काश मुझे पहले पता होता

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                      यूँ तो गलती करना इंसान का स्वाभाव है पर कई बार हम ऐसी गलतियाँ  करते हैं , जिनका बहुत बड़ा असर हमारे जीवन पर पड़ता है | तब हम कहते हैं काश हमें पहले पता होता तो हम ये गलती  न करते , परन्तु तब तक तो समय निकल गया होता है |

काश मुझे पहले पता होता

काश मुझे पहले से पता होता -Moral story of Regret  in Hindi

                       बहुत समय पहले की बात है कि एक राज्य में एक राजमिस्त्री रहता था |  वो बहुत  सुन्दर -सुंदर  घर और महल बनाता | उसको काम करने में समय तो ज्यादा लगता पर जब  घर या महल बन कर तैयार होते तो वो इतने सुन्दर होते कि  लोग तारीफ़ करते नहीं थकते | उसे अपने काम से बहुत प्यार था और गर्व भी | कई बार राजा भी कुछ जल्दी बनाने को कहता तो वो मना कर देता | उसका एक ही कहना होता  , ” या तो अच्छे काम के लिए धैर्य रखो या काम ही न लो ” | काम के प्रति उसके समर्पण को देख कर राजा भी कुछ न कह पाता और मन ही मन उसकी प्रशंसा करता |

                          समय बीता राजमिस्त्री 50 वर्ष  हो चला था | राजा की मृत्यु हो चुकी थी | अब उनका बेटा राजा बन चुका था | वो भी राजमिस्त्री का उतना ही सम्मान करता था |  राजमिस्त्री अभी भी उतनी ही शिद्दत से अपना काम करता था , अभी भी कोई उसके काम में कमी नहीं निकाल; सकता था | पर धीरे -धीरे अब उसे महसूस होने लगा था कि अब उसे काम छोड़ कर अपना समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहिए | एक दिन उसने  यही बात राजा से कही ,” राजन , अब  काम करते हुए मुझे लम्बा अरसा हो गया है , अब मैं आराम करना चाहता हूँ | कृपया आप मेरा निवेदन स्वीअर कर के मुझे सेवानिवृत्ति  दे दें |”

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राजा ने  कहा , ” आप ने मेरे  पिता के समय से बहुत अच्छा काम किया है | मेरे मन में आपका बहुत सम्मान है |  मैं आपके निर्णय का स्वागत करता हूँ , पर मेरी एक इच्छा है कि आप एक महल और बना दें | उसके बाद आप सेवा निवृत्त हो जाएँ |”

राजमिस्त्री राजा को इनकार न कर सका | उसने महल बनाना शुरू किया | पर इस बार उसे काम खत्म करने की जल्दी थी | उसने देखा नहीं कैसा सामान आ रहा है | अन्य कारीगर उसके बताये अनुसार काम कर रहे हैं या नहीं | खुद के काम भी उसने बेमन से किया | और जैसे -तैसे करके जल्दी से महल बना दिया |

उस दिन वो बहुत खुश था | वह राजा के पास गया और राजा से बोला  , ” महाराज आपका महल बन गया है , ये चाभियाँ संभालिये और मुझे सेवा निवृत्त करिए |

राजा ने उसे धन्यवाद देते हुए कहा , ” आपने सारी  उम्र बहुत मेहनत से काम किया | मेरे मन में आपके व् आपके काम के प्रति बहुत श्रद्धा है | मैं आपको ये महल मैं आपको सेवानिवृत्ति पर उपहार के रूप में देता हूँ | जाइए और अपने परिवार के साथ इस महल में आराम से रहिये | कहते हुए  उन्होंने राजमिस्त्री को वो चाभियाँ पकड़ा दी |

ओह , राजमिस्त्री के दुःख का ठिकाना नहीं रहा | उसने अपनी पूरी जिंदगी में जो सबसे खराब महल बनाया था , अब उसे जिंदगी भर उसी में रहना था | चाभियाँ लेते हुए उसके हाथ काँप रहे थे और होंठ बुदबुदा रहे थे ,
” काश मुझे पहले पता होता “| 





                         मित्रों ये तो एक कहानी है , पर हम भी एक  महल रोज बना रहे हैं वो महल है हमारे रिश्तों का , हमारे सपनों का ,      हमारे कैरियर का , हमारे स्वास्थ्य का … और हमें जीवन      पर्यंत इसी महल  में रहना  है | अगर हर रोज  इसका ध्यान नहीं रखेगे | इसे नहीं तराशेंगे |  तो हम भी उस राजमिस्त्री की तरह बाद में पछतायेंगे और कहेंगे काश मुझे पहले पता होता “|






वैसे तो ये कहानी सबके लिए उपयोगी है पर विशेष रूप से स्टूडेंट्स के लिए उपयोगी है | क्योंकि उनके ये साल बहुत कीमती है | कितने बे लोग हैं जो आज पछताते हैं और ये सोचते हैं की काश तब पढाई कर ली होती |इसलिए आप भी रोज  पढ़िए , मेहनत करिए और अपना खूबसूरत सा महल बनाइये | 




नीलम गुप्ता 


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2 COMMENTS

  1. बहुत ही प्रेरणा दायक कहानी बहुत ही सरलता से जीवन का सार समझा गई

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