उल्टा दहेज़

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उल्टा दहेज़
हमारे समाज में विवाह में वर पक्ष द्वारा दहेज़ लेना एक ऐसी परंपरा है जो  लड़कियों को लड़कों से कमतर सिद्ध करती है | अगर दहेज़ परंपरा इतनी ही जरूरी है तो आज जब लडकियाँ आत्मनिर्भर है और पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिला कर चल रही हैं  तो क्यों उल्टा दहेज़ लिया जाए | 

लघुकथा -उल्टा दहेज़ 

अरे तुम  अभी तक तैयार नहीं हुई ,कहा था न तुम्हें आज लड़के वाले देखने आने वाले हैं | 

नहीं माँ मुझे उस लड़के से शादी नहीं करनी | 
शादी नहीं करनी … इसका क्या मतलब है |
माँ मेरे हिसाब से ये लड़का ठीक नहीं है | मैंने आपकी और पापा की बात सुन ली थी | वो लोग दहेज़ में ४० लाख रुपये मांग रहे  हैं |
ये तो समाज का चलन है | सदियों से यही होता आ रहा है |
सदियों से यह होता आ रहा माँ उसके लिए मैं तो कुछ नहीं कर सकती | लेकिन जो लड़का पढ़ लिख कर गलत परम्पराओं में अपने माता -पिता का साथ दे रहा है , मैं उससे शादी नहीं कर सकती | 
कभी सोचा है , तुम्हारी उम्र निकली जा रही है | आगे पढने और अपने पैरों खड़े होने की तुम्हारी जिद्द  का मान  रखते हुए हमने तुम्हें मनमानी करने दी | परिवार की सब लड़कियों की शादी हो गयी , एक तुम ही बैठी हो , कभी सोचा है , उम्र निकली जा रही है | 
माँ  दहेज़ लेना गलत है , फिर आप जानती हैं कि उस लड़के की तनख्वाह मुझसे बहुत कम है , फिर भी उनकी इतनी मांग , और क्या मतलब है माँ कि उम्र निकली जा रही है , क्या वो लड़का मुझसे उम्र में छोटा है | 
अरे , लड़कों का तो चलता है | उनकी उम्र बढ़ना मायने नहीं रखता | रही बात तनख्वाह की तो तेरी उम्र निकली जा रही है ऐसे में कहाँ से लाऊं तुझ सा लाखों कमाने वाला , उम्र दो चार साल और बढ़ गयी तो कोई पूंछेगा भी नहीं | कम से कम हमारे बुढापे के बारे में सोचो ,  लोग कितनी बातें बना रहे हैं | तुम्हारे हाथ पीले हो तो हम भी दुनिया से आँख मिला कर बात करें | ( आँसूं पोछते हुए ) तुम्हारी इस जिद ने हमें किसी के आगे आँख उठाने लायक नहीं छोड़ा है | 
ओह , तो फिर ठीक है , मैं शादी को तैयार हूँ , पर मेरी एक शर्त है | 
क्या ?
मुझे ४० लाख दहेज़ चाहिए | जो तुम लोगों ने मेरी पढाई के लिए  में खर्च किया है  उसके एवज में | 
दिमाग ख़राब हो गया है क्या ?ये उल्टा दहेज़ कैसा ?
माँ आज तक दहेज़ देते ही इस लिए थे की लड़की को फाइनेंशियल प्रोटेक्शन मिले | अब  जब  मैं उस परिवार को और लड़के को फाइनेंसियल प्रोटेक्शन दूँगी | तो दहेज़ लेने का हक़ मेरा हुआ | भले ही आपके हिसाब से ये उल्टा दहेज़ हो | 
नीलम गुप्ता 
लेखिका
* दहेज़ जैसे कुप्रथा हमारे समाज से जाने का नाम नहीं ले रही है | ” उल्टा दहेज़ क्या उस प्रथा को खत्म करने में कारगर हो सकता है | कृपया अपने विचार रखे | 


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फैसला अहसास
तीसरा कोण
तीन तल
दूसरा विवाह

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2 COMMENTS

  1. दहेज वक सामाजिक कुरीति है और इसको दूर करने में सबसे ज़्यादा योगदान लड़कों को देना चाहिए … लड़कियों को भी आगे आना ज़रूरी है पर अगर लड़के मज़बूत हों तो जल्दी ही छुटकारा सम्भव है …
    अच्छी कहानी है …

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