children issues
बाल दिवस पर विशेष : कविता हामिद की दिवाली : संगम वर्मा
दादी! ओ दादी! कौन ? कौन है, जो दादी पुकार रहा है ? अरे दादी! मैं, “हामिद” अरे हामिद! (ख़ुशी से स्वर भरते हुए ) तू कहाँ चला गया था बेटा ? देख न.…… कैसे तेरी बाट में ये आँखें बूढ़ी हो गई है इक तू ही तो है जिसपे मुझे भरोसा है आजकल तो … Read more
२१ वीं सदी की चुनौतियाँ और बाल साहित्य :डॉ अलका अग्रवाल
21वीं सदी की चुनौतियाँ और बाल-साहित्य नन्हें, भोले बाल-मन को कहानियाँ और कविताएं एक नए स्वप्नलोक में ले जाती हैं जहाँ परियाँ, जादूगर, राजा-रानी, चंदा-तारे हैं तो दूसरी ओर पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, फूल-झरने हैं, और सब उनके साथ बोलते-बतियाते हैं। बाल-साहित्य एक ओर बच्चे की जिज्ञासा शांत करता है तो दूसरी ओर उसमें जिज्ञासा उत्पन्न भी … Read more
क्यों बदल रहे हैं आज के बच्चे ?
बचपन ………… एक ऐसा शब्द जिसे बोलते ही मिश्री की सी मिठास मुँह में घुल जाती है ,याद आने लगती है वो कागज़ की नाव ,वो बारिश का पानी,वो … Read more