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पतंग और गफुर चचा
एक ज़माने में पतंगों का खेल बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय होता था , साथ ही लोकप्रिय होते थे गफुर चचा , जो बच्चों...
पतंगें
हम सब ने पतंगे आसमान में उड़ाई हैं | बड़ा ही मनोरंजक खेल हैं | पर यहाँ मैंने पतंग को उस आसमान की सत्ता...
रेप से जैनब मरी है
उफ! मासूम...
गाँव के बरगद की हिन्दी छोड़ आये
शर्मिंदा हूं----------------
सुनुंगा घंटो कल किसी गोष्ठी में,
उनसे मै हिन्दी की पीड़ा,
जो खुद अपने गाँव मे,
शहर की अय्याशी के लिये--------
अपने पनघट की हिन्दी छोड़ आये।
गंभीर...
श्वेता मिश्रा की 5 कवितायें
कवितायें भावनाओं की वो अभिव्यक्ति हैं,जो जब खुद ही अपना आकार लेती हैं,तो पाठकों के मन को अवश्य छूती हैं | आज हम लायें...
जल जीवन है
अखिल सृष्टि में जल जीवन है
जीवन का सम्मान करो
संरक्षित कर स्वच्छ सलिल को
धरती में मुस्कान भरो
जिस पानी को हम तलाशते
मंगल चन्द्र विविध ग्रह पर
वह...
सुहागरात (कविता )
यूँही पड़ी रहने दो कुछ दिन और कमरे मे---
हमारे सुहागरात की बिस्तर
और उसकी सिलवटे।
मोगरे के अलसाये व गजरे से गिरे फुल,
खोई बिंदिया,टूटी चुड़ियाँ!
और सुबह...
डायरी के पन्नों में छुपा तो लूँ.
तुम्हें अपने शब्दों में ढाल कर अपनी डायरी के पन्नों में छुपा तो लूँ...
पर उन शब्दों में निहित भाव तुम्हें यकीनन नागवार गुजरेंगे ।
मेरे...
नये साल मे—-पपुवा की मम्मी डिजिटल हो गई
टेक्नोलोजी पर हालांकि
पुरुषों का एकाधिकार नहीं है | पर एक सीधी – साधी घरेलू महिला जब नया मोबाइल लेती है तो बेचारे पति को...
नए साल पर 5 कवितायें -साल बदला है , हम भी बदलें
नया साल , नयी उम्मीदें नए सपने , नयी आशाएं ,नए संकल्प और नए संघर्ष
भी | नए साल पर प्रस्तुत हैं पाँच कवितायें ......