संघर्ष पथ

वंदना बाजपेयी

वंदना बाजपेयी की कविता संघर्ष पथ संघर्ष पथ  सुनो स्त्री अगर बढ़ चली हो सशक्तता की ओर तो पता न चलने देना आँसुओं का ओर-छोर माना की रोने के अधिकार से कर वंचित बचपन से पुरुष बनाए जाते हैं  समाज द्वारा सशक्त स्वीकृत पर संघर्षों से तप कर आगे बढ़ती स्त्री के हाथ भी कर … Read more

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दूसरी पारी – समीक्षा

दूसरी पारी

कुछ दिनों पहले एक साझा संस्मरण संग्रह ‘दूसरी पारी’ मेरे हाथ आई थी। समयाभाव या अन्य कारणों से पढ़ने का मौका नहीं मिला। लेकिन जब पढ़ा तो …वह आपके सामने है। दस मिनट समय हो पढ़ने को जरूर निकालेंगे। क्योंकि यह पुस्तक सिर्फ संस्मरणों का संग्रह मात्र नहीं है, महिला लेखिकाओं ने परिवार और समाज … Read more

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