बाल दिवस पर विशेष कविता : पढो और बढ़ो :डॉ भारती वर्मा बौड़ाई

पढ़ो, बढ़ो, जीवन के दुर्गम पर्वत चढ़ो। मिलें बाधाएँ रौंद उन्हें नव पथ गढ़ो। दिखे कहीं अन्याय, सहो न आगे बढ़ लड़ो। पथ अपना चुन, उस पर अकेले ही बढ़ो। अँधियारा, डरना कैसा? अपना दीपक आप बनो। रंग भले ही हों कितने भी बस भोलापन चुनो। ———————— कॉपीराइट@डॉ.भारती वर्मा बौड़ाई।

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बाल दिवस पर विशेष : कविता हामिद की दिवाली : संगम वर्मा

दादी! ओ दादी! कौन ? कौन है, जो दादी पुकार रहा है ? अरे दादी! मैं, “हामिद” अरे हामिद! (ख़ुशी से स्वर भरते हुए ) तू कहाँ चला गया था बेटा ? देख न.…… कैसे तेरी बाट में ये आँखें  बूढ़ी हो गई है इक तू ही तो है जिसपे मुझे भरोसा है आजकल तो … Read more

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२१ वीं सदी की चुनौतियाँ और बाल साहित्य :डॉ अलका अग्रवाल

21वीं सदी की चुनौतियाँ और बाल-साहित्य नन्हें, भोले बाल-मन को कहानियाँ और कविताएं एक नए स्वप्नलोक में ले जाती हैं जहाँ परियाँ, जादूगर, राजा-रानी, चंदा-तारे हैं तो दूसरी ओर पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, फूल-झरने हैं, और सब उनके साथ बोलते-बतियाते हैं। बाल-साहित्य एक ओर बच्चे की जिज्ञासा शांत करता है तो दूसरी ओर उसमें जिज्ञासा उत्पन्न भी … Read more

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क्यों बदल रहे हैं आज के बच्चे ?

                                                     बचपन ………… एक ऐसा शब्द जिसे बोलते ही मिश्री की सी मिठास मुँह में घुल जाती है ,याद आने लगती है वो कागज़ की नाव ,वो बारिश का पानी,वो … Read more

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