6 साल के बच्चे का अपने सैनिक पिता को फोन…..

0
6 साल के बच्चे का अपने सैनिक पिता को फोन.....

आज हम जिस स्वतंत्रता का उत्सव मना  रहे हैं उसके पीछे ना जाने कितने लोगों का बलिदान है |आज भी जब हम घर में चैन  से सोते हैं तो क्या सोचते हैं कि कोई सरहद पर हमारे लिए जाग रहा है ,शहीद  हो रहा है |एक सैनिक  जो शहीद होता है उसका भी परिवार होता है |मता  -पिता,भाई  -बहन ,पत्नी और बच्चे |उसके जाने के बाद उनके जीवन का शून्य कभी नहीं भर पाता |ऐसे ही एक बच्चे का दर्द उभर कर आया है इस कविता में ..

6 साल के बच्चे का अपने सैनिक पिता को फोन…..

झंडे में एक लाश आई है, पापा तुम तो जिन्दा हो ना ?
मम्मी रोती दादी रोती, पापा तुम तो जिन्दा हो ना ?

आज बुआ मेरा हाथ पकड़कर जाने कितना रोती है,
मम्मी भी तो पता नहीं क्यों रोकर बेसुध हो होती है?
दादू भी चुपचाप खड़े हैं आज नहीं कुछ बोल रहे।
जाने सब क्या करें तैयारी, पापा तुम तो जिन्दा हो ना ?

जो अंकल हैं लेकर आये, कुछ भी नहीं बताया है।
हम भी ज़िद पर अड़े रहे तो, फोन तुम्हें ये लगाया है।।
डाटों इनको गन्दे अंकल, कैसे हैं चुपचाप खड़े,
ऐसी हरकत करते हैं, इसपर तुम शर्मिंदा हो ना?

हमने जो कुछ था मंगवाया, चा वो भी मत लाना।
सारे हैं परेशान हो रहे पापा जल्दी आ जाना।।
मेरे साथी बोल रहे थे, सैनिक तो हैं मर भी जाते।
तुम मत मरना पापा मेरे, बोलो तुम तो जिन्दा हो ना ?

झंडे में एक लाश आई है, पापा तुम तो जिन्दा हो ना?
……………….मानस

स्वतंत्रता दिवस पर अन्य रचनाएँ

यह कविता  आपको कैसी लगी हमें अवश्य बताए |अगर आपको अटूट बंधन की रचनाएँ पसंद आती हैं तो कृपया साइट को सबस्क्राइब करे व अटूट बंधन के फेसबूक पेज को लाइक करे |

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here