सामने उसका बदरंग और खस्ताहाल बस्ता और उसमे से झांकती बिना जिल्द की किताबे और कापियां !! ” ये यही सो गया ? भीतर आराम से सुला देती I “
” मेरी बात सुने तब न ! कह रहा था ,पापा नया बस्ता लेकर आएंगे तो रात में ही किताबें उसमे जमा लेगा ,तब ही सोयेगा ,बहुत खुश था कि कल से उसके दोस्त बस्ते को ले नहीं चिढ़ाएंगे ,तो इन्तजार करते करते यही ………I ” कहते कहते पल भर को रुकी वह I
उसने देखा मुन्ना नींद में भी मुस्कुरा रहा था , शायद ख़्वाब में नया बस्ता …..
” आज भी नही लाये ….? “
” वो …एक पुराना मित्र मिल गया था I घर लेकर चला गया ! वहाँ देर हो गयी I बातचीत में भूल गया कि …….I ” बोलते समय हलक में जैसे कुछ अटक सा रहा था I
” कुछ दिनों से तुम्हे रोज कोई न कोई मिल जा रहा है !! ” वह भुनभुनाती हुई रसोई घर की ओर बढ़ गयी ,शायद खाना परोसने I
वह बूत सा सर नीचे किये बैठा रहा I क्या बताता ! गया तो था बाजार , पर मुन्ने की फरमाइश का बस्ता …..!! आजकल बस्तों का दाम भी न …!! दुकानदार ने ज्यों ही दाम बताया ,उसका हाथ अपने जेब में पड़े इकलौते सौ के नोट पर जाकर जम सा गया था I उसने हिसाब लगाया और बुदबुदाया था …
” अभी तो इस महीने में सात दिन बाकी हैं I “
मीना पाण्डेय
बिहार


बुनियाद

दोपहर का सारा काम निपटा ,थोड़ा आराम करने वह कमरे में आ गयी I जाने क्यों कुछ दिनों से उसे इस पुश्तैनी घर की दीवारें अधिक पुरानी व् ढहती सी प्रतीत होने लगी थीं I
बच्चे स्कुल से आ कमरे में ही खेल रहे थे ,बिस्तर पर लेट वह अपनी आँखे मूँद सोने का उपक्रम करने लगी किन्तु मन में कुछ कुछ चलना बंद नही हुआ I
कुछ सालों में कितना बोझ आ गया था उस पर ,सास पूर्णरूपेण बिस्तर की ही होकर रह गयी थीं उनके साथ साथ सामाजिक आर्थिक जिम्मेदारियाँ भी ,तिस पर इस महंगाई में बच्चों की बेहतर शिक्षा ,परवरिश !! बैल की तरह खटते हैं दोनों पति -पत्नी ,फिर भी अपनी कमाई से एक खुद का घर भी नही ….लगता हैपूरा जीवन यूँ ही निकल जाएगा ,सोचा उसने I घुटन सी होने लगी उसे I तभी उसके कानो में आवाज़ आई –
” भैया, चलो बिजनेस -बिजनेस खेलते है I “
” ठीक है छोटू ,मैं बिजनेस मीटिंग में जा रहा हूँ ,तुम माँ- पापा का ख्याल रखना I “
” ठीक है भैया ,वैसे ही न ,जैसे माँ पापा दादी का रखते है I “
” हां ,वैसे ही !”
” भैया ,फिर मैं मीटिंग में जाऊँगा ,और आप ख़याल रखना I “
यह सुनकर उसकी आँखे खुल गयी ,मन का सारा गुबार धुंआ हो उड़ने सा लगा I अचानक ही पुरानी दीवारोँ में संस्कारो की चमक के पार ,उसे अपने भविष्य की मजबूत नींव नजर आने लगी थी

मीना पाण्डेय
बिहार



यदि आप भी अपनी रचनायें प्रकाशित करवाना चाहते हैं तो हमे editor.atootbandhan@gmail.com पर भेजे …….. कवितायेँ कम से कम ५ भेजे 

The post मीना पाण्डेय की लघुकथाएं appeared first on अटूट बंधन.

]]>
https://www.atootbandhann.com/2015/09/blog-post_16-9.html/feed 0