अर्थ डे :दो कदम हम भी चले …. दो कदम तुम भी चलो

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अर्थ डे 
आज अर्थ डे है ……… पर्यावरण प्रदुषण से न सिर्फ हमारी पृथ्वी के लिए अपितु समस्त जीवों के लिए चिंता का विषय है |जरा सोचिये माँ का धयान नहीं रखेंगे तो कोख में पल रहे बच्चे कैसे जीवित रहेंगे |हम सब को इस बारे में सोचना है अपने -अपने तरीके से पहल करनी है | साथ ही इस बात का ध्यान भी रखना है की ये दिवस भी अन्य दिवसों की तरह महज खाना पूरी बन कर न रह जाए | तो क्यों न आज ही से शुरुआत करे ……….संकल्प लें  अपनी धरती माँ की रक्षा का  …आज् ही उठाइये पहला कदम अपनी धरती माँ की रक्षा का
                         
पर्यावरण बचाएँ ,पृथ्वी सजायें
पृथ्वी दिवस हम मिलकर मनाएं

45 साल पहले आज ही के दिन अमेरिका में पहली बार अमेरिका में अर्थ डे का सेलिब्रेशन हुआ था। यह एक वार्षिक आयोजन है जो दुनियाभर में सेलिब्रेट किया जाता है। 192 देश इसे मनाते हैं। 1969 मंे सेन फ्रांसिस्को में यूनेस्को कॉन्फ्रेंस के दौरान शांति कार्यकर्ता जॉन मैक्कॉनेल ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए एक दिन पृथ्वी और शांति की अवधारणा के सम्मान में समर्पित करने का प्रस्ताव रखा था। तब 21 मार्च को यह सेलिब्रेट किया गया लेकिन एक महीने बाद ही यूएस सीनेटर गेरॉल्ड नेल्सन ने अलग से अर्थ डे की स्थापना की। और तब से 22 अप्रैल को अर्थ डे मनाया जाने लगा। कई जगह एक्टिविटीज़ के द्वारा अर्थ वीक भी मनाया जाता है। पृथ्वी दिवस को पृथ्वी सप्ताह के रूप में पूरे सप्ताह के लिए मनाते हैं, आमतौर पर 16 अप्रैल से शुरू कर के, 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस के दिन इसे समाप्त किया जाता है।  इन घटनाओं को पर्यावरण से सम्बंधित जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए डिजाइन किया जाता है। इन घटनाओं में शामिल हैं, पुनः चक्रीकरण को बढ़ावा देना, ऊर्जा की प्रभाविता में सुधार करना और डिज्पोजेबल वस्तुओं में कमी लाना. 22 अप्रैल वार्षिक इओवाहॉक “वर्चुअल क्रुइसे” की भी तिथि है। दुनिया भर से लाखों लोग इसमे भाग लेते हैं।
                              “पृथ्वी दिवस पहला पवित्र दिन है जो सभी राष्ट्रीय सीमाओं का पार करता है, फिर भी सभी भौगोलिक सीमाओं को अपने आप में समाये हुए है, सभी पहाड़, महासागर और समय की सीमाएं इसमें शामिल हैं और पूरी दुनिया के लोगों को एक गूंज के द्वारा बांध देता है, यह प्राकृतिक संतुलन को बनाये रखने के लिए समर्पित है, फिर भी पूरे ब्रह्माण्ड में तकनीक, समय मापन और तुंरत संचार को कायम रखता है।पृथ्वी दिवस खगोल शास्त्रीय घटना पर एक नए तरीके से ध्यान केन्द्रित करता है- जो सबसे प्राचीन तरीका भी है- वर्नल इक्विनोक्स का उपयोग करते हुए, जिस समय सूर्य पृथ्वी की भूमध्य रेखा को पार करते हुए पृथ्वी के सभी भागों में दिन और रात की लम्बाई को बराबर कर देता है।

                                                             

                 भारत में इस दिन सरकारी-गैरसरकारी तरह-तरह के आयोजन होते हैं। हम धरती व पर्यावरण को बचाने का संकल्प लेते हैं। वृक्षारोपड़ से लेकर नदियों, तालाबों व अपने आसपास की साफ-सफाई जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जनजागरूकता अभियान, सभा, संगोष्ठियां व सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं। फिर भी मैं इतना कहना चाहूंगी की  किसी भी दिवस को मानाने की सार्थकता तभी है जब हम उस बात के महत्व को समझे जिसके लिए वो दिवस माया जा रहा है |आज जिस तरह से हमारा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है उस से हमारे जीवन व् हमारी पृथ्वी को खतरा उत्पन्न हो गया है | अगर हम वास्तव में इसके महत्व को समझते हैं तो हमें व्यक्ति के स्टार पर समाज के स्तर पर पहल करनी होगी ,अन्यथा यह महज एक खाना पूरी बन कर रह जाएगा

इस महान अभियान में आप भी अपना योगदान दे सकते हैं, और सबसे बड़ी बात कि उसके लिए आपको कोई बहुत बड़ा त्याग नहीं करना है और ना ही कोई बहुत बड़ा कदम उठाना है। आप अपने छोटे-छोटे कामों से एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

एक पेड़ लगाएं।
अपनी खुद की पानी की बोतल और अपना खुद का किराने का थैला साथ लेकर चलें।
शाकाहारी बनें।
स्थानीय स्तर पर उगाई जाने वाली सब्जियां खरीदें।
पैदल चलें, साइकल चलाएं।
याद रखिए कि पृथ्वी दिवस मनाने की जरूरत हर दिन है।

                                           माँ कहती है
                                             बस एक पौधा
                                                     जो तुमने धरती पर रोपा
                                                                    जीवन तुमको दे जाता है
                                                                           आओ हम सब वृक्ष लगाए
                                                                                     ऐसे पृथ्वी दिवस मनाये

                                         

अटूट बंधन परिवार
समस्त चित्र गूगल से साभार

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