व्यक्तित्व विकास के 5 बेसिक नियम -बदले खुद को

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 व्यक्तित्व विकास के 5 बेसिक नियम -बदले खुद को


Five rules of personality development

हम सब जीवन
में सफल होना चाहते हैं | उसके लिए प्रयास भी करतें हैं | पर फिर भी कुछ लोगों को
सफलता नहीं मिल पाती | कई बार हमारा प्रयास दूसरों से कम होता है | पर कई बार हम
प्रयास तो करतें हैं परन्तु फिर भी सफलता नहीं मिल पाती | यहाँ मैं आप लोगों से
साझा करना चाहूँगी  , प्रसिद्ध  लेखक शिव खेडा की एक किताब का लोकप्रिय वाक्य जो सफल
होने की चाह रखने वालों के लिए मूल मंत्र है …



  सफल लोग कोई अलग काम नहीं करते
बस वो काम को अलग तरीके से करते हैं |



 दरसल असफल होने में केवल हमारे प्रयासों की
कमी ही नहीं होती बल्कि कई बार इसका  कारण
हमारे व्यक्तित्व के कुछ कमियाँ होती हैं |क्योंकि व्यक्तित्व विकास और सफलता एक
दूसरे के पूरक हैं | इसलिए आज कल सफल होने के लिए अपने व्यक्तित्व में आवश्यक सुधार  करने पर बहुत जोर दिया जाता है |व्यक्तित्व के कई कमियाँ  वैसे तो सफलता की राह में बाधक हो सकती हैं | पर
यहाँ मैं प्रमुख 5 कमियों की बात कर रही हूँ ,जो ज्यादातर लोगों में होती हैं | बस
आप को यह जानने की जरूरत है | तो आइये जानते हैं सफलता के लिए सबसे जरूरी व्यक्तित्व विकास के 5 बेसिक नियम | जिन्हें आप आज से ही अपनाइए और बदल दीजिये खुद को | फिर देखिये सफलता कैसे नहीं आती है | 

१ ) न करें बेफजूल
बातों से समय की बर्बादी


                     मुझे याद आता है मेरे नाना जी कहा करते थे ,”
चटोरी खोये एक घर , बतोड़ी   खोये चार घर “
कहने का तात्पर्य यह है की जिस स्त्री ( यहाँ पुरुष भी हो सकता है ) स्वादिष्ट
भोजन की आदत पड़ गयी हो | वो रोज बाहर का खाना खरीद कर अपना धन बर्बाद करेगी  | परन्तु जिसे फ़ालतू में बात करने की आदत  लग
गयी | उसे बात करने के लिए कम से कम चार लोग चाहिए | अत : वो चार लोगों का समय
बर्बाद करेगी  | उस समय का उपयोग किसी काम  में या धन अर्जित किये जाने में किया जा सकता था
| अगर इसी को दूसरी तरह से कहें तो
ये 
तो  आप भी  बचपन 
से  सुनते    रहे  होंगे   की  दूसरे   के  सामने  तीसरे  की  बुराई  नहीं  करनी  चाहिए |   एक और  बात  जो  मुझे  ज़रूरी  लगती  है  वो  ये  कि  यदि  कोई  किसी  और  की  बुराई  कर  रहा  है  तो  हमें  उसमे  रूचि  नहीं  लेनी   चाहिए  और  उससे आनंदित  नहीं 
होना   चाहिए | अगर  आप  उसमे  रूचि  दिखाते  हैं  तो  आप  भी  कहीं  ना  कहीं  नकारात्मकता  को 
बढ़ावा दे रहे
हैं | 





 बेहतर 
तो  यही  होगा  की  आप  ऐसे  लोगों  से  दूर  रहे  पर  यदि  साथ  रहना  मजबूरी  हो  तो  आप  ऐसे  विषयों पर मौन हो जाए   , सामने  वाला  खुद  बखुद  शांत  हो  जायेगा | कई बार बुराई करने वालों को रोकने के लिए हमें उनकी बातें काटनी भी चाहिए | जैसे कोई लगातार किसी की बुराई कर रहा हो तो आप ऐसे कह सकते हैं की हाँ ये तो है पर देखो उनकी वो बात कितनी अच्छी है | इससे बुराई करने वाले का ध्यान भी नकारात्मकता  से सकारात्मकता की ओर जाएगा | क्योंकि कई बार बुराई करने वाले को भी उस व्यक्ति से नफ़रत नहीं होती बस किसी बात से नाराजगी होती है | 


२ ) आत्मविश्वास कम करती है तुलना 

                अभी कुछ दिन पहले मुझे मेरे एक परिचित मिले  | थोड़े उदास से दिख रहे थे | पूँछने  पर बताया फेस बुक पर उसकी पत्नी की दो
सहेलियों ने गाड़ी  खरीद ली है | गाडी के
साथ फोटो शेयर की है | तब से  गाडी लेने की
जिद कर रही है | कहती है उसे सहेलियों के सामने इन्फीरियर फील होता है |  
इसे 
इंसानी  फितरत  कह 
लीजिये  या  कुछ  और  पर  सच  ये  है  की  बहुत  सारे  दुखों  का  कारण  हमारा  अपना  दुःख  ना  हो  के  दूसरे   की  ख़ुशी  होती  है |  आप  इससे  ऊपर  उठने  की  कोशिश  करिए , इतना  याद  रखिये  की  किसी  व्यक्ति  की  असलियत  सिर्फ  उसे  ही  पता  होती  है , हम  लोगों  के  बाहरी यानि नकली रूप  को  देखते  हैं  और  उसे  अपने  अन्दर के यानि की असली  रूप  से  तुलना  करते 
हैं |  इसलिए  हमें लगता  है  की  सामने  वाला  हमसे  ज्यादा  खुश  है , पर  हकीकत  ये  है  की  ऐसी तुलना  का 
कोई  मतलब  ही  नहीं  होता  है | ऊपर वाले उदाहरण में मेरे परिचित  की पत्नी
को कार तो दिखी पर कार के साथ  ई एम आई
नहीं दिखी , दस जगह जरूरी खर्चों में कटौती नहीं दिखी | इसलिए किसी से तुलना मत
करिए |
 आपको 
सिर्फ  अपने  आप  को बेहतर करते  जाना  है और व्यर्थ की  तुलना करके हीन भावना  या नकारात्मकता नहीं बढानी  चाहिए | .

3) अपना हाथ जगन्नाथ 

               
                   एक बहुत छोटी सी कहानी है | एक पेड़ पर एक चिड़िया का घोंसला
था | एक दिन शाम को चिड़िया घर लौटी तो देखा घोसले में उसके बच्चे रो रहे हैं |
चिड़िया के पूछने पर अच्छों ने बताया ,” मम्मी आप घोसला कहीं और शिफ्ट कर लीजिये |
आज किसान यहाँ आया था और उसने अपने कर्मचारियों 
से कल इस पेड़ को काटने को कहा है | चिड़िया ने बच्चों को चुप कराया और कहा,”
बच्चों निश्चिन्त रहो और , फ़िक्र न करो , कुछ नहीं होगा | ३ ,४ दिन बीत गए | फिर
एक दिन चिड़िया को बच्चे रोते हुए मिले | बच्चों ने बताया ,” मम्मी आज किसान अपने
बेटों से कह रहा था की कल इस पेड़ को काट दो | आप प्लीज घोसला कहीं और शिफ्ट कर
लीजिये | चिड़िया बच्चों को चुप कराते हुए बोली , “,” बच्चों निश्चिन्त रहो और ,
फ़िक्र न करो , कुछ नहीं होगा |” कुछ दिन और बीत गए | एक दिन फिर चिड़िया को बच्चे
रोते हुए मिले | पूंछने पर बोले ,” मम्मी आज किसान कह रहा था ,” कल मैं इस पेड़ को
काटूँगा | “ सुन कर चिड़िया ने बच्चों से कहा ,” बच्चों अब घोसला शिफ्ट करने का समय
आ गया है |मैं अभी तैयारी करती हूँ | बच्चों ने आश्चर्य से पूंछा ,” मम्मी इस बार
आप क्यों घोंसला  शिफ्ट करने की बात कर रही हैं | चिड़िया बोली , बच्चों ,” पहले
किसान दूसरों से काम करवाने को कह रहा था | जिसके पूरा होने में संदेह था |पर इस
बार किसान खुद करने की बात कर रहा है | अत : काम अवश्य होगा |


                    ये तो खैर प्रेरणादायी  कहानी थी | पर अफ़सोस जो बात चिड़िया समझ गयी वो
बात हममें  से कई लोग नहीं समझते हैं |
मैंने 
कई  बार  देखा  है  की  लोग  अपने  ज़रूरी काम  भी  बस  इसलिए  पूरा  नहीं  कर  पाते क्योंकि  वो  किसी  और  पर उस काम को पूरा करने के लिए निर्भर रहते
हैं | याद रखिये अगर सफल होना चाहते हैं तो
. किसी 
व्यक्ति  विशेष  पर निर्भर  मत 
रहिये | आपना काम खुद करने की आदत डालिए | दूसरों पर अपने काम का बोझ डालने से रिश्तों में खटास आने की सम्भावना रहती है | क्योंकि  कई बार हमारे मित्र काम करना तो चाहते हैं पर समयाभाव के कारण कर नहीं पाते हैं | ऐसे में मन मुटाव हो सकता है | अपना काम खुद से करने का मतलब यह नहीं की आप अकेले में वन मैं आर्मी हैं | जहाँ टीम वर्क है वहाँ  सब मिल कर काम करते हैं | पर वहाँ भी अपने हिस्से का काम खुद करिए |  

४ ) जो बीत
गयी सो बात गयी



                                   अगर आप के सर पर कोई बोझ रखा हुआ है तो आप
धीरे –धीरे ही आगे बढ़ पायेंगे | या अगर आप बार – बार पीछे पलट –पलट कर देखेंगे तो
आगे दुर्घटना होने की सम्भावना है | जीवन सुख दुःख का मिश्रण है |हम हर किसी के साथ
अतीत का ओई अप्रिय प्रसंग जुडा  होता है |
पर उसे साथ ले कर आगे बढ़ना अत्यधिक कष्टकर होता है |  अगर
  आपके  साथ  अतीत  में  कुछ  ऐसा  हुआ  है  जो  आपको  दुखी  करता  है  तो  उसके  बारे  में  एक  बार  अफ़सोस  करिएदो 
बार  करिए….पर  तीसरी 
बार  मत  करिए | इसे दूसरी  तरह से ऐसे कह सकते हैं की
किसी दुःख पर इतना रो लो की दूसरी बार उस पर रोने के लिए न आँसूं  बचे न आवश्यकता |
आप अतीत की उस
 
घटना  से जो सीख  ले  सकते  हैं  वो  लीजिये  और  आगे  का  देखिये 


जो  लोग  अपना  रोना  दूसरों  के  सामने  बार-बार  रोते  हैं तो उसके दो नुकसान  होते हैं | एक तो आप का
दुःख बार –बार ताज़ा होता रहता है | दूसरे
 लोग आपके साथ सहानुभूति दिखाने  के एवज में आपसे अपना कोइ काम निकलवा सकते हैं | या आप के दोस्त , रिश्तेदार आपका दुखड़ा सुन – सुन कर इतने आजिज़ आ जाए की आपसे मिलने से ही कतराने लगें | इससे रिश्तों में बेवजह गांठ पड़ेगी |  

5) अपनी  सोंच को बदलें 


                                               
आप के पास दो पौधे है एक को आप पानी देते हैं दूसरे को नहीं | जाहिर है
पहला पौधा बढेगा , दूसरा सूख जाएगा | हमारे विचार वो नन्हे –नन्हे पौधे हैं और उन
पर धयान देना पानी देने के समान है | जिस पर पानी देंगे वो बढेगा | लॉ ऑफ़ अट्रेक्शन कहता है ,” हम जिसके बारे में अपना ध्यान
फोकस करते हैं वही हमारे जीवन में होता है | 


 परिस्थितियाँ  हमारी सोंच का नतीजा हैं |





सलिए   आप  जो  होते  देखना  चाहते  हैं  उस  पर  धयान केन्द्रित करिए |  उस 
बारे  में  बात  करिए  ना  की  ऐसी  चीजें  जो  आप  नहीं  चाहते  हैं | जैसे  यदि 
आप चाहते हैं की आप बीमार न पड़े तो हर संसय बीमारी व् दवाई डिस्कस करने के स्थान पर  हेल्थ व् फिटनेस की बात करें |फिर देखिएगा की जिंदगी की बाजी कैसे आप के हाथ में होती है |  



             कौन नहीं चाहता है सफल होना | पर असफल होने के बीज तो हम अपने अन्दर ही छुपाये रखते हैं |अगर आप सफल होना चाहते हैं तो व्यक्तित्व विकास के 5 नियम अपनाइए व् अपने
व्यक्तिव से इन दोषों को दूर करिए  |तो फिर देर कैसी आज बदल ही डालिए अपने आपको | 



वंदना बाजपेयी




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