जन्माष्टमी पर विशेष :जय कन्हैया लाल की

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष /shrikrishn janmashtami par vishesh 

झांकी 
जय कन्हैया लाल की 

1 …………..जब -जब धरती पर धर्म की हानि होती है ,ईश्वर अवतार लेते हैं

तभी तो भक्त गा उठते हैं ……………

कभी राम बन के कभी श्याम बन के
चले आना प्रभुजी चले आना
                                         कभी कृष्ण रूप में आना
                                             राधा साथ ले के
                                           बंशी हाथ ले के
                                                       चले आना प्रभुजी चले आना

२ …………………द्वापर युग में भादों मास की अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण का जन्म कारावास में हुआ |

जब जन्मे कृष्ण भगवान्
जेल दरम्यान वो मुरली वाले
खुल गए  जेल के ताले …………………

३ ……………….. अपने मामा कंस द्वारा हत्या कर दिए जाने के भय से पिता वासुदेव उन्हें टोकरी में रख कर यशोदा और नंद बाबा के घर छोड़ आये | रास्ते में जमुना नदी उफान -उफान कर बाल कृष्ण के पाँव छूने को लालायित हो उठी 
एक बार मोहे पाँव छूँ अन  दो मिटे मन की उदासी 
लोग कहें मैं नीर भरी हूँ 
मैं अंतर घट प्यासी 
४……….. माता यशोदा ने बाल कृष्ण को अपने आँचल की छाँव में बिठा ममता से सराबोर कर दिया 
हे ! रे !कन्हैया 
किसको कहेगा तू मैया 
इक ने तुझको जन्म दिया है 
एक ने तुझको पाला 
एक ने तुझको दी हैं रे आँखें 
एक ने दिया उजाला 
५……….. पर नन्हे कृष्ण को भाता था तो बस शरारत करना और माखन चुराना और उस पर भी ………. एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी 
मैया ….. जरा बताओ न मैं ज्यादा प्यारा हूँ या माखन ?

फोटो क्रेडिट –patrika.com

६ …………. एक और काम प्रिय था …. वो था बांसुरी बजाना 
जमुना की लहरे 
बंशी वट  की छैंया 
किसका नहीं है कहो कृष्ण कन्हैया 
सांवरे की बंशी को तो बजने से काम 
राधा का भी श्याम 
वो तो
मीरा का श्याम  

७ …………. पर शरारत करते तो माँ के हाथों से पिटाई तो होती ही थी

चोरी माखन की दें छोड़
कन्हैया
मैं समझे रही तोय
                                        बड़ो नाम है नंद बाबा को
                                            हँसी हमारी होय

७ ………….. पर कृष्ण कहाँ मानने वाले थे ,जानते थे …. माँ कितनी देर नाराज रहेंगी ,आखिरकार तो गोद  में बिठा ही लेंगी 
ढूंढें री अँखियाँ तोहे चहुँ ओर 
जाने कहाँ छिप गया नंद किशोर 
बड़ा नटखट है रे कृष्ण कन्हैया 
का करे यशोदा मैया ………..

८ ………… गोपिकाओ के सर कृष्ण की बांसुरी और प्रेम का नशा चढ़ा रहता |
श्याम रंग रंगी मोरी चूनरी
काहे समझत न तू  बावरी ………….
यह प्रेम कृष्ण के द्वारिका में बस जाने के बाद भी कहाँ कम हुआ | तभी तो गोपिकाएं कह उठती हैं ……………

  लरिकार्इ
को प्रेम कहौ अलि कैसे करिकै छूटत
?
कहा कहौं ब्रजनाथ-चरित अब अन्तरगति यों लूटत।।
चंचल चाल मनोहर चितवनि, वह
मुसुकानि मंदधुनि गावत।
नटवर भेस नन्द नन्दन को, यह
विनोद गृह बन में आवत।
चरन कमल की सपथ करति हौं यह संदेस मोहि विष सम लागत।
सूरदास मोहि निमिष न बिसरत मोहन मूरति सोवत जागत।।

९ ……….. कृष्ण के मन में बसती  थी बस राधा………..
                                                प्रेम भी कोई ऐसा -वैसा नहीं ,राधा रानी कह उठती हैं ………..

                                               आदि मैं न होती राधे कृष्ण की रकार पे
                                               तो मेरी जान राधे कृष्ण आधे कृष्ण रहते

और भक्त भी तो समझदार हैं की तभी तो गाते हैं ………….

राधे -राधे रटो  चले आयेंगे बिहारी ……….

१० ……………. कुरुक्षेत्र  में कृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से समस्त संसार को गीता का ज्ञान दिया 
और साथ हे अपने ईश्वर होने का प्रमाण भी ………………………. साफ़ -साफ़ कह दिया 

अभ्युत्थायदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति
भारत ।

          अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।7।।
धर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥७॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्र्स्पनार्थाय सम्भवामि युगे युगे
श्रीमद्भगवद्गीता, अध्य

११ ………. कृष्ण का विराट रूप देख अर्जुन को उनके ईश्वर होने पर यकीन हो गया
अब लगे घबराने “अरे जिन्हें मित्र समझते थे वो तो ईश्वर निकले ………. फिर क्या क्षमा मांग ली

सखेति मत्वा
प्रसभं यदुक्तं


हे कृष्ण हे यादव हे सखेति ।

अजानता महिमानं तवेदं

मया प्रमादात्प्रणयेन वापि ।।41।।

१२ ………… जब जब आततायी बढ़ेंगे श्री कृष्ण शोषित  मनुष्यों की रक्षा  के लिए भगवान् स्वयं  अवतार लेंगे

जय श्री कृष्ण……….
गोविन्द तुम्हीं गोपाल तुम्ही
घनश्याम यशोदा नंदन हो
हे नाथ कहीं योगेश्वर हो
हे नाथ कहीं मन मोहन हो

ब्रज के नंद लाला राधा के सांवरिया
सभी दुःख दूर हुई जब तेरा नाम लिया

 अटूट बंधन

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