पतंगें

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पतंगें

हम सब ने पतंगे आसमान  में उड़ाई हैं | बड़ा ही मनोरंजक खेल हैं | पर यहाँ मैंने पतंग को उस आसमान की सत्ता पर काबिज होने वाले आसमानी खेल का प्रतीक माना है जो जमीन से  खेला जाता है |

Hindi poem kites

पतंगे
लाल -नीली ,पीली -गुलाबी
शुद्ध गुड्डी -गुड्डा 
उडाई जाती हैं
न सिर्फ जी बहलाने के लिए
बल्कि आसमान पर परचम लहराने के लिए
कि आसमानों पर कब्जा करने की रणनीति
जमीनों पर तैयार होती है
तय किये जाते हैं पेंच लड़ाने के तरीके
युद्ध की रणनीति
लटाई सौपी जाती है विश्वास पात्र साथी के हाथ
वही देता है कसाव और ढील
नेस्तनाबूत करने की ख्वाइशे
ढूढती हैं शिकार
कोई खतरनाक मांजा
जिसने लपेट लिया है धारदार सीसा
अपने चारों ओर
जो दिखता नहीं पर काट देता है
किसी भोले मुलायम मांजे का सर
आह !कर गिरती है कट कर मासूम
और तन जाती है विजयी पतंग
अपनी आसमानी सत्ता पर
इस बात से बेखबर
कि आ रही है एक और पतंग पेंच लड़ाने को
जिस के मांजे पर लिपटे शीशे की धार शायद ज्यादा है
जो पलट देगा इतिहास
तो क्या !
ऐसे ही तो सदा से खेले जाते रहे है
जमीनों से आसमानी खेल

वंदना बाजपेयी

मेरे ब्लॉग  अपना आकाश  से

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