दोहरी जिंदगी की मार झेलती कामकाजी स्त्रियाँ

आज भले ही महिलाओं ने अपनी एक अलग पृष्ठभूमि तैयार कर ली है ,पर अभी भी हमारे पुरुष प्रधान समाज मे स्त्रीयों की हालत काफी नाजुक है | समय बदला,युग बदला और नारी ने भी अपना मुकाम बनाया ,पर एक सत्य जिसे नकारा नहीं जा सकता वह यह है कि आज भी स्त्री पुरुष के … Read more

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दीपावली पर मिटाए भीतरी अन्धकार

 दीपावली पर मिटाए भीतरी अन्धकार  हम हर वर्ष दीपावली मनाते हैं | हर घर ,हर आंगन,हर गाँव ,हर बस्ती एक जगमग रौशनी से नहा उठती है | यूँ लगता है जैसे सारा संसार एक अलग ही पोशाक धारण कर लिया है | इस दिन मिट्टी के दिये में दीप जलाने की मान्यता है | क्योंकि … Read more

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एक पाती भाई /बहन के नाम ( संगीता सिंह भावना )

मेरे भाई,,  आज मैं तुमसे शादी के करीब इक्कीस साल बाद कुछ कहना चाहती हूँ | कहने का मन तो कई बार हुआ पर लगा यह उचित अवसर नहीं है | भाई,,मैं जब-जब मायके आई तुमने मुझे बहुत मान  दिया | वैसे तो मैं तुमसे पाँच साल बड़ी हूँ पर तुमने हमेशा बड़े भाई का … Read more

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आधी आबादी :कितनी कैद कितनी आज़ाद (संगीता सिंह ‘भावना ‘)

दोहरी जिन्दगी की मार  आज भले ही स्त्री ने अपनी एक अलग पृष्ठभूमि तैयार कर ली है ,पर अभी भी हमारे पुरुष प्रधान समाज मे स्त्रीयों की हालत काफी नाजुक है | समय बदला,युग बदला और नारी ने भी अपना मुकाम बनाया ,पर एक सत्य जिसे नकारा नहीं जा सकता वह यह है कि आज … Read more

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मजबूत हैं हौसले ……….. की मंजिल अब दूर नहीं

आधुनिक और बदलते दौर ने जहाँ एक ओर हमें कई विसंगतियां दी है ,वहीँ हमें अपने तरीके से जीवन जीने की आजादी भी दी है | हमारे इसी बदलाव और लाइफस्टाइल से हमें कई सुविधाएँ भी मिली हैं ,इसमें कोई संशय नहीं | आज हमारे समाज में अगर सबसे ज्यादा बदलाव या क्रांति आई है … Read more

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