डॉ अब्दुल कलाम Archives - अटूट बंधन https://www.atootbandhann.com/category/डॉ-अब्दुल-कलाम हिंदी साहित्य की बेहतरीन रचनाएँ एक ही जगह पर Sat, 04 Jan 2020 12:22:26 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.1.6 डॉ.ए पी जे अब्दुल कलाम के 31 अनमोल विचार https://www.atootbandhann.com/2017/10/dr-abdul-kalaam-ke-31-anmol-vichar-hindi-31-vic.html https://www.atootbandhann.com/2017/10/dr-abdul-kalaam-ke-31-anmol-vichar-hindi-31-vic.html#respond Fri, 13 Oct 2017 13:43:00 +0000 https://www.atootbandhann.com/2017/10/13/dr-abdul-kalaam-ke-31-anmol-vichar-hindi-31-vic/ कौन होगा जो भारत रत्न डॉ. ए .पी जे अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व से प्रभावित न हो | एक तरफ उन्होंने भारत को मिसाइल टेक्नोलोजी से समृद्ध किया वहीं दूसरी तरफ राष्ट्रपति के रूप में भारतीयों के अन्दर सपने देखने व् पूरे करने का साहस जगाया | उनका पूरा जीवन अपने आप में प्रेरणा का […]

The post डॉ.ए पी जे अब्दुल कलाम के 31 अनमोल विचार appeared first on अटूट बंधन.

]]>






कौन होगा जो भारत रत्न डॉ. ए .पी जे अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व से
प्रभावित न हो | एक तरफ उन्होंने भारत को मिसाइल टेक्नोलोजी से समृद्ध किया वहीं
दूसरी तरफ राष्ट्रपति के रूप में भारतीयों के अन्दर सपने देखने व् पूरे करने का
साहस जगाया | उनका पूरा जीवन अपने आप में प्रेरणा का अक्षय श्रोत है |हम उनके जन्म
दिन (15 अक्टूबर )पर उनके व्यक्तित्व व् कृतित्व  
को नमन करते हुए उनके 31 अनमोल विचारों को आपके
साथ साझा कर रहे हैं |



डॉ . अब्दुल कलाम के 31 बेस्ट अनमोल विचार
1)महान सपने देखने वालों के महान सपने हमेशा पूरे होते हैं |

2 )आइये हम सब आज का बलिदान कर दें ताकि हमारे बच्चों का भविष्य बेहतर
हो |

३)जरा आकाश की तरफ देखिये हम अकेले नहीं हैं | सारा ब्रह्मांड हमारे
अनुकूल है | जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं यह उनको सर्वश्रेष्ठ देने की
साजिश करता है |

4)जीवन में सफलता का आनंद तभी आता है जब कोई सफलता कठनाई से प्राप्त
की जाती है |

5)अगर हमें सफलता के रास्ते पर निराशा हाँथ लगती है तो इसका मतलब यह
नहीं है कि हम कोशिश करना छोड़ दें | क्योंकि हर निराशा और असफलता के पीछे ही सफलता
छुपी होती है |



6) चेहरे से खूबसूरत होना कोई बड़ी बात नहीं है | दिल से खूबसूरत होना
बड़ी बात है क्योंकि मदद के लिए आगे हाथ पहले दिल से खूबसूरत लोग ही करते हैं |



7)आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत  असफलता नामक बिमारी को मारने की सबसे
अच्छी दवा है |

8)देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लास रूम्की आखिरी बेंच पर भी मिल सकता है
|

9)इन चार सिद्धन्तों  का पालन करके कुछ भी हासिल किया जा सकता है |
महान लक्ष्य बनाना ,ज्ञान अर्जित करना ,कड़ी मेहनत करना ,द्रण रहना

10 ) अगर आप सूर्य की तरह महान बनना चाहते हैं तो पहले सूर्य की तरह
जलना सीखो |



11 )हम सब के पास सामान प्रतिभा नहीं होती लेकिन हम सब के पास अपनी
प्रतिभा को विकसित करने के सामान अवसर होते हैं |


12)शिखर तक पहुँचने के लिए ताकत चाहिए चाहे वो माउंट अवेरेस्ट का शिखर
हो या कोई लक्ष्य |

13)बारिश के दौरान सारे पक्षी सारे पक्षी आश्रय की तलाश करते हैं जबकि
बाज़ बादलों से ऊपर उड़ कर  बारिश को ही
नज़रंदाज़ कर देते हैं | समस्याएं कॉमन हैं परन्तु उन्हें देखने का नजरिया सफलता में
अंतर उत्पन्न करता है |

14 )किसी भी धर्म में उस धर्म को बनाये रखने के लिए या बढाने के लिए
दूसरों को मारना नहीं सिखाया गया है |

15 )विद्यार्थियों का सबसे अच्छा गुण होता है सवाल पूँछना |


16 )यदि हम अपने विचारों से स्वतंत्र नहीं हैं तो हमारा कोई भी सम्मान
नहीं करेगा |



17 )उत्कृष्टता एक सतत प्रक्रिया है | कोई दुर्घटना नहीं |


18)जो अपने दिल से काम नहीं करते वो बस अधूरी सफलता हासिल करते हैं | अधूरे
मन से मिली सफलता बस अपने आस – पास कडवाहट पैदा करती है |

19 )महान शिक्षक ज्ञान , जूनून और करुना से उत्पन्न होते हैं |

20)युवाओं को नौकरी खोजने वाले के स्थान पर नौकरी देने वाला बनना
चाहिए |


21)वास्तव में शिक्षा सत्य की खोज है यह ज्ञान , अंतर्ज्ञान से होकर
गुजरने वाली एक अंतहीन यात्रा है |



22)छोटा लक्ष्य अपराध है |

23 )कविता आपार ख़ुशी या गहरे गम से निकलती है |

24 )जीवन एक कठिन खेल है | आप एक व्यक्ति होने के अपने जन्मसिद्ध
अधिकार को बनाए रखकर इसे खेल सकते हैं |

25 )जब बच्चे १५ , १६ , १७ साल के होते हैं तब वह तय करते हैं की
उन्हें डॉक्टर , इंजीनियर , राजनीतिज्ञ बनना है या मगल गृह  या चंद्रमा पर जाना है यह वो समय है जब आप उन
पर काम कर सकते हैं | आप उनके सपनों को आकार देने में मदद कर सकते हैं |



26)शिक्षण एक बहुत महान पेशा है | जो किसी व्यक्ति के ज्ञान चरित्र ,
क्षमता और भविष्य को आकार देता है | अगर लोग मुझे अच्छे शिक्षक के रूप में याद
रखते हैं तो यह मेरे लिए बहुत बड़ा सम्मान होगा |

27)हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए | हमें समस्याओं को कभी खुद को हारने
नहीं देना चाहिए |

28 )अंग्रेजी आवश्यक है क्योंकि वर्तमान में विज्ञानं का मूल काम
अंग्रेजी में है | मुझे विश्वास है की अगले दो दशक में विज्ञानं के मूल काम हमारी
भाषाओ में आने शुरू हो जायेंगे | तब हम जापानियों की तरह आगे बढ़ सकेंगे |


29)आत्म ज्ञान आत्म निर्भरता के साथ आता है |



30 )असली शिक्षा इंसान की गरिमा को बढ़ाती है व् उसके आत्मविश्वास में
वृद्धि करती है |

31)भारत को एक विकसित राष्ट्र में बदलना होगा | नैतिक मूल्यों के साथ
एक समृद्ध व् स्वस्थ देश |


The post डॉ.ए पी जे अब्दुल कलाम के 31 अनमोल विचार appeared first on अटूट बंधन.

]]>
https://www.atootbandhann.com/2017/10/dr-abdul-kalaam-ke-31-anmol-vichar-hindi-31-vic.html/feed 0
डॉ . अब्दुल कलाम – शिक्षा को समर्पित थी जिनकी जिंदगी https://www.atootbandhann.com/2017/04/blog-post_37.html https://www.atootbandhann.com/2017/04/blog-post_37.html#respond Sun, 30 Apr 2017 02:07:00 +0000 https://www.atootbandhann.com/2017/04/30/blog-post_37/ -डॉ. जगदीश गाँधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक,सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ सरल, उत्साही और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी डा. कलाम :-भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी […]

The post डॉ . अब्दुल कलाम – शिक्षा को समर्पित थी जिनकी जिंदगी appeared first on अटूट बंधन.

]]>




-डॉ. जगदीश गाँधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक,
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ
सरल, उत्साही और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी डा. कलाम :-
भारत के सबसे ज्यादा लोकप्रिय ग्यारहवें राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। इनके पिता अपनी नावों को मछुआरों को देकर अपने परिवार का खर्च चलाते थे। अपनी आरंभिक पढ़ाई पूरी करने के लिए कलाम जी को घर-घर अखबार वितरण का भी काम करना पड़ा था। कलाम जी ने अपने पिता से ईमानदारी व आत्मानुषासन की विरासत पाई और माता से ईष्वर-विष्वास तथा करूणा का उपहार लिया। वे भारत को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में दुनिया का सिरमौर राष्ट्र बनना देखना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन में अनेक उपलब्धियों को भारत के नाम भी किया। कलाम साहित्य में रूचि रखते थे, कविताएं लिखते थे, वीणा बजाते थे और अध्यात्म से गहराई से जुड़े थे। 27 जुलाई 2015 को डा. कलाम जीवन की अंतिम सांसें लेने से ठीक पहले वह छात्रों से बातें कर रहे थे, वह शायद ऐसे ही संसार से विदा होना चाहते होंगे।

उनका साफ मानना था कि बच्चे ही देश का भविष्य हैं। किसी ने उनसे उनकी मनपसंद भूमिका के बारे में सवाल किया था तो उनका कहना था कि शिक्षक की भूमिका उन्हें बेहद पसंद आती है। वह ‘रहने योग्य उपग्रह’ विषय पर अपनी बात रखना चाहते थे कि नियति ने उन्हें हमसे वापस ले लिया, लेकिन उनके सपने देश को और मानव जाति को आगे ले जाने वाले थे। उनके विचारों को हम आगे बढ़ाकर उन्हें सच्ची श्रद्धाजंलि देने के लिए आगे आये।
डॉ. कलाम ने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया :-
एक साधारण परिवार से होने के बावजूद अपनी मेहनत और समर्पण के बल पर बड़े से बड़े सपनों को साकार करने का एक जीता-जागता उदाहरण है पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन। आपका आदर्षमय जीवन हम सभी के लिये हमेषा प्रेरणास्पद रहा है। उनकी बातें नई दिषा दिखाने वाली हैं। उन्होंने करोड़ों आँखों को बड़े सपने देखना सिखाया। वे कहते थे ‘‘इससे पहले कि सपने सच हो आपको सपने देखने होंगे।’’ इसके साथ ही उनका यह भी कहना था कि ‘‘सपने वह नहीं जो आप नींद में देखते हैं। यह तो एक ऐसी चीज है जो आपको नींद ही नहीं आने देती।’’ उनका मानना था कि छोटी सोच सही नहीं है। जितना मुमकिन हो, उतने ख्वाब देखिये। तरक्की का उनका ख्वाब शहरों से नहीं बल्कि गांव की पंचायतों से शुरू होता था।
हम जैसा समाज चाहते हैं हमें वैसी ही षिक्षा अपने बच्चों को देनी चाहिएः-
अपने प्रेरक विचारों के कारण डॉ. कलाम बच्चों और युवाओं के बीच अत्यधिक लोकप्रिय रहे। उनका मानना था कि आने वाली पीढ़ी हमें तभी याद रखेगी जबकि हम अपनी युवा पीढ़ी को एक समृद्ध और सुरक्षित भारत दे सके जो कि सांस्कृतिक विरासत के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि के परिणामस्वरूप प्राप्त हो। उनका मानना था कि हम जैसा समाज चाहते हैं हमें वैसी ही षिक्षा अपने बच्चों को देनी चाहिए। इसके लिए वे कहते थे कि चूंकि एक षिक्षक का जीवन कई दीपों को प्रज्जवलित करता है इसलिए एक षिक्षक को अपने पेषे के प्रति प्रतिबद्धता होनी चाहिए। उसे षिक्षण एवं बच्चों से प्रेम होना चाहिए। …..उसे न सिर्फ विषय की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक बातें पढ़ानी चाहिए, बल्कि छात्रों में हमारी महान सभ्यता की विरासत एवं सामाजिक मूल्यों की जमीन भी तैयार करनी चाहिए। वे इस बात पर विष्वास करते थे कि एक तेजस्वी मस्तिष्क इस धरती पर, धरती के नीचे या ऊपर आसमान में सबसे सषक्त संसाधन है। इसलिए हमारे षिक्षकों को युवा मस्तिष्कों को तेजस्वी बनाना चाहिए। षिक्षा के संबंध में उनका मानना था कि वास्तविक षिक्षा मानवीय गरिमा और व्यक्ति के स्वाभिमान में वृद्धि करती है।
बच्चों को बचपन में दी गई षिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती हैः-
कलाम जी का मानना था कि बच्चों को बचपन में दी गई षिक्षा ही उसके सारे जीवन का आधार बन जाती है। इसके लिए वे अपना उदाहरण देते हुए बताते थे कि वे बचपन से ही अपने गुरू श्री अय्यर जी से अत्यधिक प्रभावित थे। कक्षा 5 में पढ़ते हुए उनके गुरू श्री अय्यर जी ने उनकी कक्षा के सभी बच्चों को कक्षा में ‘पक्षियों को उड़ने की क्रिया’ पढा़ने के साथ ही उन सभी को शाम को समुद्र तट पर बुलाकर पक्षियों को उड़ते हुए भी दिखाया था। इसका कलाम जी के जीवन में बहुत ही गहरा प्रभाव पड़ा और आने वाले समय में एक रॉकेट इंजीनियर, एयरोस्पेस इंजीनियर तथा प्रौद्योगिकीवेत्ता के रूप में उनका जीवन रूपांतरित हो गया। कलाम जी का कहना था कि ‘‘सात साल के लिये कोई बच्चा मेरी निगरानी में रह जाये, फिर कोई भी उसे बदल नहीं सकता।’’
ईष्वर की प्रार्थना हमें अपनी शक्तियों को विकसित करने में मदद करतीं हैं :- 
भगवान में उनकी गहरी आस्था थी। कोई तो है जो ब्रह्मांड चला रहा है। इतना बड़ा ब्रह्मांड, धरती के करोड़ों जीव-जन्तु क्या अपने आप ही जन्म तथा जीवन जी रहे हैं? कोई शक्ति है जिसके कारण ब्रह्मांड में सब कुछ इतना सुनियोजित है। हम उस शक्ति को कोई भी नाम दे सकते हैं। वे जहां एक ओर कुरान पढ़ते थे तो वहीं दूसरी ओर गीता भी पढ़ते थे। उनका मानना था कि भगवान, हमारे निर्माता ने हमारे मस्तिष्क और व्यक्तित्व में असीमित शक्तियां और क्षमताएं दी हैं और ईष्वर की प्रार्थना हमें इन शक्तियों को विकसित करने में मदद करती हैं। वे कहते थे कि आकाष की तरफ देखिये, हम अकेले नहीं हैं। सारा ब्रह्मांड हमारे लिये अनुकूल है और जो सपने देखते हैं और मेहनत करते हैं उन्हें प्रतिफल देने के लिए सारा ब्रह्मांड उनकी मदद करता है। उनका मानना था कि षिक्षण का मुख्य उद्देष्य छात्रों में राष्ट्र निर्माण की क्षमताएँ पैदा करना है। ये क्षमताएँ षिक्षण संस्थानों के ध्येय से प्राप्त होती है तथा षिक्षकों के अनुभव से सृदृढ़ होती है, ताकि षिक्षण संस्थान से निकलने के बाद छात्रों में नेतृत्वकारी विषिष्टायें आ जायें। कलाम जी कहते थे कि अगर किसी भी देष को भ्रष्टाचार-मुक्त और सुन्दर-मन वाले लोगों का देष बनाना है तो, मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन प्रमुख सदस्य माता, पिता और शिक्षक ही ये कर सकते हैं।
सिटी मोन्टेसरी स्कूल के बच्चों के अनुरोध पर तीन बार आये डॉ कलामः- 
बच्चों के अनुरोध पर वे हमारे विद्यालय में 3 बार आये और उन्होंने अपने प्रेरणादायी भाषणों के माध्यम से बच्चों को बड़ा सपना देखने और फिर उस सपने को पूरा करने के लिए समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया। हमारे विद्यालय की चौक शाखा की रोबोटिक्स लैब को देखने में उन्होंने विशेष रूचि ली तथा छात्रों की वैज्ञानिक प्रतिभा की भूरि-भूरि प्रशंसा की। छात्रों की रचनात्मक एवं नई क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से सी0एम0एस0 की जापलिंग रोड शाखा द्वारा बच्चों के महानायक, महान वैज्ञानिक व देश के पूर्व राष्ट्रपति डा0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम के जन्मदिवस 15 अक्टूबर के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्ष ‘अन्तर्राष्ट्रीय इनोवेशन डे’ का आयोजन किया जाता है। आज जरूरत इस बात की है हम छात्रों को नये-नये प्रयोग व आविष्कारों के लिए प्रोत्साहित करें। माता-पिता को बच्चों की जिज्ञासा व सृजनशक्ति की अवहेलना नहीं करनी चाहिए बल्कि उनको खाली समय में अपनी रूचि के अनुसार नई चीजें बनाने के लिए प्रेरित करते रहना चाहिए। इस सृजनात्मक महोत्सव के अन्तर्गत देश-विदेश के छात्रों के लिए सृजनात्मक विचार या क्रिएटिव आईडिया, पोस्टर मेकिंग और प्रोजेक्ट मेकिंग जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिसके लिए छात्र अपनी प्रविष्टियां भेजते हैं। डा. कलाम का मानना था कि बच्चों को कृत्रिम सुख की बजाये ठोस उपलब्धियों के पीछे समर्पित रहना चाहिए। ऐसे महान कर्मयोगी के प्रति हम अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि व्यक्त करते हैं।
डा. कालम की पूरी जिन्दगी शिक्षा को समर्पित थी :
लगभग 40 विष्वविद्यालयों द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि, पद्म भूषण और पद्म विभूषण व भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित होने वाले पूर्व राष्ट्रपति डा. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम बाल एवं युवा पीढ़ी के प्रेरणास्रोत थे। डा. कलाम की पूरी जिन्दगी शिक्षा को समर्पित थी। बच्चों से रूबरू होना, स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी में जाना व छात्र-छात्राओं से प्रेरणादायक बातें करना, डॉ. कलाम को बेहद पसंद था। उनका पूरा जीवन अनुभव और ज्ञान का निचोड़ था। डा. कलाम का कहना था कि अनजानी राह पर चलना ही साहस है। जब दिल में सच्चाई होती, तब चरित्र में सुन्दरता आती है। चरित्र में सुन्दरता से घर में एकता आती है। घर में एकता से देश में व्यवस्था का राज होता है। देश की व्यवस्था से विश्व में शांति आती है। इसलिए बच्चों, शपथ लो, मैं जहां भी रहूंगा, यही सोचूंगा कि मैं दूसरों को क्या दे सकता हूँ? हर काम को ईमानदारी से पूरा करूंगा और सफलता हासिल करूंगा। महान लक्ष्य निर्धारित करूंगा। किताबें, अच्छे लोग और अच्छे शिक्षक मेरे दोस्त होंगे। कलाम ने भारत को अंतरिक्ष में पहुंचाने में अहम योगदान दिया था।
भारत निकट भविष्य में विश्व में शान्ति स्थापित करेंगा :- 
वह जानते थे कि किसी व्यक्ति या राष्ट्र के समर्थ भविष्य के निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका हो सकती है। उन्होंने हमेशा देश को प्रगति के पथ पर आगे ले जाने की बात कही। उनके पास भविष्य का एक स्पष्ट खाका था, जिसे उन्होंने अपनी पुस्तक ‘‘इंडिया 2020 : ए विजन फॉर द न्यू मिलिनियम’’ में प्रस्तुत किया। इंडिया 2020 पुस्तक में उन्होंने लिखा कि भारत को वर्ष 2020 तक एक विकसित देश और नॉलेज सुपरपॉवर बनाना होगा। उनका कहना था कि देश की तरक्की में मीडिया को गंभीर भूमिका निभाने की जरूरत है। नकारात्मक खबरें किसी को कुछ नहीं दे सकती लेकिन सकारात्मक और विकास से जुड़ी खबरें उम्मीदें जगाती हैं। डा. कलाम एक प्रख्यात वैज्ञानिक, प्रशासक, शिक्षाविद् और लेखक के तौर पर हमेशा याद किए जाएंगे और देश की वर्तमान एवं आने वाली कई पीढ़ियां उनके प्रेरक व्यक्तित्व एवं महान कार्यों से प्रेरणा लेती रहेंगीं।
’’’’’

The post डॉ . अब्दुल कलाम – शिक्षा को समर्पित थी जिनकी जिंदगी appeared first on अटूट बंधन.

]]>
https://www.atootbandhann.com/2017/04/blog-post_37.html/feed 0