प्रदूषण की मार झेलती दिल्ली

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दिल्ली बीमार है..!!

 पेड़ पौधे हैं लाभकारी

 पर्यावरण के हैं हितकारी । 
जी हाँ , अपने घर और आसपास पेड़ पौधों को लगाने को प्रोत्साहित करें , वो ही जीवनदायनी हैं ।

हमारे भारत का दिल , दिल्ली बीमार है । एक ऐसी बिमारी जिसका इलाज स्वयं दिल्लीवासियों के पास है । हर प्रकार के प्रदूषण और अस्वच्छता ने इस दिल को बुरी तरह से अपने शिकंजे में जकड़ा हुआ है कि इससे छुटकारा तो अब असम्भव सा ही प्रतीत होता है । बेबस और लाचार दिल्ली घुट रही है प्रदूषण के आवरण में ।

दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती भागती लाखों गाड़ियों से निकलता धुआं , राजधानी में मौजूद फैक्ट्रियों से निकलता काला जहर , बिजलीघरों की चिमनी से निकलता धुआं और मौसम में बढ़ने जा रही धुंध मिलकर प्रदूषण का एक ऐसा कॉकटेल तैयार कर रही हैं जो दिल्ली का दम घोट रहा है । 

दिल्ली का दिल कही जाने वाली दिल्ली की हवा अब सांस लेने लायक नहीं रह गई है । हवा में मौजूद प्रदूषण का स्तर हानिकारक स्तर को पार कर अब बेहद खतरनाक स्तर में पहुंच चुका है । हवा में घुला प्रदूषण तय मानक मात्रा से 4 से 5 गुना ज्यादा हो चुका है. कहीं कहीं ये स्तर 10 गुना तक पहुंच गया है । 

दिल्ली की गिनती विश्व के चार सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में 

प्रदूषण आज विश्वव्यापी समस्या बन चुकी है। भारत सहित विकासशील देशों में यह समस्या विशेष रूप से खतरनाक रूप लेती जा रही है। भारत की राजधानी दिल्ली की गिनती विश्व के चार सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में होती है । आजादी के बाद जनसंख्या, शहरीकरण तथा औद्योगिकीकरण में तेजी से हुई वृद्धि ने दिल्ली का पर्यावरण बिगाड़ दिया है। अब चूँकि एक मेट्रो शहर में यह सब विकास की बातें होना स्वभाविक ही है और विकास और उन्नति की दृष्टि से आवश्यक और महत्वपूर्ण भी है । परन्तु इस विकास और उन्नति को दिल्ली की सेहत और सुंदरता को बिगाड़ने का कार्य नहीं करना है । 

मैली है दिल्ली की यमुना भी 

दिल्ली की नदी यमुना भी मैली है । आईटी ओ के पास बने यमुना पुल के आसपास की कालोनियों में रहने वालों निवासियों ने यमुना नदी के किनारों को कूड़ा करकट से भर कर रखा है । पुल के ऊपर से नदी में कूड़े की थैलियां फेंकते लोग अनायास ही ध्यान आकर्षित कर लेते हैं , वहां का यह एक आम नज़ारा हो गया है । चाहे इसे लोगों की मानसिकता समझ लें या फिर सरकारी व्यवस्थाओं में कमी , भुगतना तो कुदरत की अनमोल धरोहर को पड़ रहा है । प्रकृति की खूबसूरत धरोहर होती हैं ये नदियां , जीवनदायनी होती हैं , इन्हें सहेज कर रखना हम इंसान की जिम्मेदारी है । बस थोड़े से प्रयास की आवश्यकता है , थोड़ी सजगता की आवश्यकता है फिर देखिये हमारे आसपास का वातावरण कितना स्वच्छ और सजीव हो सकता है । 
स्वच्छ भारत अभियान , स्वच्छ वातावरण और पर्यावरण को सुरक्षित रखने की और एक महत्वपूर्ण और सार्थक प्रयास है । भारतीय लोगों को इस दिशा में अग्रसर रहने और सचेत रखने की एक अनूठी पहल है । विशेषतौर पर विद्यालयों में शुरू हुआ यह अभियान वाकई काफी कारगर सिद्ध हो रहा है । बच्चे , जो भविष्य के निर्माता हैं , सीख रहे हैं और पा रहे हैं कुछ ऐसे संस्कार , जो भारतवर्ष के स्वर्ण भविष्य की मजबूत नींव हैं । विद्यालय से मिली शिक्षा और संस्कार , एक बच्चे के हृदय में अमिट छाप छोड़ जाते हैं , जो सम्पूर्ण जीवन उनके संग रहते हैं । 

दिल्ली में बढ़ते प्राइवेट यातायात के साधनों ने बढ़ाया वायु प्रदूषण

दिल्ली में बढ़ते प्राइवेट यातायात के साधनों ने वायु प्रदूषण को चरमसीमा तक पहुंचा दिया है । छुटपुट कार्यों और अपने आसपास भी आने जाने के लिए लोगों द्वारा अपनी कार को इस्तेमाल करना बड़ा हास्यस्पद और विचित्र प्रतीत होता है । कार चलाना एक शान की बात समझी जाती है । पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे मेट्रो का ही इस्तमाल कर लेना चाहिए ऑफिस या कहीं दूर दराज स्थान पर जाने आने के लिए । वायु प्रदूषण और यातायात नियंत्रित करने के लिए । 
        चारों तरफ बढ़ाओ जागरूकता 
        पर्यावरण है आजकी आवश्यकता । 
जी हाँ , यही नारा इस समय की पुकार है । आइये हम सब मिलकर इस पुकार को गूँज बना दें । 
          तरसेम कौर 
लेखिका
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