टूटे नहीं chain of happiness

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टूटे नहीं chain of happiness

एक बार की बात है , एक  महिला  कार ले कर किसी मीटिंग के लिए दूसरे शहर जा रही थी | रास्ते में एक सुनसान इलाका पड़ता था| उसी जगह उसकी कार  खराब हो गयी| शाम होने वाली थी , दूर -दूर तक कोई नहीं था जो उसकी मदद करता | इतनी सुनसान जगह में वो अकेले बहुत घबरा रही थी , दूसरे अगर समय पर नहीं पहुँची तो उसे लाखों का नुक्सान हो सकता था | पर उसके पास बैठ कर इंतज़ार करने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था|

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                     तभी वहाँ  से एक आदमी गुज़रा | उसने अपनी साइकिल रोक  कर पूंछा ,” मैडम आपको help चाहिए क्या? फिर उत्तर की  प्रतीक्षा किये बगैर साइकिल   से उतर गया | उसने उस महिला से कार की चाभी माँगी और बोनट खोल कर चार ठीक करने लगा, करीब डेढ़ घंटे की मेहनत के बाद वो महिला से बोला मैम आपकी कार ठीक हो गयी है , अब आप जा सकती हैं | महिला खुश हो गयी , उसने उस व्यक्ति को कुछ पैसे देने चाहे तो उस व्यक्ति ने मना कर ते हुए कहा , ” मैडम मेरा एक उसूल है , मैं मदद के पैसे नहीं लेता, आप से भी नहीं लूँगा| पर मैं एक वादा लेता हूँ ,अगर आप को कभी कोई ऐसा मिले जिसको मदद की जरूरत हो तो आप उसकी मदद कर देना | किसी की मदद करने में जो ख़ुशी मिलती है वो अनमोल है , ये chain of happiness टूटे नहीं , हर जरूरत मंद को मदद मिलती रहे यही मेरी इच्छा है| “कहकर वो ओनी साइकिल  ले कर चला गया | वो महिला भी अपनी कार ले कर आगे की ओर बढ़ गयी |

रास्ते में एक कॉफ़ी शॉप थी, महिला ने सोंचा चलो , चलकर काफी पीलें, थोडा fresh feel करेंगे | वह कार से उतर कर कॉफ़ी शॉप में गयी , वहां एक लड़की जो काफी बीमार लग रही थी , सबको कॉफ़ी  सर्व कर रही थी | वो बड़े प्यार से हँस – हंस कर सबको कॉफ़ी दे रही थी , परन्तु उसकी चाल बारबार लडखडा जाती थी | उसको देख कर महिला ने कुछ पूँछना चाह पर यह सोंच कर रह गयी कि कहीं उसे बुरा न लगे | कॉफ़ी  पी कर जाते समय उस महिला ने एक लिफाफा वहाँ  उस लड़की के लिए इस नोट के साथ छोड़ दिया कि तुम्हारे पैर में जो बिमारी है उसे इलाज की जरूरत है | मुझे आज एक व्यक्ति मिला था जिसने मेरी हेल्प की | मेरा लाखों का नुक्सान होने से बचाया , उसी की chain of happiness को आगे बढाते हुए मैं ये 10, 000 रुपये तुम्हारे लिए छोड़े  जा रही हूँ , अपना इलाज करा लेना |

जब उस लड़की को वो लिफाफा मिला तो उसकी आँखें भर आयीं | वो पैसे लेकर अपने घर गयी और अपने पिता से बोली , ” अब आप को चिंता करने की जरूरत नहीं है , ईश्वर की कृपा से मेरे इलाज़ का इंतजाम हो गया है , अब आप निश्चिन्त हो कर विनोद भैया के यहाँ ये सिलाई मशीन लौटा दे , अपना काम ठप्प होने से उन्हें भी काफी आर्थिक दिक्कत हो रही होगी | क्योंकि मुझे जिन्होंने पैसे दिए हैं  उन्होंने कहा है कि chain of happiness रुकनी नहीं चाहिए |

उस लड़की के पिता पैसे पा कर बाहुत खुश हुए | वो सिलाई मशीन उठाकर विनोद के घर गए | उस समय विनोद वहाँ  नहीं था , वह उसकी पत्नी को बहुत धन्यवाद देते हुए मशीन लौटा आये | विनोद घर आया तो उसकी पत्नी ने कहा , ” आज  फिरोज चचा मशीन लौटा गए , अब तुम बेकार नहीं बैठोगे , न घर में खाने की कमी होगी, सच में तुम्हारी chain of  happiness हमारे लिए भी काम करती है |

जवाब सुन कर विनोद मुस्कुराया| विनोद वही साइकिल वाला लड़का था , जिसने सुनसान रास्ते पर उस कार वाली महिला की मदद की थी |

                              मित्रों ये प्रेरक कथा सिर्फ प्रेरक कथा नहीं है , ये बताती है हम सब इस कदर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं कि अगर हम किसी की मदद करते हैं , तो हमारे पास भी जरूरत के समय कहीं न कहीं  से मदद आ जाती है और ये chain of happiness टूटती नहीं है |

                                            अगर आप को ये कहानी पसंद आई हो तो आपभी किसी जरूरत मंद की मदद करके chain of happiness को आगे बढ़ा दीजियेगा |

टीम ABC
जब स्वामी विवेकानंद जी ने डायरी में लिखा , ” मैं हार गया हूँ “



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