श्री राम

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श्री राम


तेरी पीड़ा की प्रत्यंचा को——
सब खीच रहे है राम!
तेरी नगरी मे,
तुम्हें टेंट से ढक कर,
मंदिर यहीं बनायेंगे—–
बस चीख रहे है राम।
हर चुनाव के मुद्दे मे,
बस भुना रहे अयोध्या को,
कुछ न किया और कुछ न करेंगे,
सच तो ये है कि,
ये नकली भक्त है आपके सारे,
जो अपने-अपने स्वार्थ का चंदन—–
भर माथे पे टीक रहे है राम।
तेरी पीड़ा की प्रत्यंचा को——
सब खीच रहे है राम।

@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर—222002 (उत्तर–प्रदेश)।

कवि

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