भागो लड़कियों अपने सपनों के पीछे भागो

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भागो लड़कियों अपने सपनों के पीछे भागो


अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के विधायक की पुत्री साक्षी के भागकर अजितेश से विवाह करने की बात मीडिया में छाई हुई है | भागना एक ऐसा शब्द है जो लड़कियों के लिए ही इस्तेमाल होता है | जब लड्का अपने मन से विवाह करता है तो भागना शब्द इस्तेमाल नहीं होता है | लेकिन इस प्रकरण ने स्त्री जीवन के कई मुद्दों को फिर से सामने कर दिया है | मुद्दा ये भी उठ रहा है कि लड़कियों को विवाह की अपेक्षा अपना कैरियर बनाने के लिए भागना चाहिए | 
आदरणीय मैत्रेयी पुष्पा  जी कहती हैं कि, ” जब लड़की भागती है तो उसका उद्देश्य विवाह ही होता है अपने सपनों के लिए तो लड़की अकेले ही घर से निकल पड़ती है |” 
तो ..

भागो लड़कियों अपने सपनों के पीछे भागो 

सपनों के पीछे भागती लडकियाँ मुझे बहुत अच्छी लगती हैं | ऐसी ही एक
लड़की है राखी,
 जो मेरी घरेलु सहायिका आरती
 की बेटी है | रक्षा बंधन के दिन पैदा होने
के कारण उसका नाम राखी रख दिया गया | राखी का कहना है कि मैं घर में सबसे बड़ी हूँ
इसलिए सबकी रक्षा मुझे ही तो करनी है | बच्ची का ऐसा सोचना आशा से मन को भरता है | समाज में स्त्री पुरुष का असली संतुलन तो यहीं से आएगा | 


राखी की माँ आरती निरक्षर है, लेकिन राखी सरकारी स्कूल
में आठवीं कक्षा में पढ़ती हैं | अभी तक हमेशा प्रथम आती रही है, जिसके लिए उसे
स्कूल से ईनाम भी मिलता है | कभी –कभी मेरे पास पढ़ने
 आती है, तो उसकी कुशाग्र बुद्धि देख कर ख़ुशी
होती है | आसान नहीं होता गरीबी से जूझते ऐसे घर मे सपने देखने की हिम्मत करना | जब कि हम उम्र सहेलियां दूसरों के घर में सफाई बर्तन कर धन कमाने लगीं हो और उनके पास उसे खर्च करने की क्षमता भी हो | तब तमाम प्रलोभनों से मन मार कर पढाई में मन लगाना | 


फिर भी राखी की आँखों में सपना है | उसका कहना है कि  बारहवीं तक की पढाई अच्छे नंबरों से कर के एक
साल ब्यूटीशियन का कोर्स करके अपने इलाके में
 
एक पार्लर खोलेगी | पार्लर ही क्यों ? पूछने पर कहती है कि , “पार्लर   तो घर में भी खोला जा सकता है, महिलाएं ही
आएँगी, माँ कहीं भी शादी कर देगीं तो इस काम के लिए कोई इनकार नहीं करेगा |” बात
सही या गलत की नहीं है उसकी स्पष्ट सोच व् अपने सपने को पूरा करने की ललक है | 

मैंने
अपनी सहायिका
  को सुकन्या व् अन्य  सरकारी, गैर सरकारी  योजनाओं के बारे में बताया है | कई बार साथ भी
गयी हूँ |आरती को मैं अक्सर ताकीद देती रहती हूँ उसकी पढ़ाई
 छुडवाना नहीं | वो भी अब शिक्षा के महत्व को
समझने लगी है | कई बार जरूरी कागजात बनवाने के लिए वो छुट्टी भी ले लेती है ,
जिससे बर्तनों की सफाई का काम मेरे सर आ जाता है, पर उस दिन वो मुझे जरा भी नहीं
अखरता | एक बच्ची के सपने पूरे होते हुए देखने का सुख बहुत बड़ा है | 

खूब पढ़ो,
मेहनत करो राखी तुम्हारे सपने पूरे हों |


#भागो_लड़कियों_अपने_सपने_के_पीछे_भागो 


नोट – भागना एक ऐसा शब्द है जो लड़कियों के ही साथ जुड़ा है , वैसे भी इसके सारे दुष्परिणाम लड़कियों के ही हिस्से आते हैं | मामला बड़े लोगों का हो या छोटे लोगों का, मायके के साथ संबंध तुरंत टूट जाते हैं | भागते समय अबोध मन को यह समझ नहीं होती कि कोई भी रिश्ता दूसरे रिश्ते की जगह नहीं ले सकता | फिल्मे चाहे कुछ भी कहें पर वो रिश्ते बहुत उलझन भरे हो जाते हैं जहाँ एक व्यक्ति पर सारे रिश्ते निभाने का भार हो | माता -पिता भाई बहन के रिश्ते खोने की कसक जिन्दगी भर रहती है | जिसके साथ गयीं हैं उसके परिवार वाले कितना अपनाएंगे कितना नहीं इसकी गारंटी नहीं होती | जिसको जीवनसाथी के तौर पर चुना है उसके ना बदल जाने की गारंटी भी नहीं होती | ऐसे में अधूरी शिक्षा के साथ अगर लड़की ऐसा कोई कदम भावावेश में उठा लेती है और परिस्थितियाँ आगे साथ नहीं देतीं तो उसके आगे सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं | लड़कियों के लिए बेहतर तो यही होगा पहले आत्मनिर्भर हों , अपना वजूद बनाएं फिर अपनी पसंद के जीवन साथी के बारे में सोचें | ऐसे में ज्यादातर माता -पिता की स्वीकृति मिल ही जाती है और अगर नहीं मिलती तो भी भागना जैसा शब्द नाम के आगे कभी नहीं जुड़ता |

एक कैद से आज़ाद होने के ख्याल से दूसरी कैद में मत जाओ |

#भागो_लड़कियों_अपने_सपने_के_पीछे_भागो 


वंदना बाजपेयी 

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