Tag: स्त्री विमर्श
बेगम हज़रत महल- एक निम्नवर्ग में जन्मी लड़की से बेगम हज़रत...
1857 का संग्राम याद आते ही लखनऊ यानी की अवध की बेगम हज़रत महल के योगदान को कौन भूल सकता है l खासकर तब...
दीपक शर्मा की कहानी सवारी
अपना पैसा, अपनी सवारी, और अपना मकान ..अपने वजूद की तलाश करती स्त्री की यही तो पायदानें है जिनसे वो आत्मनिर्भरता और स्वाभिमान अर्जित...
सही तरीका
रहींम दास जी का एक दोहे की एक पंक्ति है "जहां काम आवे सुई, कहा करे तलवारि।।
इसका भावार्थ तो ये है की हर...
बस अब और नहीं !
स्वतंत्रता या गुलामी ये हमारा चयन है | कई बार गुलामी के चयन के पीछे सामाजिक वर्जनाएँ होती हैं तो कई बार इसके पीछे...
उपन्यास अंश – बिन ड्योढ़ी का घर – भाग दो
ऊर्मिला शुक्ल जी का "बिन ड्योढ़ी का घर" एक ऐसा उपन्यास है जिसमें स्त्री के जीवन का हाहाकार सुनाई देता है | साथ ही...
वसीयत
बिन ब्याही बेटियाँ, तलकशुदा, परित्यक्ता या विधवा महिलायें सदियों से उस घर पर बोझ समझी गईं जिस के आँगन की मिट्टी में खेल कर...
छोटी सी उलझन
स्त्री विमर्श के इस दौर में एक मांग पुरुष विमर्श की भी उठने लगी है | ऐसा रातों -रात नहीं हुआ पर ये सच्चाई ...
पौ फटी पगरा भया
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है | समाज में कई रिश्तों के बीच उनका जन्म होता है और जीवन पर्यन्त इस रिश्तों को निभाता चला...
आजादी से निखरती बेटियाँ
कुछ दिन पहले एक मौल में शौपिंग कर रही थी कि पांच वर्ष से नौ दस वर्ष की तीन बहनों को देखा जो अपने...
ऊँटकी करवट
ऊँट किस करवट बैठता है यह बहुत ही प्रसिद्द मुहावरा है | ये एक संदेह की स्थिति है | दरअसल वो परिणाम जो हमें...