दिया चाहे जिसके लिए जिस भी उद्देश्य से जलाया जाए
वो पूरे पथ को आलोकित करता है – भगवान् बुद्ध
वो पूरे पथ को आलोकित करता है – भगवान् बुद्ध
अंधकार बहुत ही डरावना होता
है | हाथ को
हाथ नहीं सूझता | ऐसे
समय में अगर रोशिनी की एक किरण भी दिख जाए तो सारा रास्ता साफ़ नज़र आने लगता है | परन्तु एक अँधेरा और होता
है जो हमारे मन के अन्दर छुपा होता है | वो है निराशा का अँधेरा , दुःख का अँधेरा , अज्ञान का अँधेरा | ये अँधेरा बाहर के अँधेरे से भी कहीं अधिक घना होता
है | हम सब
इसे अंदर ही अंदर छुपाये घूमते हैं | अफ़सोस बाहर कितनी भी रोशिनी हो उसकी एक किरण भी
यहाँ तक नहीं पहुँच पाती | यहाँ अगर कोई रोशिनी पहुँच सकती तो वो है ज्ञान की
रोशिनी , विचारों
की रोशिनी |
है | हाथ को
हाथ नहीं सूझता | ऐसे
समय में अगर रोशिनी की एक किरण भी दिख जाए तो सारा रास्ता साफ़ नज़र आने लगता है | परन्तु एक अँधेरा और होता
है जो हमारे मन के अन्दर छुपा होता है | वो है निराशा का अँधेरा , दुःख का अँधेरा , अज्ञान का अँधेरा | ये अँधेरा बाहर के अँधेरे से भी कहीं अधिक घना होता
है | हम सब
इसे अंदर ही अंदर छुपाये घूमते हैं | अफ़सोस बाहर कितनी भी रोशिनी हो उसकी एक किरण भी
यहाँ तक नहीं पहुँच पाती | यहाँ अगर कोई रोशिनी पहुँच सकती तो वो है ज्ञान की
रोशिनी , विचारों
की रोशिनी |
ये रोशिनी पहुँचती है सही
सकारात्मक विचारों के माध्यम से | पर इस पर ध्यान कौन देता है |अक्सर हम यही सोंचते हैं की , विचारों का क्या है ये तो आते ही रहते हैं बिन
बुलाये मेहमान की तरह | नींद
में भी कहाँ पीछा छोड़ते हैं | विज्ञान कहता है की मनुष्य के दिमाग में एक दिन में
तकरीबन 60,000 विचार
आते हैं | अब अगर
हमें ईश्वर ने इतना सोंचने की क्षमता दी है तो ये फ़ालतू तो नहीं होंगे | सारा जादू इसी में छिपा है
| जो इस
जादू को समझ लेता है |वो
सारी निराशाओं, सारे
अज्ञान और सारे अंधकार से पार पा लेता है |सारे धर्म ग्रन्थ भी हमें यही तो समझाते हैं |
सकारात्मक विचारों के माध्यम से | पर इस पर ध्यान कौन देता है |अक्सर हम यही सोंचते हैं की , विचारों का क्या है ये तो आते ही रहते हैं बिन
बुलाये मेहमान की तरह | नींद
में भी कहाँ पीछा छोड़ते हैं | विज्ञान कहता है की मनुष्य के दिमाग में एक दिन में
तकरीबन 60,000 विचार
आते हैं | अब अगर
हमें ईश्वर ने इतना सोंचने की क्षमता दी है तो ये फ़ालतू तो नहीं होंगे | सारा जादू इसी में छिपा है
| जो इस
जादू को समझ लेता है |वो
सारी निराशाओं, सारे
अज्ञान और सारे अंधकार से पार पा लेता है |सारे धर्म ग्रन्थ भी हमें यही तो समझाते हैं |
आप जैसा सोंचते हो आप वैसे ही बनते हो – संदीप
माहेश्वरी
माहेश्वरी
हमारे विचारों में और
हमारे जीवन में “अटूट
बंधन” होता
है | शारीरिक
भौतिक या आध्यात्मिक कैसी भी उन्नति करनी हो उन सब के लिए सोंचने के तरीके पर
ध्यान देना होता है | बिलकुल,एके साधे सब सधे की भांति | भैया स्व .ओमकार मणि त्रिपाठी जी कहा करते थे की शरीर
नश्वर है पर विचार शाश्वत |इसलिए अच्छे विचारों द्वारा रोपा हुआ पौधा हमारे
जीवन में तो काम आता ही है | हमारे बाद भी सबको छाया और फल देता रहता है | “अटूट
बंधन” का
उद्देश्य भी यही है | अच्छे
विचार चाहे वो कविता कहानी या लेख किसी भी माध्यम से व्यक्त किये हों ज्यादा से
ज्यादा लोगों तक पहुंचे | उनका
पथ आलोकित करें |
हमारे जीवन में “अटूट
बंधन” होता
है | शारीरिक
भौतिक या आध्यात्मिक कैसी भी उन्नति करनी हो उन सब के लिए सोंचने के तरीके पर
ध्यान देना होता है | बिलकुल,एके साधे सब सधे की भांति | भैया स्व .ओमकार मणि त्रिपाठी जी कहा करते थे की शरीर
नश्वर है पर विचार शाश्वत |इसलिए अच्छे विचारों द्वारा रोपा हुआ पौधा हमारे
जीवन में तो काम आता ही है | हमारे बाद भी सबको छाया और फल देता रहता है | “अटूट
बंधन” का
उद्देश्य भी यही है | अच्छे
विचार चाहे वो कविता कहानी या लेख किसी भी माध्यम से व्यक्त किये हों ज्यादा से
ज्यादा लोगों तक पहुंचे | उनका
पथ आलोकित करें |
कुछ मेरे बारे में
कभी -कभी लगता है
धीरे -धीरे
सरकती जा रही है
हथेली से धूप
जिसे
सुदूर जाने कितनी
आकाश गंगाओं को
पार कर
बंद मुट्ठी में
ले कर आयी थी ,
अब लगता है
कुछ जान लूँ
कुछ समझ लूँ
कुछ खोल लूँ
परते उजालों की
जिससे धूप न सही
कुछ ऊष्मा
तो ले जाऊ
अनिश्चित मार्ग पर
और फिर
जब आऊ
पहली किरण के साथ
मुट्ठी बंद करे हुए
तो कुछ तो
जुड़ जाए
ये प्रयास
इस जन्म से उस जन्म की यात्रा का
जैसा ये रहस्य और कुछ सार्थक कर जाने का प्रयास मेरी इस कविता में है | वैसा ही
मेरे मन में निरंतर चलता रहता है | कोई लेखक क्यों बनता है | इसका उत्तर तो किसी
के पास नहीं होता | हां , इतना पता होता है की कुछ तो बचैनी होती है, कुछ तो
व्याकुलता होती है जो बाहर व्यक्त होना चाहती है | वैसे ही जैसे गंगा की धारा
फूटती हैं पत्थरों को काट कर |आम भाषा में कहें तो शायद किसी का दर्द पढने की जरूरत से ज्यादा
क्षमता | मैं कभी -कभी अपने को अपने इस
शेर से व्यक्त करती हूँ …
जैसा ये रहस्य और कुछ सार्थक कर जाने का प्रयास मेरी इस कविता में है | वैसा ही
मेरे मन में निरंतर चलता रहता है | कोई लेखक क्यों बनता है | इसका उत्तर तो किसी
के पास नहीं होता | हां , इतना पता होता है की कुछ तो बचैनी होती है, कुछ तो
व्याकुलता होती है जो बाहर व्यक्त होना चाहती है | वैसे ही जैसे गंगा की धारा
फूटती हैं पत्थरों को काट कर |आम भाषा में कहें तो शायद किसी का दर्द पढने की जरूरत से ज्यादा
क्षमता | मैं कभी -कभी अपने को अपने इस
शेर से व्यक्त करती हूँ …
“या खुदा कैसा बनाया है मुझे
,
,
क्यों मैं दुनिया से अलग ही देख
लेती हूँ
लेती हूँ
देखते हैं सब होंठों की हँसी ,
मैं हँसी में छिपी कसमसाहट देख
लेती हूँ”
लेती हूँ”
अध्यापिका से साहित्यिक पत्रिका की को-एडिटर , दैनिक समाचार पत्र की फीचर
एडिटर व् मासिक हिंदी पत्रिका की एक्सिक्यूटिव एडिटर का सफ़र तय करने के बाद
अब कुछ ऐसा बाँटना चाहती हूँ , जिससे लोगों के जीवन की राह आसान बने | वो अपनी मंजिल पा सकें | अटूट
बंधन ब्लॉग इसी दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है |
एडिटर व् मासिक हिंदी पत्रिका की एक्सिक्यूटिव एडिटर का सफ़र तय करने के बाद
अब कुछ ऐसा बाँटना चाहती हूँ , जिससे लोगों के जीवन की राह आसान बने | वो अपनी मंजिल पा सकें | अटूट
बंधन ब्लॉग इसी दिशा में उठाया गया एक सार्थक कदम है |
कलम की यात्रा : देश के अनेकों प्रतिष्ठित
समाचारपत्रों , पत्रिकाओं में कहानी , कवितायें , लेख , व्यंग आदि प्रकाशित ,
महिला स्वास्थ्य पर लिखी कविता का मंडी
हाउस में “नाट्य मंचन” |
समाचारपत्रों , पत्रिकाओं में कहानी , कवितायें , लेख , व्यंग आदि प्रकाशित ,
महिला स्वास्थ्य पर लिखी कविता का मंडी
हाउस में “नाट्य मंचन” |
प्रकाशित पुस्तकें
साझा काव्य संग्रह …. गूँज , सारांश समय का ,अनवरत -१ , काव्य शाला , शोध दिशा
साझा कहानी
संग्रह … सिर्फ तुम
साझा कहानी
संग्रह … सिर्फ तुम
अटूट बंधन ब्लॉग के बारे में
जब आप एक मुकाम पर पहुँच जाते हैं तो
आप के सामने बहुत सारे रास्ते खुलते हैं | मेरा निजी अनुभव कहता है कि
आप के सामने बहुत सारे रास्ते खुलते हैं | मेरा निजी अनुभव कहता है कि
जब जिन्दगी आप के सामने चुनने का मौका
देती है तो आपको एक अच्छे और एक बुरे में से नहीं दोनों अच्छों में से एक चुनना
होता है | इसलिए निर्णय
हमेशा कठिन होता है |ऐसे में वही चुनना चाहिए जो आपका दिल कहे | मैंने “अटूट बंधन”
ब्लॉग को चुना | क्योंकि इसका उद्देश्य “ सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय” है |जो
मुख्यत : इस प्रकार हैं …
देती है तो आपको एक अच्छे और एक बुरे में से नहीं दोनों अच्छों में से एक चुनना
होता है | इसलिए निर्णय
हमेशा कठिन होता है |ऐसे में वही चुनना चाहिए जो आपका दिल कहे | मैंने “अटूट बंधन”
ब्लॉग को चुना | क्योंकि इसका उद्देश्य “ सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय” है |जो
मुख्यत : इस प्रकार हैं …
·
अच्छे विचारों का प्रचार प्रसार
अच्छे विचारों का प्रचार प्रसार
·
जीवन है तो समस्याएं हैं | जब समस्याएं आती हैं तो हमारा दिमाग काम
नहीं करता | उस समय लगता है कोई रास्ता दिखा दे | हमारे ब्लॉग में “अगला कदम” वही
हाथ है जो उस समय आपको सहारा देगा , रास्ता दिखाएगा जब आप समस्या से जूझ रहे हो और
उसका हल खोज रहे हों | इसमें रिश्तों , कैरियर , स्वाथ्य , प्रियजन की मृत्यु , अतीत
में जीने आदि बहुत सारी समस्याओं को उठाया है | ये योजना मेरे दिल के बहुत करीब है
| आशा है सब को इससे लाभ होगा |
जीवन है तो समस्याएं हैं | जब समस्याएं आती हैं तो हमारा दिमाग काम
नहीं करता | उस समय लगता है कोई रास्ता दिखा दे | हमारे ब्लॉग में “अगला कदम” वही
हाथ है जो उस समय आपको सहारा देगा , रास्ता दिखाएगा जब आप समस्या से जूझ रहे हो और
उसका हल खोज रहे हों | इसमें रिश्तों , कैरियर , स्वाथ्य , प्रियजन की मृत्यु , अतीत
में जीने आदि बहुत सारी समस्याओं को उठाया है | ये योजना मेरे दिल के बहुत करीब है
| आशा है सब को इससे लाभ होगा |
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अटूट बंधन प्रकाशित मैगजीन में काम करते हुए मैंने पाया की बहुत से
प्रतिभावान लोग हैं जिनको मंच नहीं मिल पाता है | प्रकाशित मैगजीन की पेज सीमा
होती है | ये ब्लॉग उनको मंच देने की कोशिश है |
अटूट बंधन प्रकाशित मैगजीन में काम करते हुए मैंने पाया की बहुत से
प्रतिभावान लोग हैं जिनको मंच नहीं मिल पाता है | प्रकाशित मैगजीन की पेज सीमा
होती है | ये ब्लॉग उनको मंच देने की कोशिश है |
हम और हमारी टीम निरंतर इस दिशा में प्रयासरत हैं | उम्मीद है अच्छी भावना से शुरू की गई ये
कोशिश कामयाब होगी और पाठकों के साथ मेरा “अटूट बंधन” बना रहेगा |
कोशिश कामयाब होगी और पाठकों के साथ मेरा “अटूट बंधन” बना रहेगा |