हवा का झोंका थी वह -स्त्री जीवन के यथार्थ की प्रभावशाली अभिव्यक्ति    

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हवा का झोंका थी वह

    

समकालीन कथाकारों में अनिता रश्मि किसी परिचय की मोहताज़ नहीं है। हवा का झोंका थी वह अनिता रश्मि का छठा कहानी संग्रह है। इनके दो उपन्यास, छ: कहानी संग्रह सहित कुल 14 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनकी रचनाएँ निरंतर देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं। इस संग्रह में 14 कहानियाँ संग्रहीत हैं। अनिता रश्मि ने स्त्री विमर्श के विविध आयामों को सरई के फूल तथा हवा का झोंका थी वह संग्रहों की कहानियों के माध्यम से सफलतापूर्वक हमारे सामने प्रस्तुत किया हैं। अनिता रश्मि ने स्त्री पीड़ा को, उसकी इच्छाओं, आकांक्षाओं, भावनाओं और सपनों को अपनी कहानियों के माध्यम से चित्रित किया हैं। इस संग्रह की कहानियों में स्त्रियों के जीवन की पीड़ा, उपेक्षा, क्षोभ, संघर्ष को रेखांकित किया है और साथ ही समाज की विद्रूपताओं को उजागर किया है। इन कहानियों का कैनवास काफ़ी विस्तृत हैं। ये कहानियाँ मध्यवर्गीय जीवन से लेकर निम्न वर्ग तक के जीवन की विडंबनाओं और छटपटाहटों को अपने में समेटे हुए है। इन कहानियों में यथार्थवादी जीवन, पारिवारिक रिश्तों के बीच का ताना-बाना, आर्थिक अभाव, पुरूष मानसिकता, स्त्री जीवन का कटु यथार्थ, बेबसी, शोषण, उत्पीड़न, स्त्री संघर्ष, स्त्रीमन की पीड़ा, स्त्रियों की मनोदशा, नारी के मानसिक आक्रोश आदि का चित्रण मिलता है। संग्रह की सभी कहानियाँ मानवीय संवेदनाओं को चित्रित करती मर्मस्पर्शी, भावुक है। इस संग्रह की कहानियाँ जिंदगी की हकीकत से रूबरू करवाती है। लेखिका अपने आसपास के परिवेश से चरित्र खोजती है। कहानियों के प्रत्येक पात्र की अपनी चारित्रिक विशेषता है, अपना परिवेश है जिसे लेखिका ने सफलतापूर्वक निरूपित किया है। अनिता रश्मि की कहानियों में सिर्फ पात्र ही नहीं समूचा परिवेश पाठक से मुखरित होता है। 

हवा का झोंका थी वह -स्त्री जीवन के यथार्थ की प्रभावशाली अभिव्यक्ति    

संग्रह की पहली कहानी हवा का झोंका थी वह नारी की संवेदनाओं को चित्रित करती आदिवासी स्त्री मीनवा की एक मर्मस्पर्शी, भावुक कहानी है जो विपरीत परिस्थितियों में भी हँसते मुस्कराते घरेलु नौकरानी का काम करती है। मीनवा एक बिंदास स्त्री है। आँखें एक मध्यम वर्गीय परिवार की कहानी है। पायल और सुमंत लीव इन रिलेशनशिप में रहते हैं। पायल शादी इसलिए नहीं करना चाहती क्योंकि वह अपने माता-पिता को हमेशा लड़ते-झगड़ते हुए देखती है। लेकिन कुछ ही सालों में पायल अनुभव करती है कि वह अपनी माँ में और सुमंत उसके पापा में परिवर्तित हो रहा है तो पायल सुमंत से शादी करने का फैसला करती है। सुविधाओं को प्राप्त करने के लिए हम कोल्हू के बैल की तरह जूते रहते हैं लेकिन क्या ये सुविधाएँ हमें खुशियाँ देती है? इस प्रश्न का उत्तर जिस दिन हमें मिल जाएगा उस दिन हम भी इस कहानी के पात्रों मथुरा, जिरगी और कजरा की तरह कोलतार की तपती सड़क पर मुस्कुरा उठेंगे। शहनाई कहानी संगीत की दुनिया में ले जाती है। निशांत अपने बेटे अंकुल की मृत्यु के पश्चात टूट जाता है और उसके हाथ से शहनाई छूट जाती है। निशांत के सैकड़ों शिष्य देश विदेश में निशांत का नाम रोशन कर रहे है लेकिन निशांत अपने बेटे के निधन से उबर नहीं पा रहा था। एक दिन अचानक जब निशांत की मुलाक़ात शहनाई पर बेसुरी तान निकालते हुए प्रकाश पर पड़ती है तो निशांत को प्रकाश में अपना बेटा अंकुल दिखता है और निशांत प्रकाश को शहनाई पर सुर निकालने का प्रशिक्षण देता है और निशांत वापस संगीत की दुनिया में लौट आता है।  

एक नौनिहाल का जन्म एक आदिवासी युवक वृहस्पतिया की कहानी है। वृहस्पतिया अमीर बनने के लिए अपने सीधे सादे पिता की ह्त्या कर देता है। वह न तो दूसरों के खेतों पर मजदूरी करता है, न ही अपनी किडनी बेचता है और न ही आत्महत्या करता है। वह अमीर होने के लिए अफीम की खेती करता है और एक बड़ी जमीन का मालिक बन जाता है। लेकिन वह पुलिस के डर से इधर उधर भागता रहता है। उस घर के भीतर एक ऐसे माता पिता की कहानी है जो अपने अर्धविक्षिप्त, विकलांग बेटे को घर के अंदर बाँध कर रखते है। इनके पडोसी को इस तरह की हरकत अमानवीय लगाती है और वह इनको एक पत्र लिखता है कि आप अपने बेटे को खुले वातावरण में सांस लेने दो, फिर देखो कि तुम्हारा बेटा कैसे खिल उठेगा। वह अर्धविक्षिप्त, विकलांग बेटे को अपने बेटे के साथ खेलने के लिए भी बुलाता है। किर्चें एक लेडी डॉक्टर की कहानी है जिसका पति दहेज़ का लोभी है। वह अपनी पत्नी की तनखा स्वयं रख लेता है और अपनी पत्नी के द्वारा अपने ससुर से भी पैसे मांगता रहता है। ससुर की मृत्यु के पश्चात वह पत्नी के भाई से भी पैसा मांगता है। पत्नी अपने पति के लालची स्वभाव के कारण परेशान हो जाती है और अपने पति से अलग हो जाती है। वह अपने बेटे को पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाती है।   

एक उदास चिट्ठी एक पत्र शैली में एक युवती द्वारा अपनी माँ को लिखी कहानी है। यह एक भारतीय संस्कारों में पली बढ़ी आधुनिक युवती के शोषण की कहानी है। जिसे अपनी विदेशी माँ से उपेक्षा मिलती है। वह अपनी जीवन व्यापन के लिए एक रेस्टोरेंट खोलती है जहां उसके जीवन में एक फौजी आता है। वह फौजी एक दिन उसका बलात्कार करता है। तब वह टूट जाती है और कहती है वह मेरी चीख नहीं थी। वह बेबसी की चीख नहीं थी… वह एक औरत की चीख भी नहीं थी। वह एक घायल, मर्माहत संस्कृति की चीख थी ममा।     

लाल छप्पा साड़ी गरीब आदिवासी स्त्री बुधनी की कहानी है। बुधनी रोज रात को डॉक्टर निशा के यहाँ पढ़ने के लिए जाती है। बुधनी का पति जीतना दारु पीकर पड़ा रहता है।  एक दिन जीतना शहर जाने के लिए निकलता है तो बुधनी उसे पैसे देकर अपने लिए लाल छप्पा साड़ी लाने के लिए कहती है। क्योंकि बुधनी जहां काम करती है उस घर की मालकिन के पास भी एक लाल रंग की साड़ी है जो की बुधनी को बहुत पसंद है। बुधनी का पति शहर से नहीं लौटता है। गाँव में लोग बुधनी को डायन समझने लग जाते है। वह विक्षिप्त सी हो जाती है और बुधनी अपने पुत्र को लेकर अपने पति को ढूंढने शहर जाती है। शहर में उसे पता चलता है कि उसके पति ने दूसरी औरत से शादी कर ली है। वहां उसे एक लाल साड़ी दिखती है। लाल साड़ी बुधनी के लिए पीड़ा का प्रतीक बन जाती है। कथाकार ने बुधनी की विवशता को दिखाकर स्त्री जीवन की नियति को दिखाया है। लाल छप्पा साड़ी नारी संवेदना को अत्यन्त आत्मीयता एवं कलात्मक ढंग से चित्रित करती रोचक कहानी है। रस एक स्कूल के मास्टर और उनकी पत्नी की कहानी है। मास्टर साहब अपने बेटे लोहित को अच्छी शिक्षा दिलवाते है। लोहित पढ़ने के लिए विदेश चला जाता है वहां वह अपने साथ पढ़ने वाली विदेशी लड़की से शादी कर लेता है। लोहित को पढ़ाने के लिए मास्टर जी अपनी सारी कमाई लगा देते हैं और अपने खेत भी बेच देते हैं। लेकिन लोहित अपने माता पिता से मुंह मोड़ लेता है। लोहित एक बेटे का बाप बन जाता है। मास्टर जी की पत्नी को अपने पोते की याद आती है और वे दोनों अपने पोते और बेटे के लिए बेटे लोहित के पास जाते है लेकिन लोहित अपने बेटे को कुछ समय संभालने के लिए ही अपने माता पिता का वापर करता है और वे फिर नार्वे चले जाते हैं। कहानीकार ने एक माँ की छटपटाहट को स्वाभाविक रूप से रेखांकित किया है। कहानी की मुख्य किरदार लोहित की माँ पार्वती की संवेदनाओं को लेखिका ने जिस तरह से इस कहानी में संप्रेषित किया है वह काबिलेतारीफ़ है।

फैसला एक और कहानी का कैनवास बेहतरीन है। यह कहानी रोड पर और गलियों में  खेल तमाशा दिखाने वाले एक गरीब व्यक्ति की कहानी है। एक दिन उस व्यक्ति के पास खाने के लिए कुछ नहीं रहता है तब वह गरीब व्यक्ति एक दुकानदार के पास कुछ चावल माँगने जाता है। दुकानदार बिना पैसे चावल देने से मना कर देता है। वह व्यक्ति उस दुकानदार को और अपने दो बेटी और चार बेटों की हत्या कर देता है। एक जज उस गरीब तमाशा दिखाने वाले अपराधी को फाँसी की सजा सुनाता है। जज का बेटा अपने पिताजी के फैसले से सहमत नहीं होता है। उसका कहना था कि हम किसी को जीवन दे नहीं सकते, फिर हम किसी का जीवन कैसे ले सकते है। जज के बेटे की एक एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाती है। जज को अपने फैसले का पश्चाताप होता है। जज पश्चाताप स्वरूप एक अन्य तमाशे वाली बाई को अपने यहां काम पर रख लेता है और उसके बच्चों को स्कूल पढ़ने के लिए भिजवाता है। लेखिका ने परिवेश के अनुरूप भाषा और दृश्यों के साथ कथा को कुछ इस तरह बुना है कि कथा खुद आँखों के आगे साकार होते चली जाती है। यह जीवन का कौन सा रंग है प्रभु प्राकृतिक आपदा की कहानी है। सुनंदा भंगी कलुआ को अछूत मानती है लेकिन जब बाढ़ में सुनंदा का सब कुछ बह जाता है और सुनंदा के पति की मृत्यु हो जाती है तब कलुआ ही सुनंदा के काम आता है। सुनंदा कलुआ के हाथों से ही खाती पीती है। चीखें…सन्नाटा ! एक युवा अमृत की कहानी है। अमृत की माँ की हत्या हो जाती है। अमृत उस हत्यारे से बदला लेने के लिए एक अपराधी बन जाता है और एक लड़की की हत्या के लिए सुपारी ले लेता है। उस लड़की की चीखें उसे सोने नहीं देती फिर वह अपने सारे हथियार एक नदी में डाल देता है। बड़ी माँ की गठरी इस संग्रह की महत्वपूर्ण कहानी है। यह एक मार्मिक कहानी है। बड़ी माँ के पास एक गठरी रहती है जिसमें उनके देशभक्त पति की तस्वीर, खड़ाऊ, धोती-कुर्ता, अखबार की एक कतरन और एक पिस्तौल रहती है।

कथाकार ने नारी जीवन के विविध पक्षों को अपने ही नज़रिए से देखा और उन्हें अपनी कहानियों में अभिव्यक्त भी किया हैं। अनिता रश्मि ने मुखर होकर अपने समाज और अपने समय की सच्चाइयों का वास्तविक चित्र प्रस्तुत किया हैं। इन कहानियों में स्त्री जीवन के यथार्थ की प्रभावशाली अभिव्यक्ति हुई है। इन कहानियों में जीवन के विविध रंग हैं। कहानियों के पात्र अपनी जिंदगी की अनुभूतियों को सरलता से व्यक्त करते हैं। ये कहानियाँ एक साथ कई पारिवारिक और सामाजिक परतों को उधेड़ती हैं। इस संग्रह की कहानियाँ जीवन और यथार्थ के हर पक्ष को उद्घाटित करने का प्रयास करती हैं। कहानियाँ लिखते समय कथाकार अनिता रश्मि स्वयं उस दुनिया में रच-बस जाती है, यही उनकी कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता है। सहज और स्पष्ट संवाद, घटनाओं, पात्रों और परिवेश का सजीव चित्रण इस संग्रह की कहानियों में दिखाई देता हैं। सभी कहानियाँ घटना प्रधान हैं। कहानी के पात्र हमारे आस पास के परिवेश के लगते हैं। कथाकार ने समकालीन सच्चाइयों तथा परिवार में स्त्रियों की हालत को निष्पक्षता से प्रस्तुत किया है। अनिता रश्मि की कहानियाँ पात्रों और परिवेश के माध्यम से आन्तरिक संवेदना को झकझोरती हैं। कहानी संग्रह रोचक है और अपने परिवेश से पाठकों को अंत तक बांधे रखने में सक्षम है। संवेदना के धरातल पर ये कहानियाँ सशक्त हैं। अनिता रश्मि की भाषा में आंचलिकता के साथ जीवंतता विद्यमान है। कथाकार ने स्त्री के अंतर्मन मे उठती हर लहर को बहुत ही खूबसूरती से अपनी कहानियों में उकेरा हैं। अनिता रश्मि का कहानी संग्रह नारी के अस्मिता की तलाश की कहानियाँ है। अनिता रश्मि ने अपने कथा साहित्य में स्त्री की दोयम दर्जे की स्थिति को बेहद संवेदनशील तरीके से रेखांकित किया हैं। ये कहानियाँ कथ्य और अभिव्यक्ति दोनों ही दृष्टियों से पाठकीय चेतना पर अमिट प्रभाव छोड़ती है। 

 

पुस्तक  : हवा का झोंका थी वह (कहानी संग्रह)

लेखिका  : अनिता रश्मि  

प्रकाशक : विद्या विहार, 19, संत विहार (पहली मंजिल), गली नंबर 2, अंसारी रोड, नई दिल्ली -110002    

आईएसबीएन नंबर : 978-81-960864-0-4

मूल्य   : 300 रूपए

 

दीपक गिरकर

समीक्षक

28-सी, वैभव नगर, कनाडिया रोड,

इंदौर– 452016

मेल आईडी deepakgirkar2016@gmail.com 

 

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