सुशांत सुप्रिय की कवितायेँ

सुशांत सुप्रिय की कवितायेँ  1. खो गई चीज़ें                                वे कुछ आम-सी चीज़ें थींजो मेरी स्मृति में सेखो गई थींवे विस्मृति की झाड़ियों मेंबचपन के गिल्ली-डंडे कीखोई गिल्ली-सी पड़ी हुई थीं वे पुरानी ऐल्बम में दबेदाग़-धब्बों से भरेकुछ श्वेत-श्याम चित्रों-सी दबी … Read more

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गिरीश चन्द्र पाण्डेय “प्रतीक” की कवितायें

अब रेखाएं नहीं अब तो सत्ता तक पहुचने का कुमार्ग बन चुकी हैं हर पाँच साल बाद फिर रँग दिया जाता है इन रेखाओं को अपने-अपने तरीके से अपनी सहूलियत के रँग में कभी दो गज इधर कभी दो गज उधर बनी रहती है रेखा जस की तस गिरीश चन्द्र पाण्डेय जी की कवितायें मैं … Read more

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राधा क्षत्रिय की कवितायेँ

      प्रेम मानव मन का सबसे  खूबसूरत अहसास है प्रेम एक बहुत ही व्यापक शब्द है इसमें न जाने कितने भाव तिरोहित होते हैं ये शब्द जितना साधारण लगता है उतना है नहीं इसको समझ पाना  और शब्दों में उतार पाना आसान नहीं है फिर भी यही वो मदुधुर अहसास है  जो  जीवन सही को अर्थ … Read more

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भावनाएं

                                                                     स्त्री या पुरुष दोनों को कहीं न कहीं यह शिकायत रहती है कि अगला उनकी भावनाएं नहीं समझ पा रहा है …… यह … Read more

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अरविन्द कुमार खेड़े की कवितायेँ

                    अरविन्द जी की कविताओं में एक बेचैनी हैं ,जहाँ वो खुद को व्यक्त करना चाहते हैं।  वही उसमें एक पुरुष की समग्र दृष्टि पतिबिम्बित होती है ,”छोटी -छोटी खुशियाँ “में तमाम उत्तरदायित्वों के बोझ तले  दबे एक पुरुष की भावाभिव्यक्ति है. बिटिया में  सहजता से कहते हैं … Read more

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रूचि भल्ला की कवितायेँ

जब मुझे लगता है कि किसी बात पर अपने तरीके से कुछ कहना चाहिए तो मेरी लेखनी चल जाती है और कोरे कागज़ पर कविता की सूरत में बदल जाती है।मेरे लिए कविता दुखों से साक्षात्कार और सुखों से अनुभव है।सांसारिक, राजनैतिक, प्राकृतिक और मानसिक संवेदनाओं की अभिव्यक्ति से शब्द पुंज का सृजन करना ही … Read more

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काहे को ब्याही …. ओ बाबुल मेरे

                                  विवाह जन्म -जन्मान्तर का रिश्ता होता है ………पर गरीबी दहेज़ की कुप्रथा और कहीं न कहीं कन्या को बोझ मानने की प्रवत्ति विवश कर देती है बाबुल को अपनी लाडली का हाथ उन हांथों में………..जहाँ विवाह के बाद नहीं … Read more

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अनामिका चक्रवर्ती की कवितायें

अनामिका

                                                                       एक  स्त्री कितना कुछ भोगती है जीवन में ……….. बहुत जरूरी है उस पीड़ा उस कसक को सामने लाना ,आज साहित्य … Read more

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आभा दुबे की कवितायेँ

                                                      आभा दुबे जी नारी मनोभावों को पढने में सिद्धहस्त हैं। बड़ी ही सहजता से वो एक शिक्षित नारी को परिभाषित करती हैं ,वो रो नहीं सकती चीख नहीं … Read more

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