प्रेरक कथा – दूसरी गलती

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प्रेरक कथा - दूसरी गलती

स्वर्ग – नरक भले ही कल्पना हो | पर इन कल्पनाओं के माध्यम से हमें जीवन का
मार्ग बताने की शिक्षा दी जातीं हैं | जैसे की इस प्रेरक कथा में स्वर्ग – नरक के माध्यम
से जीवन में असफलता व् दुःख झेलने की वजह बताने की चेष्टा की गयी है |

Hindi motivational story – swarg ka darvaaja

एक व्यक्ति मरने के बाद ऊपर पहुंचा | उसने देखा वहां दो दरवाजे हैं |
उसमें निश्चित तौर पर एक दरवाजा स्वर्ग का व् एक नरक का था | हालांकि किसी पर कुछ
लिखा नहीं था | अब हर व्यक्ति की तरह वो व्यक्ति भी स्वर्ग ही जाना चाहता था | तो
उसने ध्यान से दोनों दरवाजों को देखा |
एक दरवाजे सेबहुत  सारे लोग
अन्दर जा रहे थे
| जबकि दूसरे से एक्का – दुक्का  लोग ही अन्दर जा रहे थे | व्यक्ति ने सोंचा की
जिसमें ज्यादा लोग अन्दर जा रहे हैं वही स्वर्ग का दरवाजा होगा | वो भी उसी दिशा
में आगे बढ़ने लगा |


तभी यमदूत वहां आया | और बोला ,’ अरे , अरे ये तो नरक का दरवाजा है |
स्वर्ग का तो वो है | लेकिन आप इस तरफ बढ़ चले हैं तो आप को नरक में ही जाना होगा |

वह आदमी घबराया उसने दूत से कहा ,” मैं तो भीड़ देख कर ऊधर चल दिया था
| क्या मैं वापस स्वर्ग में नहीं जा सकता | कोई तो उपाय  होगा |


यमदूत बोला ,” वैसे तो मुश्किल है पर क्योंकि आपने पुन्य किये हैं
इसलिए मैं आपको यह बही खाते की किताब दे रहा हूँ | आप इसमें से अपनी एक गलती दूर
कर सकते हैं | मतलब मिटा सकते हैं | पर यह मौका आपको सिर्फ एक बार ही मिलेगा |
जब उस आदमी के हाथ बही – खाते की किताब आई तो वो उलट – पलट कर देखने
लगा | उसने देखा की उसके पड़ोसी के पुन्य तो उससे कई गुना ज्यादा हैं | अब तो पक्का
उसे स्वर्ग मिलेगा | और ज्यादा दिन को मिलेगा | यह सोंच कर उसे बहुत ईर्ष्या होने
लगी की उसका पड़ोसी बहुत ज्यादा दिनों तक स्वर्ग भोगेगा | उसने थोड़ी देर तक सोंच –
विचार करने के बाद अपने पड़ोसी द्वारा किया गया एक बड़ा सा पुन्य मिटा दिया |वो चैन
की सांस ले कर अगला पन्ना पलटने ही वाला था तभी यमदूत ने आकर उसके हाथ से किताब ले
ली | और उसे नरक की तरफ ले जाने लगा |

आदमी रोने चिल्लाने लगा अरे अभी तो मैं अपनी गलती ठीक ही नहीं कर पाया
| आप मुझे नरक क्यों भेज रहे हैं | यमदूत मुस्कुराया और बोला ,” मैंने आपसे पहले
ही कहा था की आप के पास बस एक मौका है | वो मौका आपने अपने पड़ोसी के पुन्य मिटाने
में गँवा दिया | इस तरह से आपने थोड़ी ही देर में दो
 गलतियां कर दी |

एकतो जब आप पहले जब आप स्वर्ग जा सकते थे तब आपने भीड़ का अनुसरण किया |
दूसरी बार जब आप कोमौका मिला तो अपनी गलती सुधारने के स्थान पर आपने
पड़ोसी का पुन्य मिटाने का काम किया | जबकि आप का पड़ोसी तो अभी और दिन धरती पर रहने
वाला है वो और पुन्य कर लेगा पर आप का तो आखिरी मौका चला गया |

अब उस आदमी के पास नरक भोगने के आलावा कोई रास्ता नहीं था |उसने स्वयं
स्वर्ग का दरवाजे से जाने का मौका गंवाया था |



दोस्तों ये प्रेरक कथा हमें जीवन की शिक्षा देती है | मरने के बाद
क्या होता है किसने देखा है पर जीते जी असफलता का कारण यही
 दो गलतियाँ ही तो होती हैं | एक भीड़ को फॉलो
करना | अपनी
  पैशन को जानने समझने के स्थान
पर हम भीड़ को फॉलो करते हैं| सब इंजीनियर बन रहे हैं या डॉक्टर बन रहे हैं तो हमें
भी बनना है | सब टीचर बन रहे हैं तो हमें भी बनना है | भले ही हमारा मन गायक बनने
 का हो |  तो ऐसी में न काम में मन लगता है न सफलता मिलती
है जिस कारण जीवन नरक सामान लगने लगता है | जिसे अनचाहे ही भोगते हैं | व् दूसरी
गलती ये होती है की हम अपने काम से ज्यादा इस बात की चिंता करते हैं की दूसरे हमसे
नीचे कैसे हो या हम कोई चीज न पा सके तो न पा सके पर हमारा पड़ोसी उसे बिलकुल न पा
सके | धन , नाम , पावर सब में हम अपने आस –पास वालों को अपने से कम देखना चाहते
हैं |
 इस ईर्ष्या के कारण हम खुद ही
असफलता के द्वार खोलते हैं | क्योंकि हमारा फोकस काम पर न हो कर
 बेकार की बातों पर होता है | जो हमें अन्तत :
असफलता की और ले जाती है और हमारा स्वर्ग सा जीवन नरक में बदल देती हैं |

इस प्रकार हम खुद ही ये दो गलतियाँ  कर के अपने स्वर्ग का दरवाज़ा बंद कर नरक का
द्वार खोल देते हैं |यदि आप जीवन में सफलता पाना चाहते हैं तो ये दो गलतियां न
करें | भीड़ को फॉलो करने के स्थान पर अपने दिल की आवाज़ सुने |व् दुसरे का काम
बिगाड़ने के स्थान पर अपने काम
 पर ध्यान
दें | फिर देखिएगा ये जीवन कैसे स्वर्ग सा सुखद हो जाता हैं | 

नीलम गुप्ता 
दिल्ली 


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