Tag: समीक्षा वंदना बाजपेयी
घूरे का हंस – पुरुष शोषण की थाह लेती कथा
मैं खटता रहा दिन रात
ताकि जुटा सकूँ हर सुख सुविधा का सामान तुम्हारे लिए
और देख सकूँ तुम्हें मुस्कुराते हुए
पर ना तुम खुश हुई ना...
कितने गांधी- महात्मा गांधी को नए दृष्टिकोण से देखने की कोशिश...
व्यक्ति अपने विचारों के सिवा कुछ नहीं है. वह जो सोचता है, वह बन जाता है.
महात्मा गांधी
इस वर्ष जबकि आजादी का अमृत महोत्सव मनाया...