सुर्ख लाल रंग-गंभीर सरोकारों से जुड़ी कहानियाँ
ज़िंदगी की पगडंडी पर हमारे पाँवों में न जाने कितनी फाँसे चुभती हैं। कुछ लगातार गड़ती रहती हैं, कुछ की चुभन कम हो जाती है और कुछ को इतना आत्मसात हो जाती हैं कि खून में किसी सोये हुए वायरस की तरह बहती रहती हैं। एक कथाकार का उद्देश्य इन्हीं फाँसों को दिखाना है। कहीं … Read more