अभिशाप

    “कम आन मम्मा!कब तक यूं ही डर के साथ जीती रहोगी। अब साइंस ने बहुत प्रोग्रेस कर ली है ;फिर आप तो एजुकेटेड है।” साक्षी ने मचलते हुए रंजीता से फरमाइश की “अब मुझे वो तीखे वाले पकोड़े खिलाओ और मेरे लिए आचार की सारी वेराइटीज पैक कर दो, आकाश मुझे लेने आता ही … Read more

Share on Social Media

नई बहू (लघुकथा )

   सेठानी के गुस्से की कोई सीमा ही नहीं थी। वह बड़बड़ाये जा रही थी “अब कंगले भिखरियों की भी इतनी औकात हो गई कि हमारे राजकुमार का रिश्ता ठुकरा दे। बेटी कॉलेज क्या पढ़ गई , इतने भाव बढ़ गए। ”  सेठजी गरजे “तुम्हारा राजकुमार क्या दूध का धुला है। न पढ़ने में रूचि न धंधे का … Read more

Share on Social Media

शादी – ब्याह :बढ़ता दिखावा घटता अपनापन

                                                                  आज कल शादी ब्याह ,दिखावेबाजी के अड्डे बन गए हैं | मुख्य चर्चा का विषय दूल्हा – दुल्हन व् उनके लिए शुभकामना … Read more

Share on Social Media

भूमिका

रचना व्यास  चातुर्मास में साध्वियों  का दल पास ही के भवन में ठहरा था।  महिमा नित्य अपनी सास के साथ प्रवचन सुनने जाती थी। समाज में ये संचेती परिवार बड़े सम्मान की दृष्टी से देखा जाता था। अर्थलाभ हो या धर्मलाभ -सबमें अग्रणी।  प्रेक्षा -ध्यान के नियमित प्रयोग ने महिमा को एकाग्रता ,तुष्टि व समता रुपी उपहार दिए।  … Read more

Share on Social Media

वक़्त की रफ़्तार

रचना व्यास हालाँकि  वह  उच्चशिक्षिता  थी  पर  आशंकित  हो  उठी  जब  पति  के  साथ दिल्ली  में  शिफ्ट  हुई ।   आँखे  भर  आई  अपना  छोटा  क़स्बा  छोड़ते हुए जहाँ  उसे  व  उसकी  तीन  वर्षीया   बच्ची  को  भरपूर   दुलार व सुरक्षा  मिली ।   अख़बार  पढ़कर  वह  त्रस्त   हो  जाती ।  मन ही मन देवता  मनाती।  सोसाइटी  में  अब  उसे  सहेलियाँ   मिल  … Read more

Share on Social Media

रक्षा बंधन स्पेशल – फॉरवर्ड लोग

  आज सजल बहुत खुश था। पूरे आठ साल बाद आज रक्षाबंधन के दिन मीनल दीदी उसकी कलाई पर राखी बांधेगी। वो जब दसवीं कक्षा में था, मीनल दीदी ने कॉलेज की पढ़ाई के साथ पार्टटाइम जॉब शुरू कर दी थी। पापा -मम्मी ने रोक था कि जॉब के साथ वह पढ़ाई उतनी तन्मयता से नहीं कर पायेगी। पर … Read more

Share on Social Media

आधी आबादी :कितनी कैद कितनी आज़ाद (रचना व्यास )

कोई पैमाना नहीं है अर्धांगिनी नारी तुम जीवन की आधी परिभाषा।’  कितना सच और सुखद लगता है सुनने में पर जब भी किसी को बुर्के में या परदे में लिपटा देखती हूँ तो अर्धनारीश्वर की धारणा असत्य लगती है। कैद किसी को भी मिले चाहे स्त्री हो, पुरुष हो, युवा हो, वृद्ध हो या बच्चा … Read more

Share on Social Media

ममता

ममता यूँ  तो  शीतल  को  अपने  ससुराल  में  सभी  भले  लगे  लेकिन  उसकी  बुआ सास की  लड़की  हर्षदा  न  जाने  क्यों  बहुत  अपनी-सी  लगती  थी|  हर्षदा उम्र  में  उससे  कम  थी पर  अत्यंत  परिपक्व  व  शालीन  थी |  साल दर साल  गुजरते  गए  पर  शीतल  को  माँ  बनने   का सौभाग्य  न  मिला |  मिले  तो  बस  सवाल  ही  … Read more

Share on Social Media
error: Content is protected !!