लघु कथा – तीन तल
का मकान है । सबसे नीचे के तल में वह अपनी पत्नी लक्ष्मी देवी के साथ रहते हैं । दूसरे तल में उनका बेटा प्रकाश अपनी पत्नी ज्योति के साथ रहता है । प्रकाश
की उम्र कोई ५७ साल है । प्रकाश की एक अनब्याही बेटी नेहा
बंगलौर में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही है । सुधीर …. उनका २५ वर्षीय बेटा … जिसकी नयी नयी शादी हुई है
अपनी पत्नी सुधा के तीसरे तल साथ रहता है ।
रात का समय
है …. तीनों जोड़े सोने गए हैं । दृश्य इस प्रकार है ।
सबसे ऊपर का
तल ……
‘सुधा आज तुम
इस लाल ड्रेस में बहुत सुन्दर लग रही हो‘ सुधीर सुधा की तरफ प्रशंसा भरी नज़रों से देख कर कहता है । सुधा ख़ुशी
से चहकते हुए सुधीर को देखती है और कहती है ‘ तुम क्या मुझे सदा ऐसे ही प्यार करते रहोगे । सुधीर ‘ अरे ये भी कोइ कहने की बात है , हमारा प्प्रेम तो अम्र होगा … मैं तो तुम्हारे
लिए ताजमहल बनवाऊंगा ‘।
बीच के तल में ………..प्रकाश ‘ सुनो ज्योति, बेटे की शादी में बहुत खर्च हो गया है … ऊपर से नेहा की पढाई का
भी खर्च है … मैं अबसे ओवरटाइम किया करूंगा ‘। ज्योति ‘
मैं भी सोंच
रही हूँ बॉस से बात करके दो चार टूर मांग लूं … आखिर नेहा की शादी भी तो करनी है
‘।हाँ , कर लो , मैं भी सोच रही हूँ साबुन तेल थोड़े कम दाम वाले ही लूँ , पिताजी मोतिया भी तो पक गया है , आखिर ओपरेशन कब तक टालेंगे |
सबसे नीचे
का तल ….७५ वर्षीय विश्वेश्वर नाथ जी अपनी पत्नी लक्ष्मी देवी से कहते हैं ‘
सुनो
तुम्हें याद है जब हमारी शादी हुई थी तब तुम लाल साड़ी में कितनी सुंदर लग रही थीं ‘। लक्ष्मी देवी लजा कर कहती है ‘ हाँ और वही साड़ी मुन्ना ने खेलते हुए ख़राब
कर दी थी …. तब तुम कितना गुस्सा हुए थे ‘।
क्यों ना
होता … मैं जो इतने प्यार से तुम्हारे लिए ले कर आया था … विश्वेश्वर जी ने
उतर दिया ।
अतीत
….वर्तमान ओर भविष्य को याद करते हुए एक ही मकान के तीन तलों में तीन पीढियां सो
गयीं ।
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