सुबह होते ही———–
कपाल भाति और अनुलोम-विलोम कर गई,
हाय!राम———
मुझे पत्नी पतंजलि की मिल गई।
एलोवेरा और आँवले के गुण बता रही,
मुझे तो अपने जवानी की चिंता सता रही,
हे! बाबा रामदेव———-
आपने मेरी खटिया खड़ी कर दी,
सारे रोमांस का नशा काफुर हो गया,
ससुरी पति के प्यार का आसन छोड़—–
आपके योगासन मे पिल गई।
हाय!राम———–
मुझे पत्नी पतंजलि की मिल गई।
रोज च्यवनप्राश और दूध का सेवन,
पचासो दंड बैठक,
मै निरुपाय तक रहा उसका रुप लावण्य,
तीन दिन हो गये हाथ न लगी,
डर है कि ये दिन कही तीस न हो जाये,
उफ!ये दूरी———–
यही सोच के मेरी बुद्धि हिल गई।
हाय!राम————
मुझे पत्नी पतंजलि की मिल गई।
@@@रचयिता—–रंगनाथ द्विवेदी।
जज कालोनी,मियाँपुर
जौनपुर(उत्तर-प्रदेश)।
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