अटल बिहारी बाजपेयी की पाँच कवितायें

फोटो क्रेडिट -वेब दुनिया जब भी राजनीति में ऐसे नेताओं की बात आती है जिन्हें पक्ष व् विपक्ष दोनों के लोग समान रूपसे सम्मान देते हों तो उनमें अटल बिहारी बाजपेयी का नाम पहली पंक्ति में आता है | भारत के दसवें प्रधानमंत्री रह चुके अटल जी एक कवि पत्रकार व् प्रखर वक्ता भी थे … Read more

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प्रियंका–साँप पकड़ लेती है

फोटो -morungexpress.com से साभार प्रियंका गांधी , चुनाव नहीं लड़ रही हैं पर वो अपने भाई राहुल गांधी व् कोंग्रेस के प्रचार को मजबूती प्रदान करने केव लिए राजनीति के दंगल में उतरी हैं | प्रस्तुत कविता इस दूषित राजनीति में प्रियंका के कदम रखने पर अपने विचार व्यक्त करती है … प्रियंका–साँप पकड़ लेती … Read more

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जाने कितनी सारी बातें मैं कहते कहते रह जाती हूँ

लफ्जों को समझदारी में लपेट कर निगल जाती हूँ  जाने कितनी सारी बातें मैं कहते कहते रह जाती हूँ ।  और तुम ये समझते हो ,मै कुछ समझ नही पाती हूँ  है प्यार तुमको जितना मुझसे , मै समझ जाती हँ ।  बड़ी मुश्किल से मुहाने पर रोकती हूँ …बेचैनी को  और इस तरह अपना … Read more

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श्री राम

तेरी पीड़ा की प्रत्यंचा को—— सब खीच रहे है राम! तेरी नगरी मे, तुम्हें टेंट से ढक कर, मंदिर यहीं बनायेंगे—– बस चीख रहे है राम। हर चुनाव के मुद्दे मे, बस भुना रहे अयोध्या को, कुछ न किया और कुछ न करेंगे, सच तो ये है कि, ये नकली भक्त है आपके सारे, जो … Read more

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शहीद दिवस पर कविता

शहीद दिवस भारत माता के तीन वीर सपूत भगतसिंह , राजगुरु व् सुखदेव को  कृतज्ञ राष्ट्र का सलाम है |अंग्रेजी हुकूमत ने 23 मार्च सन 1931 को फांसी पर लटका दिया था | देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान करने वाले ये तीनों हमारे आदर्श हैं आइये पढ़ते हैं उन्हीं को समर्पित … Read more

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माँ गंगा

जल दिवस के उपलक्ष्य मे माँ गंगा की पीड़ा पर लिखी कविता——– कविता – माँ गंगा माँ गंगा———- अब धरती पे रो रही है! इसके बेवफ़ा बेटो मे अब, भगीरथ का किरदार न रहा, रोज शहर और घर के मैलो से पाट रहे, उफ!अब गंगा अपने बेटो का प्यार नही, बल्कि उनके हाथो मिला जहर———- … Read more

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मनीषा जैन की कवितायें

मनीषा जैन की कवितायें आम बात कहती हुई भी खास हो जाती हैं क्योंकि वो हर संवेदना की गहराई तक जा कर वो निकाल लाती हैं जो सतह पर तैरते कवि अक्सर देख ही नहीं पाते| शायद यही कारण है कि मनीषा जी की कवितायें बहुत पसंद करी जा रही हैं | आज हम आपके … Read more

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जोधा-अकबर और पद्ममावत क्यू है?

बता एै सिनेमा—————— आखिर तुम्हें हमारी इतिहास से, इतनी अदावत क्यू है? तेरे दामन मे———- जोधा-अकबर और पद्ममावत क्यू है? । सवाल है मेरा तुझसे, कि सिनेमा के वे सेंटीमेंटल सीन और अंतरंगता, कोई मनोरंजन नही, ये इतिहास की पद्ममिनी का, सीने से खिचा आँचल है, हद तो ये है कि, इतने टुच्चे सिनेमाकारो के … Read more

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बदलते हुए गाँव

गाँव यानि अपनी मिटटी , अपनी संस्कृति और अपनी जडें , परन्तु विकास की आंधी इन गाँवों को लीलती जा रही है | शहरीकरण की तेज रफ़्तार में गाँव बदल कर शहर होते जा रहे हैं | क्या सभ्यता के नक़्शे में गाँव  सिर्फ अतीत का हिस्सा बन कर रह जायेंगे |  हिंदी कविता – … Read more

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मुझे पत्नी पतंजलि की मिल गई

सुबह होते ही———– कपाल भाति और अनुलोम-विलोम कर गई, हाय!राम——— मुझे पत्नी पतंजलि की मिल गई। एलोवेरा और आँवले के गुण बता रही, मुझे तो अपने जवानी की चिंता सता रही, हे! बाबा रामदेव———- आपने मेरी खटिया खड़ी कर दी, सारे रोमांस का नशा काफुर हो गया, ससुरी पति के प्यार का आसन छोड़—– आपके … Read more

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