प्रेरक कथा : स्वर्ग का दरवाजा

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प्रेरक कथा : स्वर्ग का दरवाजा

एक बार की बात है जापान में संत हाइकुन प्रवचन दे रहे थे | प्रवचन के बाद लोग उनसे प्रश्न पूँछ कर शंका समाधान कर सकते थे | एक दिन एक सैनिक भी उनके सामने एक प्रश्न ले कर आया | और प्रश्न काल में उनके सामने बैठ कर अपनी बारी का इंतज़ार करने लगा |

जब उसकी बारी आई तो उसने संत से प्रणाम कर के कहा ,” महात्मन , कृपया मुझे बताएं की मरने के बाद व्यक्ति स्वर्ग या नरक जाता है | पर जैसा मैंने सुना हैं वहां बड़े – बड़े दरवाजे हैं तो ये दरवाजे कैसे खुलते हैं | मतलब स्वर्ग और नरक के दरवाजे कैसे खुलते हैं |

संत ने उसकी तरफ देख कर कहा ,” तुम सैनिक हो कर स्वर्ग और नरक का मार्ग पूँछ रहे हो | सैनिक का काम तो रक्षा है जिसके लिए वो अपनी ही जान दे देता हैं और तुम यहाँ प्रश्न – उत्तर खेल रहे हो | कोई मुर्ख ही होगा जिसने तुम्हें नौकरी पर रखा होगा |

सैनिक को महतमा पर बहुत क्रोध आया फिर भी क्रोध दबा कर धीरे से बोले ,” मुझे सरकार ने नौकरी पर रखा है |
अब संत बोले ,” अच्छा आश्चर्य हैं | तुम्हारा डील – डौल तो बिलकुल भी सैनिकों जैसा नहीं है | कद भी उतना ऊँचा नहीं हैं की दूर से दुश्मन को देख सकों |

सैनिक को अपना अपमान महसूस हुआ अपना हाथ म्यान तक ले जाते हुए बोला , ” आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?

संत बोले ,” दरसल तुम्हारी आँखे भी छोटी हैं | तुमतो दुश्मन पर नज़र भी नहीं रख सकते | तुम तो मुफ्त की तनख्वाह पा रहे हो |

अब तो सैनिक से न रहा गया | उसने म्यान से तलवार निकाल कर संत की  मारने की सोंची |

तभी संत मुस्कुरा कर बोले ,” लो खुलगया नरक का दरवाजा

सैनिक संत को मारने ही वाला था की उसकी नज़र संत के चेहरे पर पड़ी | उनका चेहरा बिलकुल शांत था | उसमें कोई मृत्यु भय नहीं था | संत का शांत मुख देख एक सेकंड में  सैनिक का ह्रदय परिवर्तन हो गया | तलवार वापस म्यान में रख कर वो संत के मुख की तरफ देखने लगा |

संत मुस्कुरा कर बोले ,” लो खुल गया स्वर्ग का दरवाजा |

सैनिक ने प्रश्न वाचक दृष्टिकोण से संत को देखा |
संत ने कहा ,” बेटा हम हर मिनट स्वर्ग और नरक का दरवाजा खोलते रहते हैं | जब हम अच्छा काम करते हैं तो स्वर्ग व् बुरा काम करते हैं तो नरक के दरवाजे खुलते बंद होते रहते हैं | कर्म ही उन द्वारों की चाभी है | उसी के आधार पर स्वर्ग या नरक प्राप्त होता है |
सैनिक को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया था | वो शांत मन से अपने घर लौट गया |

तेम ABC

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