राम नाम सत्य है

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राम नाम सत्य है

मेरी मौत 9 जून 2051 को होगी? यह तारीख एक ‘वेब-साइट’ वालों ने मेरे लिये निकाली है! है, भगवान, तेरे घर में भी आज इन ‘आईडेंटिटी थेफ्ट’ वालों ने कुछ सुरक्षित नही छोड़ा! साँठ-गांठ करके अब यह लोग हमारी मौत का रिकॉर्ड भी तुम्हारे यहाँ से ले आये हैं! एक रहस्य था और उसमे भी कितना रोमांच था कि एक दिन मेरी डार्लिंग, मेरे सपनो की रानी, मेरी मौत, मेरे पास आएगी और मुझे सजनी की तरह आकर अपने आगोश में भर लेगी और मैं आनंदित होकर सदा के लिए अपनी आँखें मूँद लूँगा। अब कर लों बात…यह रहस्य और रोमांस भी गया!

सन दो हज़ार इक्वञ्जा के जून महीने के नौवें दिन 24 घंटे के अंदर किसी भी वक्त मुझे मौत आ सकती है! अगर यह कमबख्त मेरे मरने का समय भी बता देते तो मैं उस दिन थोड़ा और सकून से मर जाता..। नहा-धोकर धूप-बती कर लेता .अपनी दाढ़ी-शेव बनाकर समय पर तैयार हो जाता। मेरे घर वाले भी चैन से अपना नाश्ता-लंच कर लेते या फिर अपना खाना-पीना उस घड़ी से कुछ आगे-पीछे कर लेते जब यमदूत अपना वाहन मुझे ढोने के लिए लाने वाले थे! अपने घर वालों से सफर में भूख लगने पर खाने के लिए कुछ ‘टिफन’ में ‘पेक’ करने का आग्रह कर लेता …न जाने कितना लंबा सफर हो…और न जाने कब जाकर किस पहर मुंह के रास्ते पेट में कोई निवाला जाये? कौन जानता है की ऊपर वाले के उधर भी कोर्ट-कचहरी जैसा ही होता हो और घर से अपनी रोटी बांध कर ले जानी होती हो? या

फिर क्या उधर भी कचहरी की तरह अहाते में पीपल के पेड़ के नीचे कोई कुल्चे-छोले वाला मिल जाता है?
भई, इन ‘वेब-साइट’ वालों पर अब मेरा पूरा विश्वास हो चला है, उन्होने मेरी मौत का कारण हृदय-रोग बताया है। पता नही इनको मेरे इतिहास और ‘सेहत -रेकॉर्ड’ के बारे मैं कैसे पता चला है…मुझे यह जानकार ताज्जुब हो रहा है…हाँ, मुझे अपनी इकलोती जवानी में ही शिमला की एक मृग-नयनी, कमसिन और बाली-उमरिया की एक छोकरिया से… हो गया था ! खुदा की मर्ज़ी थी या संजोगों की बात… हमारी नही हुई… और हो सकता है वह आज भी कहीं गोलगप्पों और चाट का मज़ा ले रही हो और हम समझदार आज भी उसके लिए अपना खाना छोड़े बैठे हैं!
खैर, जो भी जानकारी उपलब्ध है उसके मुताबिक तब मेरी उम्र 93 वर्ष से कुछ दिन कम होगी। पता नही इतने साल और जिंदा रहकर मैंने किस के बाप का कर्ज़ चुकाना है जो अब तक मैं चुका नही पाया!
उस दिन शुक्रवार होगा, जुम्मे का दिन ! अल्हा के कर्म से आप में से तब तक कोई बाकी बचा (जीवित रहा) तो सप्ताहांत के कारण आपको आने जाने में सुविधा रहेगी। यह दिन 2051 वर्ष का 160वां दिन होगा और और लुट्टीयां डालने के लिए आपके पास साल में अभी भी 205 दिन शेष बचेंगे!
याद रहे, 2051 का वर्ष लीप वर्ष नही है, इसलिये लुट्टीयां डालने के लिये आपका एक दिन और कम हो गया !
यह पूर्व जानकारी इसलिये तांकि आप कोई बहाना न बनाये कि आपको समय पर सूचना नही दी, अभी से अपनी ‘स्मार्ट वाच’ को बता दें, पता नही इस कागची कलेंडर का प्रचलन उस समय हो या न हो ! पता नही आपको याद भी रहे या न रहे, आपके पास भी तो ‘टाइम नही है…टाइम नही है…मरने का भी टाइम नही है …!’
हमारी ‘सोशल सेकुरिटी’ तब तक रहे या न रहे, हम भी रहे या न रहे लेकिन यह बात तो निश्चत हो गई है कि उस दिन तक दुनिया रहेगी। उसके बाद क्या होगा आपमें से ही कोई बता सकता है ! कहते हैं, आप मरा, जग परलो होई, अर्थात जब मैं मरा तो…मेरी ब्लाँ से…यानि जब मैं आपके लिये मरा तो आप सब भी, सब के-सब, मेरे लिये मर जायेंगे…’चैप्टर क्लोज्ड’ ! तब, ‘न काहू से दोस्ती, न काहू से वैर।’
खैर, जो भी होगा, ठीक ही होग, ऐसा मेरी पवित्र धार्मिक पुस्तक गीता कहती है!
हाँ, मेरी एक ख्वाईश । मुझे ‘चमेली’ और उसकी सुगंध से काफी लगाव है । अपने पैसों से खरीद कर लाना क्योंकि मेरे मरने के बाद किसी ने मुझ पर एक पैसे के उधार का भी विश्वास नही करना!
अपनी मौत का दिन जानकार एक बात की खुशी कि मैं अब तब तक चाहे जो मर्ज़ी आए करता फिरूँ …मुझे लाइसेंस मिल गया है… किसी का बाप भी अब मेरा कुछ नही उखाड़ सकता मेरा मतलब बिगाड़ सकता, चाहे मैं किसी ईमारत की पाँचवी मंज़िल से भी नीचे क्यों न कूद पड़ूँ । मुझे, कोई आंच नही आ सकती!
लेकिन, यह सब जानते हुए भी मेरा मन डरता है और प्रभु से मेरी यह विनम्र प्रार्थना है, “बस, उतने ही दिन देना, भगवन, जो मैं किसी अपने या पराये पर निर्भर हुए बगैर चलते-फिरते, खुशी-वुशी के साथ बिता सकूँ, नही तो इस विदेश में एक भी नही सगा मेरा जो बिना मतलब के एक पानी का ग्लास भी पीने को दे दे …! ए खुदा, मुझे किसी से ऐसी कोई उम्मीद न रखने के लिए समर्थ बनाये रखना! तूँ सब की देखभाल करने वाला है, और बड़ी रहमतों वाला है, मुझे भी अपनी छत्रछाया में रखना!
जय बजरंग बली, करना सब की भली, लेकिन
मेरा बुरा चाहने वालों की तोड़ना गर्दन की नली !

अशोक  के  परुथी “मतवाला”

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