कठिन रिश्ते : जब छोड़ देना साथ चलने से बेहतर लगे

एक खराब रिश्ता एक टूटे कांच के गिलास की तरह होता है | अगर आप उसे पकडे रहेंगे तो लगातार चोटिल होते रहेंगे | अगर आप छोड़ देंगे तो आप को चोट लगेगी पर आप के घाव भर भी  जायेंगे – अज्ञात                            … Read more

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बदलाव किस हद तक ?

रहिमन प्रिति सराहिए, मिले होत रंग दून । ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सफेदी चून                                                प्रेम का एक अलग ही रंग होता है , जहाँ दोनों एक दूसरे के लिए अपना रंग त्याग … Read more

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सहानुभूति नहीं समानुभूति रखें

क्यों न हम लें मान, हम हैं चल रहे ऐसी डगर पर, हर पथिक जिस पर अकेला, दुख नहीं बँटते परस्पर, दूसरों की वेदना में वेदना जो है दिखाता, वेदना से मुक्ति का निज हर्ष केवल वह छिपाता; तुम दुखी हो तो सुखी मैं विश्व का अभिशाप भारी! क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी? क्या करूँ? … Read more

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रिश्तों की तस्वीर का एक पहलू

इस संसार में हर व्यक्ति और वस्तु गुण-दोष से युक्त है,लेकिन रिश्तों की दुनिया में यह नियम लागू नहीं हो पाता। मन और आत्मा के धरातल पर रिश्ते जब प्रगाढ होते हैं,तो सिर्फ गुण ही गुण दिखाई देते हैं और दोष दिखना बंद हो जाते हैं या दूसरे शब्दों में कहें,तो जब किसी को किसी … Read more

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अपनों की पहचान बुरे समय में नहीं अच्छे समय में भी होती है

आम तौर पर यही माना जाता है कि जो बुरे वक्त में विपदा के समय साथ दे,वही सच्चा मित्र या हितैषी होता है.यह बात कुछ हद तक सही भी है,लेकिन तस्वीर का एक दूसरा पहलू भी है.कई बार ऐसा भी होता है कि जब आप परेशान या दुखी होते हैं,तो लोग सहानुभूतिवश भी आपके साथ … Read more

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अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर विशेष : चलो चले जड़ों की ओर : वंदना बाजपेयी

जंगल में रहने वाले  मानव ने जिस दौर में आग जलाना सीखा , पत्थरों  को नुकीला कर हथियार बनाना  सीखा , तभी  शायद उसने परिवार के महत्व को समझा और यह भी समझा कि मनुष्य सामाजिक प्राणी है जिसे सहज जीवन जीने  के लिए समाज , परिवार अपनों के स्नेह की छाया जरूरत है | … Read more

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रिश्तों को दे समय

                     रिश्तों को दे समय  न  मिटटी न गारा, न सोना  सजाना  जहाँ प्यार देखो वहीं घर बनाना कि  दिल कि इमारत बनती है दिल से दिलासों को छू के उमीदों से मिल के                                       एक खूबसूरत गीत कि ये पंक्तियाँ आज के दौर में इंसान … Read more

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थोड़ी सी समझदारी से निभाएं जा सकते हैं रिश्ते

मेरा तो मानना है कि हर विवाह ही बेमेल विवाह होता है,क्योंकि कोई भी दो व्यक्ति एक सी सोच, एक सी विचारधारा, एक सी धार्मिक आस्था, एक से रहन सहन, एक से मिज़ाज, रूपरंग मे समकक्ष, आर्थिक स्थिति मे भी समान, शिक्षा मे भी समान हों, मिल पाना लगभग असंभव ही है।जीवन साथी मिलना कपड़े … Read more

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रिश्तों की तस्वीर का एक पहलू

रिश्तों की तस्वीर का एक पहलू                                                                                        इस संसार में हर व्यक्ति और … Read more

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आखिर क्यों टूटते हैं गहरे रिश्ते

                                    अभी ज्यादा दिन नहीं बीते,जब सुरेश व मोहन गहरे दोस्त हुआ करते थे,लेकिन आज दोनों एक दूसरे की चर्चा तो दूर्,नाम तक सुनना पसंद नहीं करते.अगर कहीं किसी ने गलती से भी किसी चर्चा में एक का नाम … Read more

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