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श्राद्ध पक्ष – क्या वास्तव में आते हैं पितर
चाहें ना धन-संपदा, ना चाहें पकवान l
पितरों को बस चाहिए, श्रद्धा और सम्मान ll
आश्विन के शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से लेकर आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या...
जासूसी उपन्यासों में हत्या की भूमिका – दीपक शर्मा
लोकप्रिय साहित्य और गंभीर साहित्य को अलग-अलग खेमे में रखे जाने पर अब प्रश्न चिन्ह लगने शुरू हो गए है ? और बीच का...
बिना पढ़ें कबीर दास जी को ज्ञान कहाँ से मिला
“मसि कागद छूऔं नहीं, कलम गहौं नहि हाथ
चारों जुग कै महातम कबिरा मुखहिं जनाई बात”
इसका शाब्दिक अर्थ है कि : मैंने कागज और स्याही...
हिंदी कविता में आम आदमी
हिंदी कविता ने बहुधर्मिता की विसात पर हमेशा ही अपनी ज़मीन इख्तियार की है। इस बात की पुष्टि हर युग के कवियों द्वारा की...
व्यष्टि से समष्टि की ओर
ये दौर भी बीत जाएगा। परिवर्तन प्रकृति का मूल स्वभाव है। यहाँ कुछ भी स्थाई नहीं है । मनुष्य अपने आविष्कारों के दंभ में...