निर्मल वर्मा की कहानी परिंदे का सारांश व समीक्षा

निर्मल वर्मा की कहानी परिंदे का सारांश व समीक्षा

–‘मुझे लगा, पियानो का हर नोट चिरंतन खामोशी की अँधेरी खोह से निकलकर बाहर फैली नीली धुंध को काटता, तराशता हुआ एक भूला-सा अर्थ खींच लाता है। गिरता हुआ हर ‘पोज’ एक छोटी-सी मौत है, मानो घने छायादार वॄक्षों की काँपती छायाओं में कोई पगडंडी गुम हो गई हो…’   निर्मल वर्मा जैसे कथाकार दुर्लभ … Read more

Share on Social Media

कहानी समीक्षा- काठ के पुतले

काठ के पुतले

ऐसा ही होता आया है एक ऐसा वाक्य है जिसके आवरण तले ना जाने कितनी गलत बाते मानी और मनवाई जाती हैं l कमजोर का शोषण दोहन होता रहता है, पर क्योंकि ऐसा होता आया है ये मानकर इसके खिलाफ आवाज़ नहीं उठती l और समाज किसी काठ के पुतले की तरह बस अनुसरण करता … Read more

Share on Social Media

प्रेम विवाह लड़की के लिए ही गलत क्यों-रंजना जायसवाल की कहानी भागोड़ी

भगोड़ी

लड़कियों के लिए तो माता-पिता की मर्जी से ही शादी करना अच्छा है l प्रेम करना तो गुनाह है और अगर कर लिया तो भी विवाह तो अनुमति लिए बिना नहीं हो सकता और अगर कर लें तो वो उससे भी बड़ा गुनाह है l जिसकी सजा माता-पिता परिवार मुहल्ला- खानदान पीढ़ियाँ झेलती हैं l … Read more

Share on Social Media

प्रज्ञा की कहानी जड़खोद- स्त्री को करना होगा अपने हिस्से का संघर्ष

जड़खोद

संवेद में प्रकाशित प्रज्ञा जी की एक और शानदार कहानी है “जड़ खोद”l इस कहानी को प्रज्ञा जी की कथा यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में देखा जा सकता है | जैसा कि राकेश बिहारी जी ने भी अपनी टिप्पणी में कहा है कि ये उनकी कथा यात्रा के नए पड़ाव या प्रस्थान … Read more

Share on Social Media
error: Content is protected !!